किसानों के ऐलान से उड़ी मोदी सरकार की नींद

  • कल भारी संख्या में दिल्ली पहुंचेंगे अन्नदाता
  • सड़कों पर कीलें, सीमेंट की दीवारें और बैरिकेड्स लगे
  • दिल्ली के बॉर्डरों पर धारा 144 लागू
  • टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर लगीं चौकियां

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। बीजेपी की मोदी सरकार के नीतियों के खिलाफ एकबार फिर किसानों ने हल्ला बोल दिया है। किसानों के आंदोलन की घोषणा से कें द्र सरकार की नींद उड़ गई है। किसानों की दिल्ली चलो के ऐलान के बाद राजधानी के सीमाओं पर भारी सुरक्षा बल तैनात कर दिया गया है। दरअसल किसानों ने एक बार फिर दिल्ली कूच का एलान कर दिया है। 13 फरवरी को किसानों के दिल्ली आने की खबर है। हालांकि 12 को भीड़ जुटी।
जिसके बाद दिल्ली पुलिस ने किसानों को आने से रोकने के लिए खासे इंतजाम किए हैं। दिल्ली के तमाम बॉर्डर के अलावा सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर ज्यादा एहतियात बरती जा रही है। मिली रिपोर्ट के मुताबिक, किसान मार्च को देखते हुए दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर पुलिस ने बैरिकेडिंग कर सड़कों को बंद कर दिया है। वहीं दूसरी तरफ टिकरी बॉर्डर पर भी बैरिकेड्स लगा दिए हैं। राजधानी दिल्ली के सभी बॉर्डर को छावनी में तब्दील कर दिया गया है।

ट्रैफिक पुलिस ने जारी की एडवाइजरी

दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि फिलहाल सिंघु और टिकरी बॉर्डर को सील कर दिया गया है। वहां पर बगैर जांच के किसी भी वाहन को सीमा में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि 13 फरवरी को दोनों ही बॉर्डर को बैरिकेडिंग कर पूरी तरह बंद कर दिया जाएगा। वैकल्पिक रास्तों से ही वाहन चालक दिल्ली में प्रवेश कर सकेंगे। सिंघु बॉर्डर के लिए ट्रैफिक पुलिस ने 12 और 13 फरवरी को लेकर एडवाइजरी जारी की है।

यूपी गेट : गाजीपुर लेन बंद

किसान संगठनों के मंगलवार को दिल्ली जाने से पहले दिल्ली यूपी बॉर्डर पर सुरक्षा बढ़ा दी गई है। रविवार रात से यूपी गेट गाजीपुर लेन को बैरिकेड लगाकर बंद कर दिया गया। इससे दिल्ली जाने वाले वाहन चालकों को बड़ी परेशानी हुई। सोमवार सुबह दिल्ली जाने वाले लोगों को भारी मुसीबत झेलनी पड़ सकती है। यूपी गेट-गाजीपुर लेन पर लोहे की बैरिकेडिंग लगाकर दिल्ली जाने वाला रास्ता बंद कर दिया गया। इससे वाहन चालक एनएच 9 से यूपी गेट फ्लाईओवर के नीचे से दिल्ली नहीं जा सके। कई वाहन चालक दिल्ली से आने वाले रास्ते से होकर गाजीपुर मंडी की तरफ निकले।

हंगामा करने वाले किसान होंगे गिरफ्तार

किसानों का वर्ष 2020 जैसा आंदोलन खड़ा करने के इनपुट मिलने के बाद दिल्ली पुलिस अलर्ट मोड में आ गई है। पूरी दिल्ली में धारा-144 लागू कर दी गई है। पंजाब-हरियाणा से 20 से 25 हजार किसान ढाई से तीन हजार ट्रैक्टर लेकर दिल्ली आ सकते हैं। किसान सोमवार से दिल्ली पहुंचने शुरू हो गए। किसानों ने ऐलान किया है कि वह जंतर-मंतर व संसद भवन के सामने जाकर प्रदर्शन करेंगे। दिल्ली पुलिस का कहना है कि हंगामा करने वाले किसानों को तुरंत गिरफ्तार किया जाएगा। विशेष पुलिस आयुक्त (कानून व्यवस्था, जोन-दो) रविंदर सिंह यादव ने बताया कि दिल्ली वासियों को किसी तरह की परेशानी न हो इसे देखते हुए किसानों को दिल्ली में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। केंद्रीय गृहमंत्रालय ने हरियाणा को ज्यादा फोर्स दी है। दिल्ली को कम फोर्स दी गई है। दिल्ली को 60 से ज्यादा कंपनियां दी गई हैं। हरियाणा को अतिरिक्त फोर्स की 200 से ज्यादा कंपनियां दी गई हैं। ज्यादा किसानों के आने की संभावना को देखते हुए पुलिस के सभी ऑफिस में तैनात स्टाफ को भी सुरक्षा में तैनात किया जाएगा।

