आर्य समाज का विवाह प्रमाणपत्र वैधता का सबूत नहीं: हाईकोर्ट

शादी के वैध सबूत के बगैर धारा 9 की अर्जी मंजूर नहीं की जा सकती

 4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हिंदू शादी को लेकर बड़ा फैसला दिया है। कोर्ट ने कहा है कि विवाह पंजीकरण वैध? विवाह का सबूत नहीं है। केवल इसे साक्ष्य के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि आर्य समाज द्वारा जारी विवाह प्रमाणपत्र शादी की वैधानिकता का सुबूत नहीं है। हिंदू धर्म की शादी परंपरागत दोनों पक्षों की सहमति समारोह में होनी चाहिए, जिसमें सप्तपदी की रस्म पूरी हुई हो।
यह आदेश जस्टिस एसपी केसरवानी तथा जस्टिस राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने आशीष मौर्य की अपील पर दिया है। कोर्ट ने कहा कि जब शादी ही वैध नहीं तो हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 9 के तहत विवाह पुर्नस्थापन की अर्जी परिवार अदालत द्वारा स्वीकार न करना कानूनन सही है। शादी के वैध सबूत के बगैर धारा 9 की अर्जी मंजूर नहीं की जा सकती। कोर्ट ने परिवार अदालत सहारनपुर के धारा 9 की अर्जी खारिज करने के फैसले के खिलाफ प्रथम अपील खारिज कर दी है। याची का कहना था कि अनामिका धीमान उसकी पत्नी है। विवाह पुर्नस्थापित करने की परिवार अदालत में अर्जी दी। बार में समझौते के आधार पर वापस ले ली। किंतु कुछ दिन बाद दुबारा अर्जी दाखिल की। कथित पत्नी ने शादी होने से इन्कार कर दिया। कहा झूठी शादी की गई है। उसे ब्लैक मेल करने के लिए आर्य समाज से विवाह प्रमाणपत्र लिया गया है। इसी मामले में थाना सदर बाजार, सहारनपुर में एफआईआर दर्ज कराई गई है। पुलिस ने चार्जशीट भी दाखिल कर दी है। कोर्ट ने कहा सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 11 नियम 2 के तहत अर्जी दाखिल की जा सकती है।

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