महाराष्ट्र-झारखंड में बनने जा रही इंडिया की सरकार, NDA की लगी लंका!
महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों का मतदान बुधवार को ख़त्म हो गया.... और इसके परिणाम शनिवार को आएंगे..
4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों का मतदान बुधवार को ख़त्म हो गया…. और इसके परिणाम शनिवार को आएंगे…. लेकिन इससे पहले सभी एग्ज़िट पोल्स के आंकड़े भी सामने आ रहे हैं…. अधिकतर एग्ज़िट पोल्स में कांटे की टक्कर दिखाई गई है…. बता दें कि दो सौ अट्ठाली सीटों वाली महाराष्ट्र विधानसभा में जीत के लिए एक सौ पैंतालीस सीटों की ज़रूरत है…. वहीं इक्यासी सीटों वाली झारखंड विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा इकतालीस सीटों का है…. निर्वाचन आयोग के मुताबिक, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में शाम पांच बजे तक अट्ठावन दशमलव दो दो फ़ीसदी…. और झारखंड चुनाव में शाम पांच बजे तक सरसठ दशमलव पांच नौ फीसदी मतदान हुआ है…. आपको बता दें कि राहुल गांधी के लिए लोकसभा सभा चुनाव के नतीजे बहुत बड़ा सपोर्ट थे…. दो हजार उन्नीस की हार के बाद कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ चुके राहुल गांधी ने अगर लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने का फैसला किया तो उसके पीछे दो हजार चौबीस में मिली चुनावी कामयाबी ही थी…. और राहुल गांधी को ये कामयाबी उनकी निजी मेहनत या सिर्फ कांग्रेस की वजह से नहीं मिली थी…. बल्कि INDIA गठबंधन के बैनर का था….. देखा जाये तो सबसे सफल तो अखिलेश यादव रहे…. और जब जिक्र होगा तो ममता बनर्जी को भी माना जाएगा…. राहुल गांधी के हिसाब से फर्क ये था कि अखिलेश यादव पूरी तरह साथ थे…. और ममता बनर्जी पूरी तरह खिलाफ नहीं थीं….
बता दें कि ये लोकसभा के चुनाव नतीजे ही रहे जिनकी बदौलत नेता प्रतिपक्ष बनते ही राहुल गांधी लोकसभा में दहाड़ने लगे कि वे लोग बीजेपी को गुजरात जाकर भी हराएंगे…. ऐसा भी नहीं कि राहुल गांधी पहले नहीं दहाड़ते थे….. लेकिन बॉडी लैंग्वेज में फर्क तो साफ साफ देखने को मिल रहा था…. नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी का कॉन्फिडेंस लेवल देखने लायक था….. लेकिन उसके पहले सिर्फ ऐंठन या कहें एटीड्यूड नजर आता था…. जनता का साथ मिलता है तो ऐसा ही होता है…. वहीं एग्जिट पोल से लग रहा है कि महाराष्ट्र और झारखंड ही नहीं…. उत्तर प्रदेश में भी बीजेपी बढ़त बनाने वाली है…. बुरी खबर तो ये बाकी विपक्षी दलों के लिए भी है….. लेकिन सबसे बुरा तो राहुल गांधी को ही लग रहा होगा…. ये लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को मिली कामयाबी ही थी….. जिसकी बदौलत राहुल गांधी राजनीतिक गतिविधियों में पहले के मुकाबले ज्यादा एक्टिव होकर हिस्सा लेने लगे थे…. राहुल गांधी की राजनीति में बदलाव भी देखने को मिलने लगा था….
वहीं पहले की तरह अब वो चुनाव कैंपेन बीच में छोड़ कर विदेश यात्रा पर नहीं चले जाते…. चुनावी तैयारियों में पहले के मुकाबले ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं….. और गठबंधन साथियों के साथ मिलने से भी बचते फिर रहे हों…. अब ऐसा नहीं लगता…. लेकिन कहीं कहीं चूक तो हो रही है….. हरियाणा विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए काफी मुश्किल चुनाव था….. लेकिन बीजेपी ने कांग्रेस को खड़ा ही नहीं होने दिया…. ये वही बीजेपी है जो लोकसभा चुनाव में चूक गई थी…., और अपने बूते बहुमत भी हासिल नहीं कर पाई…. केंद्र में दो हजार चौदह से एनडीए की सरकार है….. लेकिन दोनो ही चुनावों में बीजेपी के पास अपने दम पर बहुमत हासिल था…. ऐसा पहली बार है कि बीजेपी सत्ता में बने रहने के लिए चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी और नीतीश कुमार की जेडीयू पर पूरी तरह निर्भर है…..