नीतीश सरकार के विश्वास प्रस्ताव पर बहस शुरू

  • सदन नहीं पहुंचे विधायकों ने बढ़ाई दोनों पक्षों की चिंता

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। बिहार विधानसभा में जदयू-भाजपा की नीतीश सरकार का विश्वास मत प्रस्ताव पर बहस चल रही है। इससे पहले राज्यपाल ने अभिभाषण दिया। इस दौरान सत्ता वे विपक्ष में नोकझोंक भी हुई। सबसे दिल धड़काने वाली बात यह है पांच विधायक सदन में काफी देर तक नहीं पहुंचे इससे जदयू, भाजपा व राजद सभी के पेशानी पर बल आ गया। उधर वर्तमान विस अध्यक्ष ने सदन की अध्यक्षता न करने का फैसला करते हुए इसकी जिम्मेदारी उपाध्यक्ष को दे दी। उपाध्यक्ष से पीठ संभालते हुए विश्वासमत प्रस्ताव पर चर्चा शुरू करा दी। उधर खबर है कि कुछ राजद विधायक पाला बदलकर जदयू क ा साथ देंगे। अब 14 दिनों से जिस खेला की चर्चा पूरे देश में है, वह वास्तव में हुआ या नहीं- कुछ घंटे बाद पता चल जाएगा। पक्ष में 128 विधायक थे, विपक्ष में 114 और एक अलग। इससे पहले जदयू- भाजपा ने स्पीकर अवध बिहारी चौधरी को हटाने की सूचना दी थी। उनके खिलाफ एनडीए सरकार की तरफ से अविश्वास का संकल्प दिया गया है। सीएम नीतीश कुमार सदन में विश्वास मत पेश करेंगे। पक्ष और विरोध में विधायक वोटिंग करेंगे। भाजपा से मिश्रीलाल यादव और रश्मि वर्मा नहीं आई हैं। जदयू विधायक संजीव कुमार रास्ते में हैं। इधर, राजद विधायक चेतन आनंद नीलम देवी सत्तारूढ़ दल के सचेतक के कमरे में बैठाया गया है।

सदन में राजद है सबसे बड़ा दल

बिहार विधानसभा में 243 सदस्य हैं। सरकार बनाने के लिए किसी भी दल को 122 विधायकों के समर्थन की जरूरत होगी। सत्तारूढ़ गठबंधन एनडीए के पास 128 विधायक हैं, जो बहुमत से छह अधिक है। विधानसभा में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सबसे बड़ा दल है। राजद के पास 79 विधायक हैं। भाजपा के 78 विधायक हैं, जदयू के 45, कांग्रेस के 19, भाकपा माले के 12, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के 4, सीपीआई के 2, सीपीआई (एम) के 2, एआईएमआईएम के 1 और एक निर्दलीय विधायक हैं।

राज्यपाल ने अभिभाषण में सरकार को सराहा

विधानमंडल के सेंट्रल हॉल में दोनों सदनों को संबोधित करते हुए राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने बिहार सरकार विधि व्यवस्था के लिए सभी आयामों पर काम कर रही है। पूरे राज्य में इमरजेंसी सेवा का विस्तार किया जा रहा है। सात निश्चय योजना को तेज गति से किया जा रहा है। राज्य के हर गांव तक सड़क, बिजली, पानी पहुंची है। लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग कामों को पूरा करने में जुटा है। युवा शक्ति बिहार की प्रगति के तहत युवाओं पर फोकस कर रही है। युवाओं को रोजगार और उद्यमिता विकास को प्राथमिकता दी जा रही है।

राजस्थान से राज्यसभा पहुंचेंगी सोनिया गांधी!

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
जयपुर। कांग्रेस की पूर्व अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का संसद के उच्च सदन राज्यसभा जाना लगभग तय है। सोमवार (12 फरवरी, 2024) को यह जानकारी सूत्रों की ओर से दी गई। यह भी बताया गया कि वह राजस्थान के रास्ते राज्यसभा पहुंच सकती हैं। वैसे, इससे पहले चर्चा थी कि सोनिया गांधी पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के रास्ते राज्यसभा पहुंच सकती हैं। इस बीच, पार्टी सूत्रों ने पत्रकारों को बताया था कि उनके लोकसभा चुनाव न लडऩे की संभावना है। ऐसा वह स्वास्थ्य संबंधी कारणों के चलते कर सकती हैं।
अप्रैल-मई 2024 में होने वाले आम चुनाव (लोकसभा चुनाव 2024) लडऩा और उनके लिए प्रचार में जाना कांग्रेस की सीनियर नेता के लिए बेहद मुश्किल भरा माना जा रहा है। यही वजह है कि सियासी गलियारों में 78 बरस की सोनिया गांधी को लेकर बड़ा सवाल उठा कि क्या वह इस बार यूपी के रायबरेली से लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ेंगी? यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि अगर सोनिया गांधी रायबरेली से नहीं लड़ेंगी तो फिर कौन वहां से ताल ठोंकेगा?

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