संसद भवन का उद्घाटन हो रहा या बीजेपी कार्यालय का: सामना

  • आडवाणी को उद्घाटन में आमंत्रित किया गया या उन्हें भी गेट पर ही रोका जाएगा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई। नए संसद भवन के उद्घाटन पर मचे रार के बीच उद्धगुट शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी पर ताजा जुबानी हमला बोला है। मुखपत्र सामना में भारतीय जनता पार्टी के मार्गदर्शक मंडल लाल कृष्ण आडवाणी का जिक्र करते हुए कटाक्ष किया गया है। संपादकीय में यह भी आरोप लगाया गया है कि पीएम मोदी, संसद का उद्घाटन इस तरह कर रहे हैं, मानों वह भारतीय जनता पार्टी का दफ्तर हो, इतना ही नहीं शिवसेना ने सरकार के उस कदम की आलोचना भी की है जिसमें नेता विपक्ष को उद्घाटन में निमंत्रण नहीं दिया गया है।
सामना की संपादकीय में लिखा गया है- नए संसद भवन का उद्घाटन प्रधानमंत्री द्वारा दिल्ली में भाजपा मुख्यालय के भव्य उद्घाटन की तरह ही किया जाएगा। संसद में विपक्ष के नेता का पद प्रधानमंत्री के बराबर होता है। निमंत्रण पत्र पर नेता प्रतिपक्ष का नाम होता तो लोकतंत्र की शोभा बढ़ जाती। संसद की अध्यक्ष महामहिम द्रौपदी मुर्मू को आमंत्रित नहीं किया गया। पूर्व उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण आडवाणी का जिक्र कर सामना में पूछा गया है- बीजेपी को अच्छे दिन दिखाने वाले लाल कृष्ण आडवाणी को उद्घाटन में आमंत्रित किया गया या उन्हें भी गेट पर ही रोका जाएगा! जहां देश के राष्ट्रपति को उद्घाटन समारोह में आमंत्रित नहीं किया गया, वहां आपको-हमें आमंत्रित किया जाए या नहीं, क्या फर्क है?

सरकार ने बनाया है संसद तो उद्घाटन का उसको ही हक : मायावती

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) सुप्रीमो मायावती ने एक चौंकाने वाले फैसला लिया है। बीएसपी ने 28 मई को संसद के नये भवन के उद्घाटन का समर्थन किया है। बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने ट्वीट कर लिखा-केन्द्र में पहले चाहे कांग्रेस पार्टी की सरकार रही हो या अब वर्तमान में बीजेपी की, बीएसपी ने देश व जनहित निहित मुद्दों पर हमेशा दलगत राजनीति से ऊपर उठकर उनका समर्थन किया है तथा 28 मई को संसद के नये भवन के उद्घाटन को भी पार्टी इसी संदर्भ में देखते हुए इसका स्वागत करती है। इसके साथ ही मायावती ने ट्वीट कर लिखा- राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी द्वारा नए संसद का उद्घाटन नहीं कराए जाने को लेकर बहिष्कार अनुचित, सरकार ने इसको बनाया है इसलिए उसके उद्घाटन का उसे हक है। इसको आदिवासी महिला सम्मान से जोडऩा भी अनुचित, यह उन्हें निर्विरोध न चुनकर उनके विरुद्ध उम्मीदवार खड़ा करते वक्त सोचना चाहिए था।

Related Articles

Back to top button