सवालों के घेरे में मोदी सरकार, भड़के तेजस्वी ने कर दिया चैलेंज! 

लोकसभा परिणाम BJP को जवाबदेह बनाता है और पहले से अधिक रचनात्मक और कल्याणकारी योजनाओं के लागू होने की मांग करता है... आपको बता दें कि BJP को लोकतांत्रिक भावना से उस संदेश पर ध्यान देना चाहिए...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः भारतीय राजनीतिक के इतिहास में 2024 का लोकसभा चुनाव खास है… वहीं यह चुनाव देश, संविधान, आरक्षण तथा लोकतंत्र पर आधारित रहा है… और चुनाव के नतीजों ने इन्हीं सिद्धांतों को साफ-साफ दोहराया है… हालांकि, BJP के नेतृत्व वाले NDA ने दो सौ नब्बे से अधिक सीटें प्राप्त कर बहुमत हासिल कर लिया…. लेकिन विपक्ष भी महत्वपूर्ण स्थिति में उभरकर सामने आया है… वहीं जनता का फैसला इससे अधिक स्पष्ट नहीं हो सकता था… इसका आशय है कि जनता चाहती है विभिन्न समुदायों और क्षेत्रों की राजनीतिक आकांक्षाओं के प्रति BJP का रुख अधिक समझौतावादी और कम टकरावपूर्ण हो…. परिणाम BJP को जवाबदेह बनाता है और पहले से अधिक रचनात्मक और कल्याणकारी योजनाओं के लागू होने की मांग करता है… आपको बता दें कि BJP को लोकतांत्रिक भावना से उस संदेश पर ध्यान देना चाहिए… और दस वर्षों के बाद गठबंधन की राजनीति के फिर से उभरने की वास्तविकता के प्रति खुद को फिर से उन्मुख करना चाहिए…. क्योंकि लोकतंत्र के केंद्र में लोग हैं और लोग होने भी चाहिए… इसलिए यह चुनाव कई आयामों पर भारतीय राजनीति के एक क्रांतिकारी पुनर्गठन का संकेत देता है… यह विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच शक्ति का एक बेहतर संतुलन बहाल करता है… राष्ट्रीय स्तर पर काम करने वाली सभी प्रमुख पार्टियों को इस जनादेश से सही सबक सीखना चाहिए… भारतीय लोकतंत्र की जीवनरेखा इसकी विविधता है… इसे भी सभी दलों को समझना चाहिए…

आपको बता दें कि मोदी की तुष्टीकरण की राजनीति ने देश का माहौल बिगाड़कर रख दिया था… जनता में आक्रोश भरा हुआ है… देश में तीसरी बार सरकार बनाने के बाद से ही मोदी के सामने अनेक बड़ी-बड़ी चुनौतिया सामने खड़ी हो रही हैं…. जिसमें पेपर लीक का मामला सबसे ऊपर है… देशे के 24 लाख युवा सड़कों पर है… नीट के बाद यूजीसी नेट परीक्षा में भी धांधली पाई गई है… इस बीच बिहार से भी मोदी की बड़ी चुनौती मिल रही है… बता दें कि बिहार के मोदी के सहयोगी नीतीश सरकार को पटना हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है… और पटना हाईकोर्ट ने नीतीश सरकार के द्वारा दिए जाने वाला पैंसठ फीसदी आरक्षण को खत्म कर दिया है… जिसके बाद से बिहार की सियासत में भूचाल आ गया है… आपको बता दें कि बिहार में आरक्षण खत्म करने को लेकर सियासत जोरों पर है… और बीजेपी के सहयोगी दल और बिहार के उप मुख्यमंत्री ने बड़ा दावा करते हुए कहा है कि नीकीश सरकार पटना हाईकोर्ट के फैसलों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी… हम किसी भी पिछड़े का हक खत्म नहीं करेंगे… और पिछड़ो का जो हक वह उनको मिलकर रहेगा… वहीं पटना हाईकोर्ट के द्वारा आरक्षण को खत्म करने को लेकर सियासत भी बढ़ गई है… अब विपक्ष मोदी को घेर रहा है… और विपक्ष दावा कर रहा है कि मोदी की आरक्षण खत्म करने की शुरूवात हो चुकी है… चुनाव के समय आरक्षण का मुद्दा जोरों पर था… और मोदी लगातार कहते हुए भी आ रहे थे कि आरक्षण को खत्म कर दिया जाएगा… जिसकी शुरूवात बिहार से हो चुकी है…

