थ्रिल-सस्पेंस और हॉरर की कहानी बनते इमरान खान!

  • भारत में भी चिंता, दुनिया भर में होने लगी अब चर्चा
  • जिंदा है या फिर मौत, पाकिस्तान की सियासत का सबसे डरावना सवाल?
  • बच्चों ने पाक सरकार को घेरा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कल तक जिस मुल्क में इमरान खान, नया पाकिस्तान के नारे लग रहे थे आज उसी पाकिस्तान में इमरान खान की मौत के सवाल पर सन्नाटा है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की गिरफ्तारी फिर लंबे समय तक उनकी कोई विश्वसनीय झलक न मिलने के बाद मीडिया में जेल में उनकी मौत की खबर ने इस पूरे परिदृश्य को एक थ्रिल सस्पेंस हॉरर कथा जैसा बना रहे हैं। आज पाकिस्तान और पूरी दुनिया में एक ही सवाल गूंज रहा है कि इमरान खान जिंदा हैं या उनकी मौत हो चुकी है।

गृहयुद्ध की तरफ़ बढ़ते कदम

इमरान खान की संभावित मौत की अफवाहों ने पाकिस्तान के भीतर एक विस्फोटक स्थिति खड़ी कर दी है। जनता और सेना दो खेमों में बंट चुकी हैं। एक तरफ वह आम लोग हैं जो इमरान को जनता की आवाज मानते हैं तो दूसरी तरफ वह ताकतवर सैन्य ढांचा है जो राजनीतिक नियंत्रण को अपना अधिकार समझता है। यदि इमरान की मौत की खबर सच साबित होती है तो पाकिस्तान बड़े पैमाने पर गृहयुद्ध जैसे हालात में फिसल सकता है। भीड़ बनाम बंदूक का यह टकराव राजनीतिक ध्रुवीकरण की चरम सीमा तक पहुंच चुका है और इसकी आग चरमपंथी संगठनों के लिए ऑक्सीजन का काम करेगी। इससे टीटीपी जैसे आतंकी गुटों और कट्टरपंथी नेटवर्क का उभार तेज होने की आशंका गंभीर है।

बोझ हमेशा पड़ोसी उठाता है

इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान चाहे आर्थिक संकट में हो या राजनीतिक अराजकता में सबसे बड़ा नुकसान भारत झेलता है। इमरान खान के सस्पेंस और पाकिस्तान की अस्थिरता के परिणाम भारत के लिए गंभीर सुरक्षा चुनौतियां पैदा कर सकते हैं। कश्मीर सीमा पर तनाव और गोलीबारी में बढ़ोतरी की आशंका महसूस की जा रही है। घुसपैठ और आतंकी मॉड्यूल फिर सक्रिय होने की कोशिश की जा सकती है। ड्रोन के माध्यम से हथियार तस्करी एक संभावित खतरे के तौर पर चुनौती है। भारत के अंदर धार्मिक राजनीतिक ध्रुवीकरण भड़काने की साजिशें भी की जा सकती है। यदि पाकिस्तान सेना का ध्यान आंतरिक संघर्ष में फंसा रहा तो उसके अनियंत्रित तत्व भारत को अस्थिर करने की दिशा में इस्तेमाल किए जा सकते हैं यह पैटर्न इतिहास में कई बार देखा जा चुका है।

अंतरराष्ट्रीय पटल पर नई बेचैनी

अमेरिका, चीन, सऊदी अरब और यूरोपीय संघ के लिए पाकिस्तान रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। एक बड़े राजनीतिक नेता की संदिग्ध मृत्यु वैश्विक भू राजनीति को हिला सकती है। लोकतंत्र बनाम सेना के टकराव से क्षेत्र में शक्ति संतुलन बदल सकता है। समाजशात्रियों का मानना है कि इमरान खान की रिहाई पाकिस्तान को लोकतंत्र दे सकती और इमरान खान की मौत पाकिस्तान को गृहयुद्ध में धकलने के लिए काफी है।

