कागज में स्मार्ट बन रहा लखनऊ!

सीवर व सफाई कागजी दावे हवाहवाई, जगह-जगह गंदगी के अंबार

  • लोग बदबू से बेजार
  • जगह-जगह चोक है नाली

मो. शारिक/4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ । प्रदेश की राजधानी लखनऊ कागजों पर स्मार्ट हो रही है पर हकीकत क्या है इसके लिए शहर उन इलाकों में जाकर देखा जाए जहां आज भी बुनियादी चीजें मयस्सर नहीं है। राजधानी लखनऊ में जगह-जगह सीवर चोक हैं गंदगी का चारों तरफ अम्बार लगा है कागजों पर हर दिन बड़े पैमाने पर साफ सफाई का अभियान चलाया जाता है सीवर सफाई व मेंटेनेंस के नाम पर लाखों का बंदरबांट किया जा रहा है जिसका नतीजा है कि राजधानी लखनऊ के कई इलाके सभी विषयों में बहते हुए सीवर व दुर्गंध से परेशान रहते हैं वहीं राजधानी के कई इलाके ऐसे हैं जहां पर सफाई व कड़ा नहीं उठाया जाता है ऐसी ही राजधानी के अलग-अलग तस्वीरों से आपको रूबरू कराएंगे।
आम जनता अगर समय पर जल कल वह हाउस टैक्स जमा ना करें तो विभाग घरों पर नोटिस चस्पा कर देता है यहां तक कि कह दिया जाता है कि अगर समय पर आपके द्वारा टैक्स का भुगतान नहीं किया गया तो कुर्की की कार्रवाई होगी जनता समय पर टैक्स जमा करती है बदले में जनता को सिर्फ मायूसी मिलती है। हर वार्ड में सैकड़ों की तादाद में सफाई कर्मचारी तैनात किए गए ताकि जनता को साफ-सुथरी सडक़ स्वच्छ वातावरण मुहैया कराया जा सके लेकिन हकीकत इसके विपरीत नजर आती है। सीवर सफाई व मेंटेनेंस के लिए एक प्राइवेट कंपनी को जिम्मेदारी दी गई है बावजूद इसके राजधानी के हर वार्ड में सीवर की क्या स्थितियां हैं वह जगजाहिर है गर्मी हो बरसात हो या सर्दी का मौसम हर मौसम में सीवर उफान पर रहते हैं।

जोन-6 में गंदगी का अंबार

नगर निगम के जोन 6 में 15 सौ से अधिक सफाई कर्मचारियों की तैनाती सरकारी रजिस्टर में दर्ज है उसके बावजूद जोन 6 में सफाई का आलम यह है कि जगह-जगह कूड़े का अंबार लगा हुआ है सीवर लीकेज है पानी सडक़ पर बह रहा है बदबूदार पानी सडक़ पर फैलने से सडक़ से निकलने वाली जनता को परेशानी का सामना करना पड़ता है जनता बताती है कि सफाई कर्मचारी कभी कबार साफ सफाई करने आ जाते हैं अन्यथा सफाई होती ही नहीं है जिसका नतीजा है कि जगह-जगह कूड़ा जमा हो गया है कूड़ा जमा होने से कई बीमारियां फैलने की संभावनाएं बढ़ती जा रही है ऐसे में जनता का दर्द सुनने वाला कोई नजर नहीं आ रहा है जनता शिकायत करे तो करे कहां।

ऐसे कैसे बनेगी राजधानी सुंदर

नगर निगम व जलकल विभाग मिलकर जनता की समस्याओं का निजात करने में विफल साबित होते नजर आ रहे है। आज हम आपको राजधानी के शीतला देवी भवानी गंज हैदरगंज प्रथम द्वितीय तृतीय सहादतगंज दौलतगंज बालागंज कन्हैया माधवपुर प्रथम द्वितीय मातादीन रोड की वास्तविक स्थिति ऐसी है कि गालियां चोक है पानी स?क पर बह रहा है जनता की शिकायत के बावजूद कोई सुनवाई नही हो पा रही है। स्थानीय निवासी बताते है कि डीएल लॉन से बालागंज तक पानी निकासी के लिए नाला वर्षों पूर्व बनाया गया था। जनता को लगा था अब समस्या का निदान हो जाएगा लेकिन नगर निगम की उदाशीनता का नतीजा यह है कि पूरा नाला चोक हो गया है जनता को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में कैसे स्मार्टसिटी की कल्पना की जा सकती है।

सफाई कर्मियों को दिए गये 7 हजार मोबाइल का कुछ पता नही

लखनऊ में तैनात रहे पूर्व नगर आयुक्त अजय द्विवेदी ने सफाई की व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सफाई कर्मचारियों को 7000 मोबाइल फोन सिम के साथ वितरित किए थे आज वह मोबाइल फोन सिम कहां है किसके पास है मोबाइल का क्या हुआ इसकी जानकारी कोई देने को तैयार नहीं है आखिरकार 7000 मोबाइल फोन व सीम कार्ड खरीदने में लाखों रुपए की बर्बादी क्यों की गई जिन सफाई कर्मचारियों को मोबाइल फोन उपलब्ध कराया गया था उनसे मोबाइल फोन्स की जानकारी क्यों नहीं ली जा रही है यह एक बड़ा भ्रष्टाचार नगर निगम में पनप रहा है। 7000 मोबाइल फोन की विस्तृत जांच कराने की आवश्यकता है जो कि जनता के टैक्स से दिए गए पैसे से इन मोबाइल फोंस को खरीदा गया था ऐसे में नगर निगम की 7000 मोबाइल फोन की संपत्तियों का क्या हुआ जनता भी जानना चाहती है।

नहीं देते सफाई कर्मियों की सूची

राजधानी जैसे बड़े शहर की सफाई की जिम्मेदारी संभालने वाले डॉक्टर सुनील कुमार रावत से जब कार्यदायी संस्थाओं में कार्यरत कर्मियों की सूची मांगी जाती है तो गोल मोल जवाब देकर सूची उपलब्ध नही कराई जाती है। ऐसे में सवाल ये उठता है जिन सफाई कर्मियों के नाम पर भुगतान किया जा रहा है क्या वाकई में वह सफाई कर्मी काम करता है या सिर्फ लिस्ट में नाम दिखाकर भुगतान कराया जा रहा है।

मेंटिनेंस के नाम पर कर रहा खानापूर्ति

जीएम जलकल राम कैलाश से कई बार राजधानी के अलग-अलग जोनों की सीवर सफाई व मेंटिनेंस के लिए शिकायत की जाती है शिकायत का संज्ञान लिया जाता है शिकायत स्थल पर कुछ कर्मियों को भेज कर खानापूर्ति करवा दी जाती है। जिसका आलम यह कि कुछ दिन बाद फिर उसी जगह पर पानी लीकेज व सीवर लीकेज की समस्या उभर आती है। ऐसे में जनता के टैक्स का दुरुपयोग कर कुछ जिम्मेदार अधिकारी कर्मचारी व प्राइवेट कंपनी अपनी जेबें भरने का काम कर रहे है।

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