आपको बता दें कि पटना हाई कोर्ट ने बिहार सरकार की ओर से दो हजार तेइस में पारित आरक्षित कोटा बढ़ाने के संशोधन को रद्द कर दिया है…. जिसे नीतीश सरकार के लिए एक बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है… जातिवार सर्वे कराने के बाद नीतीश कुमार ने राज्य में आरक्षण का दायरा बढ़ा दिया था…. तब नीतीश कुमार आरजेडी के साथ थे….और तेजस्वी यादव भी इसका श्रेय ले रहे थे… और अपनी सरकार की बड़ी उपलब्धि के तौर पर पेश कर रहे थे…. अब नीतीश कुमार बीजेपी के साथ हैं और हाई कोर्ट ने चुनाव के बाद यह फ़ैसला सुनाया है…. वहीं नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव की सरकार ने जब आरक्षण का दायरा बढ़ाया… तब कहा गया कि वह पिछड़ी जातियों को एकजुट कर बीजेपी को चुनौती देना चाहते हैं…. लेकिन नीतीश ने पाला बदल लिया था… अब हाई कोर्ट ने फ़ैसला सुना दिया…. जाति सर्वे के आंकड़ों को सामने रखकर नीतीश कुमार ने ‘जिसकी जितनी हिस्सेदारी, उसकी उतनी भागेदारी’ की बात कही थी…. न सिर्फ़ नीतीश कुमार बल्कि विपक्षी गठबंधन इंडिया के नेताओं ने भी इसका श्रेय लेने की कोशिश की… और केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा…. लेकिन अब हाई कोर्ट के फ़ैसले ने बिहार में आरक्षण को पुरानी स्थिति में ला खड़ा किया है…

बता दें कि बिहार सरकार ने साल दो हजार तेइस में अत्यंत पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षण कोटा बढ़ाकर पचास से बढ़ाकर पैंसठ फीसदी कर दिया था…. जिसे हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया है… बता दें कि कई लोगों ने पटना हाई कोर्ट में याचिका दायर कर बिहार में आरक्षण दायरा पचास फ़ीसदी से ज़्यादा करने पर आपत्ति जताई थी…. वहीं याचिका दायर करने वालों ने हाई कोर्ट में यह तर्क दिया था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित पचास फीसदी की सीमा से अधिक आरक्षण बढ़ाना संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है…. आपको बता दें कि हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए ग्यारह मार्च को फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था… वहीं गुरुवार को चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन… और जस्टिस हरीश कुमार की बेंच ने बढ़े हुए आरक्षण को रद्द कर दिया… और कोर्ट ने कहा कि यह असंवैधानिक है और संविधान के अनुच्छेद चौदह, पंद्रह और सोलह के तहत समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है….