अफगानिस्तान पर भी पड़ेगा असर

पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता हमेशा अफगानिस्तान में असर डालती रही है और इस बार यह असर कहीं ज्यादा बड़ा होगा। अफगानिस्तान में तालिबान और आईएसआईएस के बीच पहले से मौजूद तनाव पाकिस्तान की कमजोरी को अवसर के रूप में देख सकता है। सीमा पार हथियारों की तस्करी आतंकी प्रशिक्षण शिविरों की गतिविधि और कट्टरपंथी भर्ती में बेतहाशा वृद्धि होना लगभग तय माना जा रहा है। अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सुरक्षा परिस्थितियां एक बार फिर क्षेत्रीय अस्थिरता के केंद्र बन सकती हैं।

डरावना रहा है इतिहास

पाकिस्तान के राजनीतिक इतिहास पर नजर डालें तो यह पहला मौका नहीं होगा जब सत्ता विरोधियों के साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा हो। इमरान खान उसी जेल में बंद हैं जहां पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी दी गई थी और पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को कैद रखा गया था। यह संयोग नहीं बल्कि वह राजनीतिक पैटर्न है जिसमें हर लोकप्रिय नेता, जो सैन्य प्रतिष्ठान और सत्ता संरचना के विरोध में खड़ा होता है अंतत: या तो सत्ता से बेदखल किया जाता है या संदिग्ध परिस्थितियों में चोरी-छिपे समाप्त कर दिया जाता है। इमरान खान का मामला इसलिए भी अधिक सस्पेंस पैदा करता है क्योंकि जेल की स्थिति की कोई स्वतंत्र निगरानी नहीं है। मीडिया पहुंच पर पूर्ण प्रतिबंध है और परिवार की मुलाकातों पर लगातार अंकुश है। अदालत की कार्यवाही का भी वहीं खबरें बाहार आती है जिन्हें सरकार चाहती है।

बेटे ने मांगा बाप के जिंदा होने का सबूत

इमरान खान के बेटे कासिम खान ने सोशल मीडिया एक्स पर पोस्ट करके अपने पिता के जिंदा होने का सबूत सरकार से मांगा है। इसके साथ ही कासिम ने अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और इंटरनेशनल कोर्ट से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग भी की है।

सुलगता पाकिस्तान

अदियाला जेल में इमरान की हत्या की अफवाह उडऩे के बाद पाक में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ और बहन अलीमा खान लगातार शहबाज सरकार से मांग कर रही हैं कि उन्हें इमरान से मिलने दिया जाए। विपक्षी गठबंधन ने पूरे देश में विरोध प्रदर्शन तेज कर दिये हैं। पख्तूनख्वा मिल्ली अवामी पार्टी के अध्यक्ष महमूद अचकजई ने पार्लियामेंट हाउस के बाहर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया है कि सरकार ने संसद को रबर स्टांप बना दिया है और नेशनल असेंबली के स्पीकर अयाज सादिक कहीं और से हुक्म सुन रहे हैं। ट्राइबल इलाकों में लोग मारे जा रहे हैं फिर भी स्पीकर ने विपक्ष को इस गंभीर मुद्दे पर बोलने नहीं दिया। पाकिस्तानी सरकार को घेरते हुए उन्होंने पूछा है कि इमरान खान को जेल में क्यों रखा गया है और उन्हें अपनी बहन और पार्टी लीडर्स से मिलने क्यों नहीं दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री अदियाला जेल के बाहर बैठे हैं लेकिन पीटीआई के फाउंडर से मिलने की उनकी अपील पर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। पीटीआई नेता असद कैसर ने कहा कि हाल के उपचुनावों में डेमोक्रेसी को खत्म कर दिया गया। हरिपुर में हुए उपचुनाव के नतीजे बदल दिए गए थे। यहां से पूर्व विपक्षी नेता उमर अयूब की पत्नी चुनाव लड़ रही थीं। उन्होंने आरोप लगाया कि फार्म 47 पर जो नतीजा था वह कंप्यूटर पर बदले गए नतीजे से अलग था।

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