आपको बता दें कि बीजेपी की कमजोरी को देखते हुए ही राहुल गांधी को लगने लगा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लगातार तीसरी बार बनी बीजेपी की सरकार के लिए कार्यकाल पूरा करना मुश्किल होगा…. या, ये भी हो सकता है कि अगर नायडू या नीतीश का मन बदला तो इंडिया ब्लॉक को भी सरकार बनाने का मौका मिल सकता है…. लेकिन, बीजेपी तो तेजी से आगे बढ़ती लग रही है…. और, ममता बनर्जी के प्रति नरम रुख अपनाकर लगता है…. ऑप्शन खुला रखना चाहती है…. अगर नायडू और नीतीश का मन बदल ही गया तो संभालने के लिए कोई तो चाहिये…. बाहर से ही सपोर्ट देने वाला ही सही…. वहीं ये ठीक है कि राहुल गांधी बीजेपी के खिलाफ कोई मौका नहीं जाया नहीं जाने देते…. जाने माने कारोबारी गौतम अडानी के साथ दिल्ली में शरद पवार, अजित पवार और अमित शाह वाली मीटिंग का मुद्दा भी राहुल गांधी ने जोर शोर से उठाया…. और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लेटेस्ट स्लोगन ‘एक हैं तो सेफ हैं’ का मतलब भी राहुल गांधी ने अपने तरीके से समझाया….. और उसमें भी अडानी फैक्टर जोड़ दिया….
लेकिन क्या महाराष्ट्र चुनाव जीतने के लिए इतना ही काफी था…. राहुल गांधी के लिए महत्वपूर्ण तो झारखंड चुनाव भी रहा…. लेकिन उसके मुकाबले महाराष्ट्र में हिस्सेदारी ज्यादा थी…. लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन की वजह से महाराष्ट्र में कांग्रेस मुख्यमंत्री पद की भी दावेदार थी…. लेकिन महाराष्ट्र में भी हरियाणा जैसा ही झटका लगा है…. एग्जिट पोल रिजल्ट से तो अभी ऐसा ही लगता है…. लोकसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि INDIA गठबंधन का मजबूती से मैदान में डटे रहना कांग्रेस के लिए किसी म्युचुअल बेनिफिट स्कीम के कारगर होने जैसा है…. गठबंधन से कांग्रेस को तो फायदा हो ही रहा है….. क्षेत्रीय दलों को भी कांग्रेस का फायदा मिल रहा है…. लोकसभा चुनाव में यूपी में, और जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में भी ये बात देखने को मिली है…. लेकिन एक बात ये भी समझ में आ रही है कि कांग्रेस ठीक से गठबंधन धर्म निभा नहीं पा रही है….
बता दें कि जम्मू-कश्मीर में आम आदमी पार्टी का एक विधानसभा सीट जीत लेना चांस की बात हो सकती है…. लेकिन वो तो ऐसा गुजरात और गोवा में भी कर चुकी है…. दिल्ली के बाद पंजाब में तो कांग्रेस से ही सत्ता छीन चुकी है…. ऐसे में कांग्रेस को आम आदमी पार्टी ही नहीं, सभी सहयोगी दलों का महत्व समझना होगा….. क्षेत्रीय दलों की अहमियत तो खास तौर पर कांग्रेस को समझ लेनी होगी…. अगर यूपी में समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव का साथ नहीं मिला होता तो कांग्रेस के लिए रायबरेली को बरकरार रखना… और अमेठी में वापसी शायद ही संभव हो पाती…. वहीं चुनावी गठबंधन फाइनल कर लेना ही नहीं….. उसे संभालना भी काफी महत्वपूर्ण होता है…. जम्मू-कश्मीर में राहुल गांधी ने मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ जाकर गठबंधन कर तो लिया…. लेकिन उसे संभाल नहीं पाये. हरियाणा के साथ साथ यूपी उपचुनाव में भी वैसा ही उदाहरण देखने को मिला है…. और दिल्ली विधानसभा चुनाव ताजातरीन उदाहरण है….
