दागी छवि वाले नेताओं को टिकट नहीं देंगे: मायावती

दिल्ली विस चुनाव में बसपा बदलेगी अपनी रणनीति

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। दिल्ली विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी अपनी रणनीति में कुछ बदलावों के संकेत दिये हैं। पार्टी ने फैसला किया है कि वह दागी छवि वाले नेताओं को टिकट नहीं देगी। बसपा सुप्रीमो मायावती ने स्वच्छ छवि वाले नेताओं को टिकट देने को कहा है। साथ ही, टिकट वितरण और संगठन में महिलाओं और युवाओं को तवज्जो देने के निर्देश भी दिए हैं।
बता दें कि बीते दिनों बसपा सुप्रीमो ने पार्टी में महिलाओं और युवाओं की भागीदारी 50 फीसद तक बढ़ाने को कहा था, जिसका पहला प्रयोग दिल्ली चुनाव में होगा। दरअसल, बसपा दिल्ली विधानसभा चुनाव में साफ-सुथरी छवि वाले युवाओं और महिला चेहरों को मौका देने की रणनीति पर काम कर रही है। पार्टी ने दागी छवि वाले नेताओं को टिकट नहीं देने का निर्णय इस वजह से लिया है ताकि चुनाव में आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों को कड़ी चुनौती दी जा सके। सूत्रों की मानें तो बसपा के इस कदम से आप समेत सभी दलों पर दबाव बनाया जा सकेगा। दागी छवि वाले प्रत्याशी नहीं होने से अन्य दल बसपा को निशाने पर नहीं ले सकेंगे। बसपा सुप्रीमो ने अन्य दलों के नेताओं को भी पार्टी के साथ जोडऩे को कहा है, जिसके बाद इसकी मुहिम शुरू हो चुकी है।

नए साल में सत्ता पक्ष व विपक्ष स्वार्थ की राजनीति का करे त्याग

बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने देशवासियों को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि लोग नहीं पूछते हैं कि संविधान के तहत सरकार ने उनके लिए क्या किया। सरकार को अपनी नीयत, नीति व गुड गवर्नेंस से अच्छे दिन लाकर खुद को जनहितैषी साबित करना चाहिए। नया साल छलावा और खोटी उम्मीदों वाला नहीं हो, इसके लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष को स्वार्थ की संकीर्ण राजनीति को त्यागना होगा। लोगों को उनका हक देने में सही नीयत व नीति के साथ अपनी शक्ति व ऊर्जा समर्पित करनी होगी।

जनहित व जनकल्याण के साथ सरकार का आचार-व्यवहार भी सही हो

बसपा सुप्रीमो ने अपने बयान में यूपी सरकार के बारे में कहा कि बड़ी आबादी वाले प्रदेश की जिम्मेदारियां भी ज्यादा हैं। जनहित व जनकल्याण के साथ सरकार का आचार-व्यवहार भी सही होना चाहिए। लोगों के जान-माल, इज्जत और मजहब की सुरक्षा जरूरी है। संकीर्ण राजनीति और वोट बैंक के स्वार्थ से जनहित प्रभावित होगा तो गुड गवर्नेंस कैसे हो सकता है। लोग अपनी मेहनत का सही फल चाहते हैं। महंगाई के दौर में गरीबी और बेरोजगारी से कमाई कम हुई है, जिससे लोगों का जीवन स्तर प्रभावित हो रहा है।
सत्ता पक्ष और मुख्य विपक्षी पार्टी जिस तरह संविधान की दुहाई देकर खुद को देशभक्त साबित करने में लगे हैं, वह उनके कर्मों में भी झलके तो बेहतर होगा। देश खुशहाल बने, इसके लिए उन्हें अपनी कथनी और करनी में अंतर को मिटाना होगा।

अनेकता में एकता के सूत्र पर अमल करने से देश में रहेगी शांति

उन्होंने कहा कि अनेकता में एकता के सूत्र पर अमल करने से देश में शांति रहेगी और विकास बाधित नहीं होगा। रुपये की विश्व बाजार में गिरावट, विकास की धीमी गति आदि मुद्दे चिंतित करने वाले हैं। सरकारों को जातिवाद, सांप्रदायिक व राजनीतिक द्वेष व भेदभाव से ऊपर उठकर काम करना होगा। जनहित पर पूरा ध्यान केंद्रित करना होगा। गरीबी, बेरोजगारी, अशिक्षा, पलायन की विवशता, सुख-शांति, बेहतर जनसुविधा तथा कानून-व्यवस्था के अभाव के तनावपूर्ण जीवन से लोगों को मुक्ति दिलाना सरकारों की जिम्मेदारी है।

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