अशोक सिंह सरीखे अफसरों की वजह से कर्ज तले दबा है लखनऊ नगर निगम

  • मुख्य कर निर्धारण अधिकारी के पद पर बरसों से जमे हैं अशोक सिंह
  • जीआईएस सर्वे में उजागर हुई लापरवाही, कम कर निर्धारण को लेकर मांगा जा चुका है स्पष्टीकरण
  • टैक्स चोरी करा अपनी जेबें भर रहे हैं नगर निगम के अफसर-कर्मचारी, खजाने को लग रही चपत

चेतन गुप्ता
लखनऊ। लखनऊ नगर निगम के खजाने को उसी के अफसर चपत लगा रहे है। मुख्य कर निर्धारण अधिकारी के पद पर तैनात अशोक सिंह 23 साल की नौकरी में साढ़े पांच साल छोड़ लखनऊ नगर निगम में डटे हैं। भवन स्वामियों पर कर के जरिए होने वाली वास्तविक आय कुछ हिस्सा ही खजाने में पहुंच रहा है, शेष अफसरों की जेब में जा रहा है। जीआईएस सर्वे में लापरवाही उजागर होने के बाद अशोक सिंह से शासन स्तर पर स्पष्टीकरण मांगा जा चुका है। इसमें लम्बे अर्से से हो रही टैक्स चोरी का खुलासा हुआ है। मुख्य कर निर्धारण अधिकारी की फौज जानबूझकर सर्वे में लापरवाही बरत रही थी, जिसको लेकर शासन से फटकार मिलने के बाद अब कमान खुद नगर आयुक्त इंद्रजीत सिंह ने संभाल ली है। लखनऊ नगर निगम पर तीन सौ करोड़ का कर्ज है। पिछले वित्त वर्ष में 372 करोड़ की निगम को आय हुई थी। वहीं इस वित्त वर्ष के पांच महीने बीतने पर 170 करोड़ की आय हुई है जो इसी अवधि में पिछले साल की तुलना में 34 करोड़ ज्यादा है। नगर निगम को आय भवनों से कर, होटल-रेस्टोरेंट, गेस्ट हाउस व व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर लगने वाले लाइसेंस शुल्क, रोड कटिंग, अवस्थापना शुल्क व विज्ञापन पटों के जरिए होती है। सूत्रों की माने तो अशोक सिंह के कार्यकाल में करोड़ों की हेराफेरी की गई है। सही जांच हो तो सिर्फ शहर भर में विज्ञापन यानि होर्डिंग्स, यूनीपोल व अन्य माध्यमों में जमकर खेल हो रहा है। टैक्स के मामले में पहले मनमाने ढंग से भवन स्वामियों पर टैक्स थोपते और बाद में संशोधन के नाम पर अपनी स्वार्थ सिद्धि कर राजस्व की हानि करते हैं। यह खेल कई बार पकड़ में आ चुका है।

