सर्वोच्च न्यायाल को मिले दो नए जज, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और सीनियर एडवोकेट केवी विश्वनाथन ने ली शपथ

नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा और सीनियर एडवोकेट केवी विश्वनाथन ने सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। वहीं, इस शपथ ग्रहण समारोह में सुप्रीम कोर्ट के सभी जज समारोह में मौजूद रहे हैं। दोनों जजों को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ ने शपथ दिलाई। सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 16 मई को केंद्र से प्रशांत कुमार मिश्रा और विश्वनाथन को हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में प्रमोट करने की सिफारिश की थी।
न्यायमूर्ति मिश्रा और न्यायमूर्ति विश्वनाथन की नियुक्ति का वारंट गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के कार्यालय से जारी किया गया था। उनकी नियुक्तियों की घोषणा नए कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने ट्विटर पर की। वहीं, आज उनका शपथ ग्रहण समारोह हो गया। सीजेआई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कौल, केएम जोसेफ, अजय रस्तोगी और संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए जस्टिस मिश्रा और विश्वनाथन के नाम की सिफारिश करने का निर्णय लिया था।
सीनियर एडवोकेट केवी विश्वनाथन का जन्म 26 मई, 1996 को हुआ था और वह सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में अपनी नियुक्ति के बाद 25 मई, 2031 तक पद संभालेंगे। न्यायमूर्ति विश्वनाथन 11 अगस्त, 2030 को न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला की सेवानिवृत्ति पर मुख्य न्यायाधीश बन जाएंगे और 25 मई, 2031 तक इस पद पर बने रहेंगे।
बार काउंसिल से सीधे सुप्रीम कोर्ट में नियुक्त होने वाले वकीलों की सूची में विश्वनाथन दसवां नाम बन गया है। वह जस्टिस एसएम सीकरी, यूयू ललित और पीएस नरसिम्हा के बाद भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने वाले चौथे व्यक्ति होंगे। विश्वनाथन ने कोयंबटूर लॉ कॉलेज, भरतियार विश्वविद्यालय से पांच साल की लॉ की डिग्री पूरी की और 1988 में बार काउंसिल ऑफ तमिलनाडु में प्रवेश किया।
केवी विश्वनाथन ने दो दशकों से अधिक समय तक सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस की है। जिसके बाद, उन्हें 2009 में सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया था। विश्वनाथन, पूर्व अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल, संवैधानिक कानून, आपराधिक कानून, वाणिज्यिक कानून, दिवाला कानून और मध्यस्थता सहित विभिन्न विषयों पर मुखर होकर लड़ हैं। बार के एक प्रतिष्ठित सदस्य के रूप में उनके कद को सुप्रीम कोर्ट द्वारा कई मामलों में मान्यता दी गई है, जहां उन्हें न्याय मित्र के रूप में अदालत की सहायता के लिए नियुक्त किया गया था।
आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार मिश्रा को 10 दिसंबर, 2009 को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। जिसके बाद उन्हें 13 अक्टूबर, 2021 को आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनाया गया था। कॉलेजियम ने अपने प्रस्ताव में कहा कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय की वर्तमान संरचना में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।
प्रस्ताव में कहा गया है कि न्यायमूर्ति मिश्रा ने तेरह वर्षों से अधिक समय तक हाईकोर्ट के जज के रूप में कार्य किया है। वहीं उन्होंने यह भी कहा कि प्रशांत हाईकोर्ट के जजों की अखिल भारतीय वरिष्ठता सूची में क्रम संख्या 21 पर हैं, इसलिए सुप्रीम कोर्ट के जज के रूप में उनका नाम नियुक्त किया जाता है। हालांकि, वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में 34 जजों की स्वीकृत संख्या है और वह 32 जजों के साथ काम कर रहा है।
सुप्रीम कोर्ट में आज दो जजों की नियुक्ति होने से अब सुप्रीम कोर्ट में सभी जजों की पूरी क्षमता होगी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट केवल कुछ समय के लिए पूरी क्षमता से काम करेगी क्योंकि शुक्रवार को तीन न्यायाधीशों का अंतिम कार्य दिवस भी है जो जून में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। न्यायमूर्ति केएम जोसेफ, न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमण्यन अगले महीने गर्मी की छुट्टी के दौरान कार्यालय छोडऩे वाले हैं।

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