मानहानि मामले में कंगना को सजा मिलना तय

- सुप्रीम कोर्ट ने किसी भी तरह की राहत देने से मना किया
- कंगना ने किसान आंदोलन में की थी टिप्पणी- यह वही बिलकिस बानो दादी है जो शाहीन बाग प्रदर्शन का हिस्सा थी
- मथुरा मामला नार्मल चलेगा
- भाजपा सांसद को जमकर लगी फटकार
- खालिद उमर केस मे सुनवाई टली
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाईयों को अहम दिन रहा। सुप्रीम कोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मामले की सुनवाई हुई। वहीं बीजेपी सांसद कंगना रनौत को मानहानि के मुकदमें मे कोर्ट ने इतनी फटकार लगाई कि उन्हें अपना मुकदमा ही वापस लेना पड़ा। मानहानि मामले में फिल्म अभिनेत्री और सांसद कंगना रनौत को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली।
सुप्रीम कोर्ट ने शिकायत रद्द करने से जुड़ी उनकी याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। जिसके बाद कंगना ने अपनी याचिका वापस ले ली। 2020-21 के किसान आंदोलन के दौरान कंगना रनौत के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का मामला कोर्ट में था। कंगना पर आरोप है कि उन्होंने महिला किसान महिंदर कौर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद महिंदर कौर ने कंगना के खिलाफ मानहानि की शिकायत दर्ज कराई थी। सांसद ने इस शिकायत को रद्द करने के लिए चंडीगढ़ हाईकोर्ट का रुख किया लेकिन वहां से राहत नहीं मिली। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।

ट्वीट पर टिप्पणी करने से कोर्ट का इंकार
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। उन्होंने याचिकाकर्ता से कहा कि हम आपके ट्वीट पर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे इससे ट्रायल पर असर पड़ेगा। ये सिर्फ एक साधारण री-ट्वीट नहीं था इसमें आपकी टिप्पणी भी शामिल थी। इसके बाद कंगना के वकील ने कोर्ट से याचिका वापस ले ली। कंगना रनौत ने किसान आंदोलन के दौरान अपने रिट्वीट में महिंदर कौर की फोटो शेयर की थी और लिखा था कि यह वही बिलकिस बानो दादी है जो शाहीन बाग प्रदर्शन का हिस्सा थी।
हाईकोर्ट से पहले ही मामला हो चुका है खारिज
इससे पहले पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 1 अगस्त को कंगना रनौत की याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता एक सेलिब्रिटी हैं और उन पर गंभीर आरोप हैं कि उनके रीट्वीट में लगाए गए झूठे और मानहानिकारक आरोपों से प्रतिवादी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है। इससे न केवल उनकी छवि दूसरों की नजरों में कमजोर हुई है बल्कि उनकी खुद की नजर में भी धक्का लगा है। इसलिए प्रतिवादी द्वारा अपने अधिकारों की रक्षा के लिए शिकायत दर्ज करना दुर्भावनापूर्ण नहीं माना जा सकता।
खालिद उमर केस की सुनवाई 19 को
सुप्रीम कोर्ट ने 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश से जुड़े यूएपीए मामले में उमर खालिद, शरजील इमाम, गुलफिशा फातिमा और मीरान हैदर की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई 19 सितंबर तक स्थगित कर दी है। अदालत ने कहा कि उन्हें फाइलें देर से मिलीं। सुप्रीम कोर्ट में दायर अपील में दो सितंबर के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी गयी थी जिसमें खालिद और इमाम सहित नौ लोगों को जमानत देने से इनकार कर दिया गया था। उच्च न्यायालय ने कहा था कि नागरिकों द्वारा प्रदर्शनों की आड़ में षड्यंत्रकारी हिंसा की अनुमति नहीं दी जा सकती। जिनकी जमानत खारिज की गई उनमें खालिद, इमाम, फातिमा, मोहम्मद सलीम खान, शिफा उर रहमान, अतहर खान, मीरान हैदर, अब्दुल खालिद सैफी और शादाब अहमद शामिल हैं। एक अन्य अभियुक्त तस्लीम अहमद की जमानत याचिका दो सितंबर को उच्च न्यायालय की एक अलग पीठ ने खारिज कर दी थी।