गौरतलब है कि मुख्य कर निर्धारण अधिकारी का काम देख रहे अशोक सिंह 2014 से इस पद पर जमे हैं। उनके पास सभी 8 जोनों के कर निर्धारण के साथ राजस्व वसूली, अतिक्रमण, निर्वाचन, परिसीमन, उद्यान समिति, प्रचार व मीडिया ब्रीफिंग, विधि, रेंट, सभी प्रकार के लाइसेंस शुल्क व सदन की कार्यवाही, पार्षदी चुनाव, कार्यकारिणी प्रभारी की भी जिम्मेदारी है। जीआईएस सर्वे में लापरवाही और कम कर निर्धारण को लेकर विशेष सचिव नगर विकास ने नोटिस भेज कर इसका स्पष्टीकरण मांगा है। लखनऊ नगर निगम द्वारा सर्वे का महज 70 फीसदी काम हुआ है। इसके लिए अशोक सिंह को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। माना यह भी जा रहा है कि कहीं न कहीं टैक्स चोरी का जो खेल चल रहा है उसी के कारण सर्वे में सुस्ती बरती जा रही है। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नगर निगम क्षेत्र में जीआईएस सर्वे में 1.85 लाख भवन स्वामियों के मकानों का क्षेत्रफल बढ़ा मिला है, जिससे उनका वार्षिक मूल्यांकन बढ़ गया है। नगर निगम ने सर्वे रिपोर्ट मिलने के बाद इन सभी को नोटिस जारी कर दिया है। ऐसे में अब नए सिरे से कर निर्धारण किया जाएगा। नगर निगम ने शहर के भवनों का जियोग्राफिकल इंफारमेशन सिस्टम जीआईएस सर्वे कराया है। कुल 5.82 लाख भवनों की सर्वे रिर्पोट नगर निगम को मिल गई है। रिपोर्ट के मुताबिक 1,85,410 भवनों का वार्षिक मूल्य 25 फीसदी से ज्यादा बढ़ गया है। वार्षिक मूल्य बढ़ने से हाउस टैक्स भी बढ़ गया है। वार्षिक मूल्य क्षेत्रफल बढ़ने से बढ़ा है। सर्वे में भवनों की संख्या बढ़कर 5.91 लाख हो गई है। सर्वे में खुलासा हुआ है कि किस तरह कर अफसर व कर्मी दीमक की तरह नगर निगम को खोखला कर रहे हैं।

महापौर के जनता दरबार में खुल चुकी है टैक्स चोरी की पोल
पिछले दिनों महापौर संयुक्ता भाटिया के सामने लोक मंगल दिवस में ऐसा ही मामला पहुंचा, जब भवन स्वामी ने नगर निगम के चपरासी पर हाउस टैक्स कम करने के लिए रिश्वत मांगने और न देने पर मकान नीलाम करने की धमकी का आरोप लगाया था। गोमतीनगर में भी इसी तरह का मामला सामने आया था, जिसमें भवन स्वामी ने पैसा मांगने का आरोप राजस्व निरीक्षक और लिपिक पर लगाया था। भवन स्वामी ने मांगी गई रकम नहीं दी तो उसके होटल को नीलाम करने की नोटिस जारी कर दी गई थी। अपने फायदे के लिए कर्मचारियों ने कई मंजिला हॉस्पिटल, कॉम्प्लेक्स और रेस्टोरेंट का टैक्स आवासीय कर दिया। इतना ही नहीं, इनका क्षेत्रफल भी कम दिखाया था। इससे नगर निगम के खजाने को दोहरी चोट लग रही है।

अशोक सिंह के आगे नहीं टिक पाए महत्म यादव
अगस्त 2018 में नगर निगम में दो मुख्य कर निर्धारण अधिकारी तैनात रह चुके हैं। उस समय जोन पांच के जोनल अधिकारी रहे महत्म यादव को मुख्य कर निर्धारण अधिकारी के पद पर नई तैनाती दी गई थी। उनको चार जोनों में कर निर्धारण की जिम्मेदारी दी गई थी लेकिन 2020 के बाद एक बार फिर अशोक सिंह को चार्ज दे दिया गया। शासन स्तर पर पैठ होने के चलते तब से लेकर अब तक अशोक सिंह को कोई हिला नहीं पाया।

साढ़े पांच साल छोड़ लखनऊ नगर निगम में जमे हैं
सन 1999 में कर अधीक्षक के पद पर लोक सेवा आयोग से भर्ती हुए अशोक सिंह लखनउ नगर निगम से महज साढ़े पांच सालों के लिए सहारनपुर और गाजियाबाद गए लेकिन उनकी फिर से लखनऊ नगर निगम में बतौर मुख्य कर निर्धारण अधिकारी के रूप में तैनाती हुई। तब से लेकर अब तक वह इस पद पर डटे हैं। निदेशालय से लेकर शासन स्तर पर उनकी जमकर पैठ है। कागजों में दिव्यांग भाई की देखरेख का हवाला देकर वह इस कुर्सी पर लखनऊ नगर निगम में जमे हुए हैं।