आपको बता दें कि हरियाणा चुनाव में आम आदमी पार्टी को लेकर खबर आई थी कि कांग्रेस उसे मनपसंद सीटें भी नहीं दे रही थी…. इसलिए गठबंधन नहीं हो सका…. अखिलेश यादव को तो गठबंधन में सीटें ही नहीं मिलीं…. और उसकी कीमत कांग्रेस को यूपी उपचुनाव में चुकानी पड़ी…. ताली तो हर जगह दोनो हाथों से ही बजती है…. लेकिन महत्वपूर्ण ये भी होता है कि कौन पक्ष हाथ बढ़ा रहा है…. और कौन हाथ पीछे खींच रहा है…. क्षेत्रीय दलों की विचारधारा को लेकर राहुल गांधी के बयानों से ही लगता है कि वो ऐसे नेताओं को भी हेय दृष्टि से देखते हैं…. और, क्षेत्रीय दलों के नेताओं की तरफ से भी राहुल गांधी की ऐसी बातों पर काफी सख्त प्रतिक्रिया बताई गई है… वहीं ध्यान से देखें तो राहुल गांधी संसद में कहने लगे थे कि बीजेपी को गुजरात तक पहुंच कर हराएंगे…. लेकिन हरियाणा में ही लुढ़क गये…. जबकि बीजेपी को हराने का बेहतरीन मौका था…. जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला के साथ गठबंधन तो किये, लेकिन कांग्रेस मंत्रिमंडल में शामिल नहीं हुई…. अब तो लगता भी नहीं कि कांग्रेस सत्ताधारी गठबंधन की हिस्सेदार है….
राहुल गांधी को अब गंभीरता से सोचना चाहिये कि गलती कहां हुई…. और हो रही है…. महाराष्ट्र में और महाविकास अघाड़ी में ही उद्धव ठाकरे को सभी ने ठुकराया… असल में, हर गठबंधन सहयोगी की निगाह मुख्यमंत्री पद पर थी…. लोकसभा चुनाव में मिलजुल कर लड़े…. लेकिन मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर बिखर गये… और एग्जिट पोल भी यही इशारे कर रहा है…. अब तो ये भी जरूरी नहीं कि उद्धव ठाकरे विपक्षी खेमे में ही बने रहेंगे…. जिस चीज के लिए बीजेपी का साथ छोड़ा था…. वो नहीं मिलेगा तो उद्धव ठाकरे साथ रहकर क्या करेंगे…. मुख्यमंत्री पद भले न मिले…. लेकिन बीजेपी के साथ ज्यादा ही खुश रहेंगे…. और अगर ऐसा हुआ तो राहुल गांधी के लिए बिल्कुल अच्छा नहीं होगा….
इसी बीच शिवसेना (UBT) नेता संजय राउत की प्रतिक्रिया आई है…. और उन्होंने कहा कि मैं दावे से कह रहा हूं हम एक सौ साछ से एक सौ पैंसठ सीटें जीत रहे हैं…. हम और हमारे साथी मिलकर बहुमत का आकंड़ा छू रहे हैं…. एमवीए की सरकार बनेगी और मुख्यमंत्री कौन होगा, ये सभी नेता बैठकर तय करेंगे…. वहीं कांग्रेस से नाना पटोले के सीएम का चेहरा होने के दावे पर राउत ने कहा कि अगर ऐसा है तो राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे को आगे आकर सीएम का नाम घोषित करना चाहिए…. और उन्होंने कहा कि एमवीए की पूर्व बहुमत से सरकार बनेगी, जो पांच साल चलेगी…. निर्दलीय और छोटी पार्टियों के साथ क्या करना है…., चुनाव परिणाम के बाद देखेंगे…. आज और कल हमारे पास दो दिन है…. हम संभावित परिणामों पर चर्चा करेंगे….