फ़िलहाल राज्य में जनता दल (यूनाइटेड) और भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन की सरकार है… सरकार में उप-मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता सम्राट चौधरी का कहना है.. कि वे हाई कोर्ट के फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे…  वहीं मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का स्पष्ट मानना है कि बिहार में पिछड़ों, अति पिछड़ों, दलितों और आदिवासियों का आरक्षण बढ़ना चाहिए… बिहार में सबको आरक्षण है… इसलिए बिहार की सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी… और वहां से बिहार के लोगों को न्याय दिलाने का काम करेगी… आपको बता दें कि हाई कोर्ट के फ़ैसले के बाद राष्ट्रीय जनता दल, नीतीश कुमार के साथ-साथ बीजेपी पर भी हमलावर है… वहीं मीडिया से बात करते हुए बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री… और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि अगर नीतीश सरकार इस फ़ैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती नहीं देगी तो ये काम आरजेडी करेगी…. और उन्होंने कहा कि हम लोग आहत हुए हैं… हम लोगों को संदेह पहले भी था. ये भाजपा के लोग किसी भी हालत में आरक्षण को रोकने का काम करेंगे.. और हम शुरू से ही कह रहे हैं…. हमने चुनाव में भी कहा था कि ये बीजेपी के लोग आरक्षण विरोधी हैं… आप लोगों को पता होगा कि जब हमने जाति आधारित सर्वे करवाई थी तब भी बीजेपी के लोगों ने इस तरह से कोर्ट में पीआईएल करवाकर रुकवाने का प्रयास किया था… लेकिन आख़िर में हमारी जीत हुई….

आपको बता दें कि तेजस्वी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा  कि हम लोगों ने इसे शेड्यूल नौ में डालने की मांग की थी… ताकि यह तमिलनाडु की तर्ज़ पर सुरक्षित रहे… लेकिन तब से अब तक छह महीने हो गए हैं… भाजपा और केंद्र सरकार ने इसे पूरा नहीं किया है… क्यों माननीय मुख्यमंत्री जी अब चुप्पी साधे हुए हैं…. अगर बिहार सरकार सुप्रीम कोर्ट नहीं जाएगी तो राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीम कोर्ट ज़रूर जाएगी…. आरजेडी नेता और राज्यसभा सांसद मनोज झा ने कहा कि ऐसे फ़ैसले सामाजिक न्याय की मंजिल को हासिल करने में फासले बढ़ाते हैं… मुझे याद है कि तमिलनाडु को भी बहुत साल लगे थे… संघर्ष करना पड़ा था… हम भी तैयार हैं… और जिन्होंने यह याचिका लगाई है…. उनकी सामाजिक पृष्ठभूमि देखिए…. पर्दे के पीछे ये कौन लोग हैं…. जो ये काम करवाने के लिए उत्सुक हैं… इसमें वो बहुत ज्यादा प्रेरक की भूमिका निभा रहे हैं… तेजस्वी यादव जी हर चुनावी सभा में बोलते रहे कि इसे नौवीं अनुसूची में शामिल कीजिए… देखिए उसे शामिल न करने पर क्या हासिल हुआ…

आपको बता दें कि नीतीश सरकार ने बिहार में जातीय सर्वे करवाया था…. इस सर्वे के बाद राज्य सरकार ने शिक्षा और नौकरी में आरक्षण कोटे को बढ़ाने का फ़ैसला किया था…. इस जाति आधारित सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर सात नवंबर को नीतीश सरकार ने विधानसभा में आरक्षण संबंधी विधेयक पेश किया था…. इसमें ओबीसी आरक्षण को बारह प्रतिशत से बढ़ाकर अट्ठारह प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण को अट्ठारह प्रतिशत से बढ़ाकर पच्चीस प्रतिशत, एससी के लिए सोलह प्रतिशत से बढ़ाकर बीस प्रतिशत और एसटी के लिए आरक्षण की सीमा को एक प्रतिशत से बढ़ाकर दो प्रतिशत करने का प्रस्ताव था…. वहीं विधानसभा ने इस विधेयक को नौ नवंबर को पास कर दिया… और इक्कीस नवंबर को राज्यपाल ने इसे अपनी मंजूरी भी दे दी…. जिसके बाद राज्य में ईबीसी, ओबीसी, दलित और आदिवासियों को मिलने वाले आरक्षण की सीमा पैंसठ प्रतिशत हो गई… वहीं अगर आर्थिक रूप से पिछड़े (सवर्ण) लोगों को मिलने वाला दस प्रतिशत आरक्षण भी जोड़ लिया जाए तो बिहार में यह सीमा पचहत्तर प्रतिशत तक पहुंच गई थी…

 

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