भवन स्वामियों की सहूलियत के लिए ऐसा सॉफ्टवेयर डेवलप किया गया है कि वह खुद अपनी संपत्तियों का कर निर्धारण कर सकते हैं और उसे जमा कर सकते हैं। कोई भी नगर निगम का कर्मचारी-अधिकारी टैक्स में घालमेल नहीं कर सकता। इसके लिए फुल प्रूफ व्यवस्था बना ली गई है। सारा रिकॉर्ड ऑनलाइन पोर्टल पर कोई भी देख सकता है।

– इंद्रजीत सिंह, नगर आयुक्त

इंटौजा: मुंडन कराने जा रहे 50 लोग ट्रॉली सहित तालाब में डूबे, 9 की मौत

लखनऊ। इटौंजा के असनहा गद्दीपुरवा में ट्रक ने ट्रैक्टर-ट्राली को टक्कर मार दी। हादसे में मुंडन कराने जा रहे 50 लोगों सहित ट्रैक्टर-ट्रॉली तालाब में पलट गई। हादसे में सभी डूब गये। पुलिस ने गोताखोरों की मदद से 35 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। वहीं नौ शव बाहर निकाले गए हैं। चार की तलाश की जा रही है। सीतापुर के अटरिया स्थित टिकौली गांव के छुन्नन के बेटे का मुंडन संस्कार था। नवरात्रि के पहले दिन इटौंजा के ऊनई देवी मंदिर में मुंडन होना था। इसके लिए पूरा परिवार रिश्तेदारों व परिचितों के साथ ट्रैक्टर-ट्रॉली पर सवार होकर मंदिर जा रहा था। सुबह करीब 10 बजे ट्रैक्टर-ट्रॉली असनहा के गद्दीपुरवा गांव के पास पहुंची थी। इसी बीच बेहटा की तरफ से आ रहे तेज रफ्तार ट्रक ने ट्रैक्टर-ट्रॉली को टक्कर मार दी। टक्कर इतनी तेज थी कि ट्रैक्टर-ट्रॉली सीधे सड़क किनारे बड़े तालाब में जा गिरी। हादसे की सूचना मिलते ही इटौंजा के प्रभारी निरीक्षक रवींद्र कुमार अपनी टीम के साथ पहुंच गये। ग्रामीणों की मदद से राहत कार्य शुरू किया गया। नौ शव बाहर निकाले गए हैं। प्रभारी निरीक्षक के मुताबिक हादसे की शिकार ट्राली तालाब मे गिरते ही सभी उसके नीचे दब गये। बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा था। किसी तरह पुलिस व ग्रामीणों ने ट्रॉली के नीचे से लोगों को बाहर निकाला। पुलिस के मुताबिक 35 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है।

मंदिरों व घरों में मां दुर्गा की आराधना शुरू

लखनऊ। मां के जयकारों से गुंजायमान वातावरण के बीच आज सुबह से ही राजधानी के मंदिरों में मां दुर्गा की आराधना हो रही है। कोरोना के बाद पहली बार गर्भ गृह में जाकर श्रद्धालुओं ने मां के दर्शन किए। राजधानी के सबसे बड़े सिद्धपीठ चौक की छोटी व बड़ी काली जी मंदिर के पास मेला लगा। चौक के बड़ी व छोटी काली जी मंदिर में प्रवेश की अलग-अलग व्यवस्था की गई थी। प्रवेश द्वार से वापस के बजाय पीछे का गेट खोल दिया गया है जहां दर्शन के बाद श्रद्धालु वापस जा रहे हैं। भोर में ही कपाट खोल दिए गए थे। कुछ श्रद्धालुओं ने मास्क लगाकर दर्शन किए।

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