चाहें तो 2 हफ्तों में परमाणु बम बना सकते हैं… ईरान क्या फिर शुरू कर रहा तैयारी?

ईरान लगातार अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर सुर्खियों में बना रहता है. जहां एक तरफ कई देशों का दावा है कि ईरान परमाणु हथियार बना रहा है. वहीं, दूसरी तरफ ईरान लगातार इस बात से इनकार करता रहा है. इसी बीच ईरान के इंस्टिट्यूट फॉर फंडामेंटल साइंसेज के निदेशक मौलाना मोहम्मद जवाद लारीजानी ने बताया है कि देश कितने दिनों में बम बनाने की ताकत रखता है.
लारीजानी ने कहा, ईरान ने दुनिया के सामने एक नया सिद्धांत पेश किया है. उन्होंने कहा, ईरान अगर चाहें तो वो 2 हफ्तों में परमाणु बम बना सकता है, लेकिन वो निश्चित रूप से बम नहीं बनाना चाहता. अस एंड द वेस्ट शीर्षक वाले एक सम्मेलन के दौरान उन्होंने इस्लामी गणराज्य के सर्वोच्च नेता की ओर से जारी उस फतवे का जिक्र किया जिसमें परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को हराम बताया गया है. उन्होंने कहा कि यह फतवा यह साबित करता है कि इस्लामी विचारधारा और अहल-ए-बैत के स्कूल में हिंसा असीमित नहीं है.
परमाणु हथियार बनाने का कोई इरादा नहीं
लारीजानी ने खुद को परमाणु क्षमताओं के विकास का समर्थक बताया और कहा कि दुनिया इस बात से चकित है कि इस्लामी गणराज्य परमाणु बम नहीं बनाना चाहता. 1 अक्टूबर को दिए गए एक भाषण में, आयतुल्ला अली खामेनेई ने एक बार फिर जोर देकर कहा कि इस्लामी गणराज्य परमाणु हथियार बनाने की कोशिश नहीं कर रहा है और भविष्य में भी ऐसा कोई इरादा नहीं रखता.
उन्होंने कहा, दुनिया के देशों में से सिर्फ 10 देशों के पास यूरेनियम को समृद्ध (Prosperous) करने की क्षमता है, जिनमें से एक ईरान है. इन देशों के पास परमाणु बम हैं, लेकिन हमारा परमाणु बम बनाने का कोई इरादा नहीं है.
हथियार बनाने की दी थी चेतावनी
इन बयानों से पहले, 21 सितंबर को संसद के 70 सदस्यों ने सरकार के प्रमुखों और सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल को एक पत्र लिखकर मांग की थी कि ईरान खामेनेई के पूर्व फतवे में बदलाव कर निवारक (deterrence) मकसद से परमाणु बम के निर्माण और रखरखाव की दिशा में आगे बढ़े.
इन सांसदों ने लिखा था कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल खामेनेई के 2010 के फतवे की पवित्रता का उदाहरण है, लेकिन उन्हें निवारक के मकसद से बनाना और बनाए रखना एक अलग बात है. मई 2024 में, खामेनेई के अंतरराष्ट्रीय मामलों के सलाहकार और स्ट्रैटेजिक काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के सदस्य कमाल खराजी ने लगातार दो दिनों तक चेतावनी दी थी कि इस्लामी गणराज्य परमाणु हथियार निर्माण की दिशा में आगे बढ़ सकता है.
उसी साल अक्टूबर में, संसद के 39 सदस्यों ने इस्लामी गणराज्य की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल को एक पत्र लिखकर ईरानी सरकार के रक्षा सिद्धांत में बदलाव और परमाणु हथियारों के प्रोडक्शन की मांग की.
ईरान के पास यूरेनियम मौजूद
इन बयानों के उलट, मसूद पेजेश्कियन की सरकार और खुद राष्ट्रपति पेजेश्कियन कूटनीति के पक्षधर हैं. उनका रुख विदेशी तनावों को कम करने का है और वो इस्लामी गणराज्य के सर्वोच्च नेता के फतवे का हवाला देते हुए परमाणु बम के निर्माण को अस्वीकार करते हैं.
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) के महानिदेशक राफेल ग्रोसी ने 20 अक्टूबर को स्विट्जरलैंड के अखबार लोटानो को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि तेहरान का तकनीकी ज्ञान नष्ट नहीं हुआ है. उन्होंने आगे कहा, ईरान के पास अब भी समृद्ध यूरेनियम मौजूद है, जिसमें लगभग 400 किलोग्राम 60 प्रतिशत तक संवर्धित यूरेनियम शामिल है — जो परमाणु हथियार बनाने के लिए जरूरी स्तर से थोड़ा नीचे है.

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