चुनाव आयोग का आदेश मिलते ही चुनाव के लिए तैयार होगा जम्मू-कश्मीर: मनोज सिन्हा
नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर को विशेष अधिकार देने वाले आर्टिकल 370 में बदलाव और राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में तब्दील किए जाने को चार साल का समय हो गया है। इस दौरान जम्मू कश्मीर में हिंसा खत्म हो गई है और अब वहां जल्द ही चुनाव भी कराए जा सकते हैं। ये कहना है जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा का।
एक इंटरव्यू में सिन्हा ने बताया कि जम्मू कश्मीर में इस दरमियान टूरिज्म काफी बढ़ गया है और नए रोजगार भी पैदा हो रहै हैं। इसी दौरान सिन्हा ने कहा कि अब जैसे चुनाव आयोग आदेश देगा वैसे ही जम्मू कश्मीर का प्रशासन चुनाव कराने के लिए तैयारी शुरू कर देगा।
एक इंटरव्यू में सिन्हा ने कहा कि आर्टिकल 370 से जुड़े बिल पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री ने ये आश्वासन दिया था कि पहले जम्मू कश्मीर में परिसीमन होगा फिर विधानसभा चुनाव कराए जाएंगे और सही समय आने पर पूर्ण राज्य का दर्जा भी दिया जाएगा। सिन्हा ने आगे बताया कि परिसीमन आयोग ने निर्वाचन क्षेत्रों की संख्या बढ़ाई हैं। परिसीमन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब 2015 की वोटर लिस्ट को अपडेट किया जाना है।
इसी दौरान जब सिन्हा से सवाल किया गया कि क्या जम्मू कश्मीर चुनाव के लिए तैयार है, तो वो जवाब देते हैं कि सब जानते हैं कि चुनाव कब होने हैं ये चुनाव आयोग तय करता है। जब भी चुनाव आयोग तय करेगा कि ये चुनाव कराने का सही समय है और वो तारीखों का ऐलान करेगा, वैसे ही हम चुनाव आयोग के आदेशों के पालन की तैयारी में जुट जाएंगे। फिलहाल तो राज्य में सांसद हैं और स्थानीय निकाय के चुनाव हो चुके हैं।
जम्मू कश्मीर के मौजूदा हालातों के बारे में बताते हुएसिन्हा कहते हैं कि आर्टिकल 370 में बदलाव के बाद अब यहां सडक़ों पर होने वाली हिंसा पूरी तरह से बंद हो चुकी है। उन्होंने बताया कि पहले यहां साल के 150 दिन अलगाववादी बंद बुलाते थे, जिससे व्यापार और आम जीवन थम जाता था। अब ये बात इतिहास बन चुकी है। अब यहां लोगों पर सूरज ढलते ही घर जाने की बंदिश नहीं होती, बल्कि वो रात में झेलम किनारे आइसक्रीम खाते हैं और गिटार बजाते हैं। 34 सालों में पहली बार मुहर्रम का जुलूस निकाला गया और वो भी पूरी तरह शांतिप्रिय ढंग से।
जम्मू कश्मीर के मौजूदा हालात बताते हुए सिन्हा कहते हैं कि जम्मू कश्मीर में अपराध काफी कम है। सीमा पर भी शांति है। पाकिस्तान के आतंकी संगठनों ने घुसपैठ के पूरे प्रयास किए लेकिन वो असफल रहे। जम्मू कश्मीर के लिए केंद्र की नीति मोदी सरकार के आने के बाद बदली है। केंद्र यहां स्थाई शांति चाहता है। अब केंद्र का मकसद बंदूक उठाने वाले आतंकियों को मारने का ही नहीं बल्कि इस पूरे इको सिस्टम को खत्म करने का है।