सावन में कामिका एकादशी का विशेष संयोग, व्रत का पारण होगा मंगला गौरी व्रत के दिन

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी माना गया है। जितना महत्व एकादशी के व्रत का होता है, उतना ही महत्व उसके पारण यानी व्रत खोलने का भी होता है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: हिंदू धर्म में एकादशी व्रत को अत्यंत पवित्र और पुण्यदायी माना गया है। जितना महत्व एकादशी के व्रत का होता है, उतना ही महत्व उसके पारण यानी व्रत खोलने का भी होता है। यह पारण व्रत के अगले दिन विशेष विधि से किया जाता है।

कामिका एकादशी, सावन माह की विशेष एकादशी

सावन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को कमिका एकादशी कहा जाता है। यह एकादशी धार्मिक दृष्टिकोण से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस बार कामिका एकादशी का व्रत सावन के दूसरे सोमवार के दिन रखा गया, जिससे यह व्रत और भी अधिक शुभ और फलदायी हो गया है।

विष्णु और शिव भक्ति का मिलेगा संयुक्त फल

एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है, वहीं सावन मास में सोमवार का दिन भगवान शिव की अराधना के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। ऐसे में इस बार का कामिका एकादशी व्रत विष्णु और शिव भक्ति का अनोखा संयोग लेकर आया है। श्रद्धालु एक साथ दोनों देवताओं की कृपा प्राप्त कर सकते हैं।

पारण होगा मंगला गौरी व्रत के दिन

कामिका एकादशी व्रत का पारण अगले दिन, यानी मंगलवार को किया जाएगा, जो कि मंगला गौरी व्रत का दिन है। मंगला गौरी व्रत सुहागन स्त्रियों के लिए विशेष फलदायी माना जाता है। इस तरह एकादशी पारण और मंगला गौरी व्रत का योग धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ संयोग बना रहा है।

व्रत से जुड़े लाभ धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, एकादशी व्रत से पापों का नाश, मन की शुद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है। सावन जैसे पवित्र माह में यह व्रत रखने से अनेक गुना पुण्य फल प्राप्त होता है। सावन के इस पावन अवसर पर यदि भक्त कामिका एकादशी व्रत विधिपूर्वक करें और भगवान विष्णु एवं शिव की पूजा करें, तो उन्हें धार्मिक, मानसिक और आध्यात्मिक शांति का अनुभव होगा।

कब करें एकादशी के व्रत का पारण?

एकादशी व्रत के अगले दिन सूर्योदय के बाद पारण किया जाता है. एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना अति आवश्यक है. द्वादशी तिथि सूर्योदय से पहले समाप्त हो गयी हो तो एकादशी व्रत का पारण सूर्योदय के बाद ही होता है.

व्रत तोड़ने के लिये सबसे उपयुक्त समय प्रातःकाल होता है. व्रत करने वाले श्रद्धालुओं को मध्याह्न के दौरान व्रत तोड़ने से बचना चाहिए. कुछ कारणों की वजह से अगर कोई सुबह के समय पारण नहीं कर पाता तो उसे मध्याह्न के बाद पारण करना चाहिए.

कामिका एकादशी 2025 व्रत पारण

22 जुलाई को कामिका एकादशी के व्रत का पारण किया जाएगा. इस दिन सुबह 05:37 से 07:05 के बीच आप व्रत का पारण कर सकते हैं. पारण तिथि के दिन द्वादशी सुबह 07:05 मिनट पर समाप्त होगी.

कामिका एकादशी व्रत पारण की विधि

व्रत पारण के दिन सुबह स्नान करने के बाद साफ कपड़े धारण करें. सूर्य देव को अर्घ्य दें. मंदिर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें. भगवान विष्णु के सामने देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें. मंत्रों का जप और विष्णु चालीसा का पाठ करें. प्रभु को सात्विक चीजों का भोग लगाएं. जरूरमंदों में अन्न और धन समेत आदि चीजों का दान करें. खुद भी प्रसाद ग्रहण करें.

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