रथ यात्रा पर्व पर महंत स्वामी महाराज की प्रार्थना, भक्तों से आध्यात्मिक जीवन अपनाने का आह्वान
महंत स्वामी महाराज ने कहा, ‘भारतीय संस्कृति में रथयात्रा के उत्सव का विशेष महत्व है. इस दिन जगन्नाथपुरी में भगवान कृष्ण, बलरामजी और सुभद्राजी की मूर्तियों को भव्य रथ में बिठाकर शोभायात्रा निकाली जाती है.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा के पावन अवसर पर बोचासनवासी अक्षर पुरूषोतम स्वामीनारायण संस्था के छठे और वर्तमान आध्यात्मिक गुरू महंत स्वामी महाराज ने प्रार्थना करते हुए भक्तों से आध्यत्मिक जीवन जीने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि जीवन रूपी रथ को भगवान अथवा संत को समर्पित करना चाहिए।
महंत स्वामी महाराज ने रथ यात्रा के आध्यात्मिक और सामाजिक महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि यह पर्व आत्मसमर्पण, शांति और सेवा का प्रतीक है। उन्होंने भक्तों से समाज सेवा, आपसी प्रेम, और सद्भाव को जीवन में उतारने का संदेश भी दिया। उन्होंने कहा रथ यात्रा हमें यह सिखाती है कि हम अपने जीवन रूपी रथ की बागडोर भगवान को सौंपे। ऐसा करने से हमारा जीवन दिव्यता और शांति से भर जाएगा।
महंत स्वामी महाराज ने देश-विदेश में फैले भक्तों के प्रति प्रेम और आशीर्वाद व्यक्त करते हुए उन्हें इस पर्व की शुभकामनाएँ दीं।
ओडिशा के पुरी सहित देशभर में आज भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा की रथ यात्रा पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ निकाली जा रही है। लाखों श्रद्धालु इस अवसर पर शामिल होकर भगवान के दर्शन और आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं।
महंत स्वामी महाराज ने कहा, ‘भारतीय संस्कृति में रथयात्रा के उत्सव का विशेष महत्व है. इस दिन जगन्नाथपुरी में भगवान कृष्ण, बलरामजी और सुभद्राजी की मूर्तियों को भव्य रथ में बिठाकर शोभायात्रा निकाली जाती है. उसमें शामिल होने के लिए लाखों भक्तजन आते हैं. इस तरह भारतभर में अनेक स्थान पर रथयात्रा उत्सव द्वारा लोग भक्ति करते हैं.’
‘भगवान और संत के अनुसार जीवनरथ चलाएं’
उन्होंने कहा, ‘यह उत्सव द्वारा समाज में धर्म भावना की वृद्धि होती है. आपस में एकता और संवादिता का प्रसरण होता है. रथयात्रा का आध्यात्मिक मर्म ये है कि हम हमारे जीवनरथ की डोर भगवान या उनके गुणातीत संत को सौंप दें, जैसे अर्जुन ने श्रीकृष्ण भगवान को अपने रथ का सुकान दे दिया, तो उनकी जीत हुई और उनको मोक्षगति की प्राप्ति हुई. उसी तरह हम भगवान और संत की आज्ञा के अनुसार जीवनरथ चलाएंगे, तो भगवान हमारे योग और क्षेम का वहन करेंगे. रथयात्रा का ये मर्म सभी के जीवन में सिद्ध हो और सब सुखी हों ये प्रार्थना है.’



