सरकार को आरएसएस को समझने में 50 साल लग गए: फैसले पर बोला मध्य प्रदेश हाई कोर्ट
भोपाल। केंद्र सरकार ने 21 जुलाई को ऐतिहासिक फैसला लिया. 58 साल बाद सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ में शामिल होने पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया. सरकार के इस फैसले के बाद मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी. जिस पर दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. आज हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया. हाई कोर्ट ने कहा, केंद्र सरकार को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के काम करने के तरीके और उसके उद्देश्यों को समझने में 50 साल से ज्यादा का समय लग गया, जिसके कारण कई सरकारी कर्मचारी, संघ के कामों में हिस्सा नहीं ले सके.
कोर्ट में यह याचिका पुरुषोत्तम गुप्ता ने दायर की थी, याचिका कर्ता की मांग की थी कि आरएसएस का नाम प्रतिबंधित ऑर्गेनाइजेशन की लिस्ट में से हटाया जाए और भारत सरकार जो समय-समय पर ऑफिस मेमोरेंडम जारी करती है उसको निरस्त किया जाए. याचिका में कहा गया की आरएसएस कोई राजनैतिक गतिविधियों को संचालित नहीं करती और न ही कोई राजनैतिक कार्य करती है. वह देश सेवा, राष्ट्र सेवा के साथ मानव सेवा के हितों का काम संचालित करती आई है.
याचिका के लंबित रहने के दौरान भारत सरकार की ओर से पैरवी कर्ता हिमांशु जोशी डिप्टी सॉलिसिटर जनरल द्वारा न्यायालय में बताया गया कि दिनांक 9 जुलाई 24 को ऑफिस मेमोरेंडम से आरएसएस का नाम प्रतिबंधित ऑर्गेनाइजेशन की सूची में से हटाए जाने का निर्णय लिया जा चुका है.
माननीय न्यायालय ने माना की आरएसएस किसी भी इस प्रकार की गतिविधियों में शामिल नहीं रहा है जो राष्ट्र के हितों के खिलाफ हो, इसके बावजूद भी 1966 से आरएसएस को प्रतिबंधित ऑर्गेनाइजेशन की सूची में रखा जाना भारतीय संविधान के विपरीत है. पूर्व के ऑफिस मेमोरेंडम में उस समय की सरकार ने आरएसएस को बिना किसी आधार और सर्वे के प्रतिबंधित किया था. सरकार का किसी भी तरह का निर्णय किसी भी ठोस आधार और साक्ष्य के आधार पर होना चाहिए जिससे कि किसी भी व्यक्ति या संगठन के मूलभूत संवैधानिक अधिकारो का उल्लंघन न हो.
केंद्र सरकार ने 58 साल बाद ऐतिहासिक निर्णय लिया है, जिसमें अब केंद्र सरकार के हर कर्मचारी को उनके कार्यकाल के दौरान आरएसएस के सदस्य बनने और आरएसएस की गतिविधियों में शामिल होने का मौका मिलेगा. पहले यह प्रतिबंधित था. अब भारत सरकार ने यह प्रतिबंध हटा लिया है. यह प्रतिबंध राज्य शासन के कर्मचारियों पर लागू नहीं था, लेकिन केंद्र शासन में आने वाले हर कर्मचारी पर लागू था.