अयोध्या में हारने से भाजपा की प्रतिष्ठा पर उठे सवाल, उपचुनाव में ट्रंपकार्ड खेल सकती है BJP

18वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव के नतीजों के बाद अब केंद्र सरकार का गठन हो चुका है। ऐसे में अब सभी की निगाहें उत्तर-प्रदेश की ओर टिकी हुई है...

4PM न्यूज़ नेटवर्क: 18वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव के नतीजों के बाद अब केंद्र सरकार का गठन हो चुका है। ऐसे में अब सभी की निगाहें उत्तर-प्रदेश की ओर टिकी हुई है। सबसे बड़ी वजह ये है कि यूपी में अगले कुछ महीनों में उपचुनाव होने वाले हैं। 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए हलचलें अभी से शुरू हो गईं हैं। इसमें से फैजाबाद (अयोध्या) लोकसभा की मिल्कीपुर विधानसभा भी शामिल है। वहीं फैजाबाद से लोकसभा चुनाव हारने के बाद यह सीट भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है।

इसके साथ ही मिल्कीपुर सीट से विधायक रहे सपा के अवधेश प्रसाद के सांसद निर्वाचित होने के बाद यहां अब उपचुनाव होना है। सपा नेता ने विधानसभा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया है। वहीं लोकसभा चुनाव में हार का सामना करने वाली भाजपा में इस सीट पर एक बार कब्जा जमाने के मकसद से चर्चाएं तेज हो गईं हैं। बताया जा रहा है कि अयोध्या की हार से उबरने के लिए BJP मिल्कीपुर की सीट के लिए अपना ट्रंपकार्ड खेलने वाली है। यहां से BJP प्रत्याशी का नाम चौंकाने वाला हो सकते हैं। क्योंकि BJP यह सीट किसी भी कीमत पर जीतना चाहेगी है जिससे फैजाबाद में मिली हार को बैंलेस किया जा सके।

यूपी की हॉट-सीट अयोध्या की होगी समीक्षा बैठक

जानकारी के अनुसार यूपी मे बीजेपी की समीक्षा रिपोर्ट 25 जून तक आ सकती है। यूपी में बीजेपी की हार की समीक्षा के दौरान एक खास पैटर्न में वोट कम होने की जानकारी सामने आई है। ऐसे में हार के कारणों में आरक्षण के मुद्दे से लेकर, जातीय गोलबंदी, कोआर्डिनेशन की कमी  का कारण अभी तक की जांच-पड़ताल में पर उभरकर सामने आया है।

सूत्रों का दावा है कि हार के अभी तक सामने आए कारणों में कुछ ऐसे कदम जिनसे विपक्ष के वोट एकजुट हुए।  इसमें जातीय गोलबंदी, कार्यकर्ताओं और जनप्रतिनिधियों की सुनवाई न होना, अफ़सरशाही, अतिआत्म विश्वास और  आरक्षण को लेकर पैदा हुई गलतफहमी बताई जा रही है।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • 80 लोकसभा सीटों पर समीक्षा हो रही है।
  • 40 लोगों की टीम समीक्षा कर रही है।
  • पूर्व से लेकर पश्चिम तक एक ख़ास पैटर्न में बीजेपी के वोट कम हुए।
  • औसतन करीब 6 से 7 फीसदी वोटों की कमी का पैटर्न पाया गया।

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