जाति जनगणना का मायावती ने किया समर्थन, समाज के विकास का किया जिक्र
मायावती ने जाति जनगणना का समर्थन करते हुए कहा कि देश और समाज के विकास को सही दिशा देने के लिए जातीय जनगणना के महत्व से इनकार नहीं किया जा सकता है....

4पीएम न्यूज नेटवर्कः देश में हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के दौरान…. विपक्ष के द्वारा जाति जनगणना की मांग बहुत तेज कर दी गई है…. बता दें कि लोकसभा चुनाव में विपक्ष का मुख्य मुद्दा जाति आधारित गणना था…. विपक्ष ने पूरे देश में जाति जनगणना की मांग को लेकर बीजेपी के नाक में दम कर दिया था…. जिसका परिणाम यह हुआ की मोदी बैसाखी के सहारे आ गए…. लगातार दो बार देश की सत्ता में पूर्ण बहुमत के साथ आई….. लेकिन दो हजार चौबीस के चुनाव में महज दो सौ चालीस सीटों पर ही सिमट गई…. आपको बता दें कि संसद ने 127वां संविधान संशोधन विधेयक, 2021 पारित किया गया….. यह विधेयक राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों को उनकी अन्य पिछड़े वर्ग की सूची बनाने की शक्ति को पुनर्बहाल करता है…… गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय ने मराठा आरक्षण के संबंध में अपने निर्णय में राज्य सरकारों को 102वें संविधान संशोधन से प्राप्त पिछड़े वर्गों की पहचान करने की शक्ति को कम कर दिया था……
आपको बता दें कि भारत में पहली जनगणना वर्ष 1872 में कराई गई…… वर्ष 1881 की जनगणना के बाद से देश में प्रत्येक 10 वर्ष पर जनगणना कराई जा रही है…… जानकारी के मुताबिक भारत में आखिरी बार जातिगत जनगणना वर्ष 1931 में की गई थी…… इसके बाद से देश में जातिगत जनगणना नही की गई है…… वर्ष 2011 की जनगणना में जाति से संबंधित आंकड़ें एकत्रित किये गए…… परंतु उन्हें प्रकाशित नहीं किया गया….. स्वतंत्रता के बाद से केवल अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति से संबंधित आकड़ें एकत्रित एवं प्रकाशित किये जा रहे हैं…. वर्ष 1931 के जनगणना आंकड़ों के अनुसार, देश में पिछड़ा वर्ग की जनसंख्या लगभग 52 प्रतिशत है…..
वहीं सार्वजानिक क्षेत्र में नौकरियों के कम होने के कारण अनुसूचित जाति…… एवं जनजाति के लिये आरक्षित नौकरियों की संख्या में कमी आई है….. संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा में नियुक्तियों की संख्या में वर्ष 2014 से 2018 के मध्य लगभग 40 प्रतिशत की कमी आई है…… यह वर्ष 2014 में 1,236 से घटकर 2018 में 759 हो गई है….. वहीं सेवाओं में अनुसूचित जाति की संख्या में गिरावट का प्रमुख कारण सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण है….. 2011-12 से 2017-18 के मध्य केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों में 2.2 लाख नौकरियों की कमी आई है….. इसके कारण अनुसूचित जाति के रोज़गार में 33000 नौकरियों की कमी आई है….. वर्ष 2019 में सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिये 10 प्रतिशत आरक्षण की शुरुआत की गई….. इसके अंतर्गत सामान्य वर्ग में आने वाली उच्च जातियों को सम्मिलित किया गया है…… इसमें 8,00,000 रुपए वार्षिक की आय सीमा को मानक बनाया गया है….. इससे इसका विस्तार सामान्य वर्ग के लगभग 90 प्रतिशत लोगों तक हो गया है…..
वहीं अब विपक्ष की जाति जनगणना की मांग को देखते हुए बसपा सुप्रीमों मायावती ने भी जाति जनगणना की वकालत की है…. बता दें कि विपक्ष हमेशा से जाति जनगणना की मांग कर रहा है…. और बीजेपी सरकार से लगातार कह रहा है कि देश में जिसकी जितनी साझेदारी है..,. उसकी उतनी भागीदारी होनी चाहिए….. लेकिन बीजेपी सरकार अपने तानाशाही रवैये से बाज नहीं आ रही है…. आपको बता दें कि बसपा चीफ मायावती ने जातीय जनगणना की वकालत की है….. और उन्होंने कहा है कि सरकार को इस मसले पर जल्द ही आवश्यक कदम उठाने चाहिए….. जनगणना का काम सीधे तौर पर देश निर्माण से जुड़ा है….. लिहाजा सरकार को इस दायित्व के प्रति विशेष रूप से सतर्क रहना चाहिए….. बसपा सुप्रीमो ने कहा कि जनगणना नहीं कराने पर संसदीय समिति ने भी अपनी चिंता व्यक्त की है….. देश व समाज के विकास को सही दिशा देने के लिए जातीय जनगणना के महत्व से इनकार नहीं किया जा सकता है….. सरकार को जरूरी कदम शीघ्र उठाने चाहिए……
बसपा संस्थापक कांशीराम की 91वीं जयंती पर मायावती ने कहा कि पार्टी उनके सपनों को पूरा करने के लिए दिन-रात जुटी हुई है….. उत्तर प्रदेश की बड़ी आबादी ने देखा है कि कैसे ‘आयरन लेडी’ के नेतृत्व में पार्टी शब्दों से ज्यादा काम को महत्व देती है….. मायावती ने कहा कि देश और उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज की आबादी 80 प्रतिशत से ज्यादा है….. और संवैधानिक और कानूनी तौर पर उनके हित एवं कल्याण की गारंटी सुनिश्चित करने के लिए बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर ने संविधान में राष्ट्रीय जनगणना का प्रावधान किया…… जिसका लंबित रहना सुशासन कतई नहीं है….. वहीं खुद को ‘आयरन लेडी’ बताते हुए बसपा चीफ ने कहा उत्तर प्रदेश की विशाल आबादी ने देखा है कि कैसे ‘आयरन लेडी’ के नेतृत्व में बसपा बातों से ज्यादा काम करने में विश्वास करती है….. इसने सत्ता में रहने के दौरान बहुजनों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित किया……. जबकि अन्य दलों द्वारा किए गए अधिकांश दावे निराधार और भ्रामक साबित हुए…..