सूरत हादसे को लेकर हुआ बड़ा खुलासा, फर्जी फायर NOC जारी कर दी गई हादसे को दावत

सूरत के शिवशक्ति टेक्सटाइल मार्केट में बीते सोमवार को लगी आग से 48 घंटे से भी कम समय में करीब 800 करोड़ रुपये की संपत्ति जलकर खाक हो गई... एक व्यक्ति की जान चली गई

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों यदि आप गुजरात में किसी इमारत के लिए पहली फायर एनओसी प्राप्त करना चाहते हैं…… तो यह अनुमति फायर ब्रिगेड द्वारा दी जाती है….. लेकिन यदि एनओसी का नवीनीकरण कराना हो तो यह अधिकार एफएसओ (फायर सेफ्टी ऑफिसर) के पास है….. लेकिन यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि भले ही नाम में ‘अधिकारी’ शब्द आता है…… लेकिन एफएसओ सरकार द्वारा नियोजित कोई कर्मचारी या अधिकारी नहीं है…… सरकार उन्हें वेतन भी नहीं देती….. एफएसओ एक प्रकार का आउटसोर्सिंग कार्य करता है…… यदि एफएसओ सरकार द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन करते हुए पत्र जारी करता है…… तो उसे फायर एनओसी माना जाता है….. बता दें कि भवन का मालिक, प्रबंधक या ट्रस्ट एनओसी की समीक्षा के लिए एफएसओ को शुल्क का भुगतान करता है…… पहले भुगतान की जाने वाली फीस की राशि भी स्पष्ट नहीं थी…… हालांकि, 14 अगस्त 2024 को राज्य सरकार ने एक परिपत्र जारी किया….. जिसमें निर्धारित किया गया कि एफएसओ कितना शुल्क ले सकता है…… यानी कि शिवशक्ति टेक्सटाइल्स को मात्र 15 हजार रुपए खर्च करके फायर एनओसी मिल गई थी…..

वहीं जहां आग लगी थी…… की नवीनीकृत फायर एनओसी की प्रति….. और इसे जारी करने वाले फायर सेफ्टी अधिकारी निकुंज पडसाला की जानकारी भी मिली…… एफएसओ निकुंज पडसाला ने 3 मार्च 2024 को फायर एनओसी का नवीनीकरण किया था…… यहां चौंकाने वाली बात यह भी है कि फायर एनओसी प्रमाणपत्र का नवीनीकरण जिसके नाम पर किया गया….. वह नाम है दिव्येश ढोला…… जबकि दिव्येश ढोला इस इमारत में न तो व्यापारी है….. न ही वहां का प्रबंधक या मालिक….. एफएसओ निकुंज पडसाला का कार्य भी आंखें खोलने वाला है…… सरकार ने लगभग 14 महीने पहले 13 दिसंबर 2023 को एफएसओ के लिए राजपत्र जारी किया था…… जबकि इससे पहले निकुंज 333 भवनों की एनओसी का नवीनीकरण कर चुका है…… एफएसओ की सूचना वेबसाइट पर अपलोड की गई डिटेल में इमारत का एक भी निरीक्षण या मॉक ड्रिल करने का जिक्र नहीं है…… नियमों के अनुसार, एफएसओ को उन भवनों में हर छह महीने में एक बार मॉक ड्रिल करनी होती है…… जिनके फायर एनओसी का नवीनीकरण हो चुका है…..

आपको बता दें कि दिव्येश ढोला की दूसरी भूमिका भी दिलचस्प है….. जांच से पता चला कि दिव्येश ढोला, निकुंज पडसला और तेजस तेजानी तीन लोग मिलकर सूरत में सेफ केयर एंटरप्राइजेज नाम की एक फर्म चलाते हैं…… जिसके प्रबंध निदेशक दिव्येश ढोला हैं…… इससे साफ है कि शिवशक्ति टेक्सटाइल मार्केट के लिए फायर एनओसी के नवीनीकरण में बैठे-बैठे पूरा खेल हो गया…… एक साझेदार ने आवेदन किया और दूसरे ने फायर एनओसी दे दी….. वहीं दिव्येश ढोला सूरत नगर निगम में अग्नि सुरक्षा सलाहकार हैं….. उनका एसएमसी फायर रजिस्ट्रेशन नंबर भी प्राप्त कर लिया गया है…… जिसमें उनकी फर्म सेफ केयर एंटरप्राइजेज को 25 मीटर तक की इमारतों के लिए फायर एनओसी को नवीनीकृत करने का अधिकार है…… सूरत नगर निगम की वेबसाइट पर दी गई…. इस जानकारी में दिव्येश ढोला और उनके साथी तेजस तेजानी के मोबाइल नंबर भी शामिल हैं…..

इसका मतलब यह है कि दिव्येश ने ऑनलाइन आवेदन में अपने ही साथी निकुंज पडसाला का नाम एफएसओ के रूप में चुना था…… इतना ही नहीं फायर एनओसी मिलने के बाद दिव्येश ने अपने ही पार्टनर निकुंज को 5 स्टार रेटिंग दी…… तो सवाल यह उठता है कि क्या कोई तीसरा पक्ष किसी अन्य के स्वामित्व वाली या उसके द्वारा प्रशासित संपत्ति के लिए आवेदक बन सकता है….. शिवशक्ति टेक्सटाइल मार्केट के प्रबंधन और व्यापारियों ने फायर एनओसी के नवीनीकरण के मामले को शायद हल्के में लिया है…… दिव्य भास्कर ने इस स्थिति को समझने के लिए दिव्येश ढोला के पार्टनर और एफएसओ निकुंज पडसला से बात की…… निकुंज ने खुद स्वीकार किया कि पिछले साल शिवशक्ति टेक्सटाइल्स के लिए फायर एनओसी का नवीनीकरण उन्होंने ही किया था…..

आपको बता दें कि मई 2019 में सूरत के तक्षशिला कॉम्प्लेक्स में आग लग गई थी….. जिसमें 22 निर्दोष लोगों की मौत हो गई थी…… इस त्रासदी को अभी बमुश्किल साढ़े छह साल ही हुए हैं…… इस बीच, सूरत में अग्निशमन विभाग के दफ्तरों में अभी भी कई कुर्सियां खाली हैं….. इसका मतलब यह है कि सिस्टम आग के प्रति गंभीर नहीं है…… तक्षशिला कॉम्प्लेक्स मामले में कुल 13 आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया….. इसमें कोचिंग क्लास प्रशासक, भवन मालिक और सूरत नगर निगम के अधिकारियों के नाम शामिल थे…… इसमें भी जांच अधिकारियों को अग्निशमन विभाग के उप मुख्य अग्निशमन अधिकारी संजय आचार्य…. और अग्निशमन अधिकारी कीर्ति मोध की संलिप्तता का संदेह है…..

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