BSP का दलित-मुस्लिम दांव, पंचायत चुनाव से सियासी संजीवनी की तलाश में मायावती

उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले पंचायत चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरेगी। पार्टी ने इन चुनावों के जरिए गाँव-गाँव में अपनी पैठ मजबूत करने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। इसके लिए कैडर कैंप चलाए जा रहे हैं, जहाँ बड़ी संख्या में लोगों को पार्टी की सदस्यता दिलाई जा रही है।
पंचायत चुनाव से 2027 के विधानसभा चुनाव की जमीन तैयार
पार्टी पदाधिकारियों का मानना है कि पंचायत चुनाव 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव की जमीन तैयार करेंगे। लोकसभा चुनाव के बाद से ही बसपा ने अपने संगठन को मजबूत करने की कवायद शुरू कर दी है। वरिष्ठ पदाधिकारी गाँव-गाँव जाकर न सिर्फ आम लोगों को, बल्कि दूसरे दलों के नेताओं को भी पार्टी में शामिल कर रहे हैं। बिहार चुनाव के बाद पंचायत चुनाव की तैयारियों में और तेज़ी लाई जाएगी।
दलित वोट बैंक को साधने पर फोकस
बसपा सुप्रीमो मायावती ने दलितों के खिलाफ होने वाली घटनाओं को लेकर भी गंभीर रुख अपनाया है। उन्होंने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल को निर्देश दिया है कि वे पीड़ितों के घर जाकर उन्हें सांत्वना दें और आर्थिक मदद भी करें। यह कदम दलित वोट बैंक को फिर से बसपा के साथ जोड़ने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है।
पार्टी के संस्थापक कांशीराम के परिनिर्वाण दिवस (9 अक्तूबर) की तैयारियों और पंचायत चुनाव की समीक्षा के लिए मायावती ने 7 सितंबर को सभी प्रदेश पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों की एक महत्वपूर्ण बैठक भी बुलाई है। इस बैठक में पंचायत चुनाव में अहम पदों पर प्रत्याशियों के चयन को लेकर भी दिशानिर्देश दिए जा सकते हैं।



