महायुति में सीट शेयरिंग को लेकर नहीं बन पाई बात? आपसी कलह आई सामने!

महाराष्ट्र का सियासी पारा इन दिनों हाई चल रहा है। महायुति की आपसी कलह समय-समय पर देखने को मिल रही है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: महाराष्ट्र का सियासी पारा इन दिनों हाई चल रहा है। महायुति की आपसी कलह समय-समय पर देखने को मिल रही है। वहीं ऐसे में BMC चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद से लगातार सियासी गलियारों में हलचल बढ़ गई है।

महाराष्ट्र नगर निगम चुनाव के दिन जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं वैसे-वैसे बैठकों का दौर तेज हो गया है. चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के लिए मात्र 4 दिन ही शेष हैं लेकिन राज्य में सत्ताधारी पार्टियों के बीच महायुति का ऐलान अब तक नहीं हो पाया है। नागपुर में 15 वर्ष तक सत्ता में रही बीजेपी ने एक सहयोगी पार्टी शिंदे शिवसेना से ही चर्चा की है लेकिन राष्ट्रवादी कांग्रेस अजीत पवार गुट से चर्चा तक नहीं हुई है।

वहीं बीजेपी नेता दावा तो कर रहे हैं कि नागपुर सहित विदर्भ के 4 मनपा में महायुति मिलकर चुनाव लड़ेगी लेकिन ऐसा व्यावहारिक रूप से नजर नहीं आ रहा है। नागपुर में तो उसने राकांपा को छोड़ दिया है। जानकारी मिली कि गुरुवार को राकांपा के नागपुर चुनाव निरीक्षक बैठक के लिए आकर बैठे थे लेकिन शिंदे सेना के साथ बैठक के बाद बीजेपी की ही लगभग आधी रात तक बैठक जारी रही और निरीक्षक बैठे ही रह गए। उम्मीद थी कि दूसरे दिन शनिवार को राकांपा को बुलाया जाएगा लेकिन चर्चा के लिए कोई ऑफर नहीं आया। अब तो सहयोगी दलों के स्थानीय नेता आरोप लगा रहे हैं कि बीजेपी सहयोगी दलों के लिए सीटें छोड़ने के मूड में नहीं है। इसलिए टाइमपास कर रही है।

मनपा में भाजपा के 108 नगरसेवक थे। इस बार उसने 120 का टारगेट रखा है। अगर इतनी सीटें जीतनी हैं तो उसे कम से कम 130-135 सीटों पर तो अपने उम्मीदवार उतारने ही होंगे। यही कारण है कि वह सहयोगी दलों को तवज्जो नहीं दे रही है। अगर वह 130 सीटों पर भी उम्मीदवार उतारती है तो 21 सीटें ही शिंदे सेना व राकां अजीत पवार के लिए बचेंगी। इतने पर दोनों पार्टियों के नेता कभी राजी नहीं होंगे। बीजेपी महायुति में शामिल शिंदे सेना को ही कुछ अहमियत दे रही है। राकांपा को उसने अब तक साइड में ही रखा है। नागपुर में बीजेपी-शिंदे सेना का मिलकर चुनाव लड़ना तय हो चुका है। शिंदे सेना ने 50 सीटों की मांग की थी। जानकारी मिली है कि बैठक के बाद वह 25 पर आ गई है। अगर इतनी सीटें बीजेपी उसके लिए छोड़ती है तो भी बड़ी बात होगी। बीजेपी उसे 15 सीट दे सकती है। नागपुर में दोनों दल गठबंधन कर लड़ेंगे।

वहीं दूसरी तरफ, महायुति में शामिल राकांपा अजीत पवार गुट ने बीजेपी के अब तक के रवैये को देखते हुए अपनी रणनीति तैयार कर ली है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रशांत पवार ने बताया कि शहर में पार्टी की ताकत काफी बढ़ी है और लोग राकां के समर्थन में हैं। हम पूरी ताकत से सभी सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार हैं। नागपुर मनपा को लेकर बीजेपी के साथ अब तक किसी तरह की चर्चा नहीं हुई है। नामांकन भरने की तिथि करीब है और उम्मीदवारों ने पर्चा भरना शुरू भी कर दिया है। 1-2 दिनों में गठबंधन हुआ तो उस हिसाब से निर्णय लिया जाएगा। वहीं कार्याध्यक्ष श्रीकांत शिवणकर ने बताया कि 350 इच्छुक उम्मीदवारों के इंटरव्यू हो गए हैं। प्रक्रिया जारी है। गठबंधन की घोषणा की राह देख रहे हैं। वरिष्ठ नेताओं में चर्चा चल रही है। क्या तय होता है, यह देखेंगे अन्यथा स्वतंत्र रूप से उम्मीदवार उतारने की पूरी तैयारी है।

इतना ही नहीं खबर तो ये भी आ रही है की बीएमसी चुनावों में अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही है। महायुति में सीट बंटवारे पर सहमति न बनने की स्थिति में एनसीपी ने मुंबई में अलग बैठक बुलाई है और उम्मीदवारों को लेकर चर्चा की गई है। एनसीपी की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष सुनील तटकरे ने शनिवार को कहा कि पिछले तीन दिनों से सबके साथ बैठकें चल रही हैं और इस बारे में सारी जानकारी अजित पवार को बता दी गई है। उन्होंने कहा कि 30 दिसंबर की शाम तक स्थिति बिल्कुल स्पष्ट हो जाएगी और उस दिन दोपहर 3 बजे सीटों को लेकर घोषणा की जाएगी। इतना ही नहीं सुनील तटकरे ने तो यह भी कहा कि एनडीए में शामिल होने का नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी का फैसला फायदेमंद रहा है। राज्य के लोगों ने इस फैसले का समर्थन किया है और यह बदला नहीं जाएगा।

वहीं, एनसीपी विधायक सना मलिक ने आईएएनएस से बातचीत में कहा कि महायुति में हमारे प्रस्तावों पर बात आगे नहीं बढ़ी। इस स्थिति में हमने अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी की है। उम्मीदवारों के नामों को लेकर भी चर्चा हुई है और कार्यकर्ताओं को हर स्थिति के लिए तैयार रहने के लिए कहा गया है। सना मलिक ने बताया कि बैठक में 62-65 सीटों पर लड़ने के लिए पार्टी की बैठक में चर्चा हुई है। पुराने साथी भी साथ लड़ने के लिए आ रहे हैं। कार्यकर्ताओं में भी जोश है। इस सबको देखते हुए पार्टी तकरीबन 100 सीटों पर चुनाव लड़ सकती है। एनसीपी पूरी ताकत के साथ बीएमसी चुनाव में उतरेगी।

हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि महायुति के साथ मिलकर लड़ने के बारे में पार्टी नेतृत्व फैसला लेगा। पूर्व विधायक जीशान सिद्दीकी ने बैठक के बारे में बताया कि सुनील तटकरे के नेतृत्व में बैठक हुई थी, जिसमें संभावित जीत वाली सीटों को लेकर चर्चा की गई। उन्होंने कहा कि गठबंधन को लेकर पार्टी नेतृत्व की तरफ से फैसला होना है, लेकिन मुंबई में पार्टी के कार्यकर्ताओं में जोश है और हम अकेले चुनाव लड़ने की तैयारी भी कर रहे हैं। जीशान सिद्दीकी ने कहा कि मुंबई की जनता हमारे साथ है और बीएमसी चुनाव में एनसीपी अपना झंडा जरूर लहराएगी।

वहीं इसी सियासी उठापटक के बीच महायुति की आपसी कलह सबको देखने को मिली महाराष्ट्र के सातारा जिले में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के भीतर का तनाव अब सार्वजनिक मंच पर दिखने लगा है. ‘दहशत’ और ‘नाद’ जैसे शब्दों को लेकर गठबंधन के दो मंत्रियों के बीच सीधी बयानबाजी हुई है, जिससे जिले की राजनीति गरमा गई है. मामला उस वक्त तूल पकड़ गया जब फलटण में आयोजित भाजपा की विजय सभा में मंच से कड़े शब्दों का इस्तेमाल किया गया. फलटण में भाजपा की विजय सभा के दौरान मंत्री जयकुमार गोरे ने बिना किसी का नाम लिए तीखी चेतावनी दी. उन्होंने दाढ़ी पर हाथ फेरते हुए कहा, “हमें भी दहशत (आतंक) पसंद नहीं है. हमारे ‘नाद’ मत लगो.”

इसके बाद उन्होंने आगे कहा, “जो लोग यह कह रहे हैं कि फलटण में शिवसेना दहशत बर्दाश्त नहीं करेगी, तो मैं उन्हें बता दूँ हमें भी दहशत पसंद नहीं है. मेरी भी दाढ़ी है. जिन्होंने भी मेरा नाद किया है, मैंने उन्हें छोड़ा नहीं है.” हालांकि गोरे ने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इसे सीधे तौर पर शिवसेना के वरिष्ठ नेता और जिले के पालक मंत्री पर तंज माना गया. जयकुमार गोरे के बयान के बाद शिवसेना नेता और सातारा के पालक मंत्री शंभूराज देसाई ने भी तीखा जवाब दिया. उन्होंने कहा, “अगर जयकुमार गोरे कह रहे हैं कि मेरा नाद नहीं करना, तो इसका मतलब है कि दहशत किसकी है, यह जनता को समझ लेना चाहिए.” देसाई यहीं नहीं रुके. उन्होंने साफ चेतावनी दी, “मैं जिले का पालक मंत्री हूँ. इसलिए सातारा में किसी भी तरह की दहशत बर्दाश्त नहीं की जाएगी.” उन्होंने आगे कहा “अगर आगे से दादागिरी, धमकाने या दहशत की भाषा का इस्तेमाल किया गया, तो इसका जवाब ‘जैसे को तैसा’ दिया जाएगा.”

नगरपालिका चुनाव खत्म हो चुके हैं और अब जिला परिषद चुनावों की तैयारी शुरू हो गई है. ऐसे समय में महायुति के भीतर इस तरह की खुली बयानबाजी ने जिले का राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है. विपक्ष को भी सरकार पर हमलावर होने का नया मौका मिल गया है. वहीं अब सियासी पंडितों द्वारा अनुमान तो यह भी लगाया जा रहा है कि महायुति में फैली इस आपसी कलह का BMC चुनाव में सीधा फायदा विपक्ष को मिलेगा। अब देखना ये होगा कि BMC में किस दल को कितनी सीटें मिलती हैं। लेकिन अभी जिस तरह से इसे लेकर महायुति में आपसी कलह मची है इससे एक बात तो तय है कि परिणाम महायुति के पक्ष में बड़ी मुश्किल से ही जायेंगे।

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