पद की गरिमा गिराने वाले मोदी देश के पहले पीएम: मनमोहन

  • अग्निवीर जैसी योजना नकली राष्ट्रवाद का नमूना
  • बोले- लगातार अपने नफरत भरे भाषणों से देश को विभाजित करने में लगे हैं प्रधानमंत्री
  • गलत जीएसटी से लिया गया पैसा आपको देंगे वापस : राहुल

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
चंडीगढ़। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वर्तमान पीएम नरेन्द्र मोदी पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने पंजाब के मतदाताओं से कहा कि केवल कांग्रेस ही विकासोन्मुख प्रगतिशील भविष्य सुनिश्चि कर सकती है जहां लोकतंत्र और संविधान की रक्षा होगी। मनमोहन सिंह ने पंजाब के मतदाताओं से विकास और समावेशी प्रगति के लिए वोट देने तथा प्रेम, शांति, भाईचारे और सद्भाव को मौका देने की अपील की।
देश के संसाधनों पर पहला हक मुसलमानों का है वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयान के इतने दिनों बाद अब पूर्व प्रधानमंत्री ने उस भाषण का परोक्ष संदर्भ देते हुए कहा कि उन्होंने कभी भी एक समुदाय को दूसरे से अलग नहीं किया। लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण से पहले देश की जनता को संबोधित एक पत्र में मनमोहन सिंह ने कहा कि मैं इस चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक चर्चा को बहुत ध्यान से देख रहा हूं। मोदीजी घृणित नफरत भरे भाषणों में लगे हुए हैं, जो पूरी तरह से विभाजनकारी हैं। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि चुनाव प्रचार के दौरान मोदी ने सर्वाधिक नफरत फैलाने वाले द्वेषपूर्ण भाषण दिए हैं, जो पूरी तरह विभाजनकारी प्रकृति के हैं। भाजपा सरकार ने अग्निवीर योजना थोपी। उसे लगता है कि देशभक्ति, सेवा का मूल्य केवल चार साल है। यह उनके नकली राष्ट्रवाद को दर्शाता है।
वहीं राहुल गांधी ने कहा कि मोदी ने गलत जीएसटी, नोटबंदी कर आपसे जो पैसा लिया है, हम उसे आपकी जेब में वापस डालने जा रहे हैं। हम आपकी जेब में पैसे डालेंगे तो आप इस पैसे को यहीं खर्च करेंगे। आप यहां पैंट, शर्ट, कैमरा, फोन, जूते, जैसी चीजें खरीदेंगे।

कांग्रेस ही विकासोन्मुख प्रगतिशील भविष्य सुनिश्चित कर सकती है

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पंजाब के मतदाताओं से कहा कि केवल कांग्रेस ही विकासोन्मुख प्रगतिशील भविष्य सुनिश्चित कर सकती है जहां लोकतंत्र और संविधान की रक्षा होगी। मनमोहन सिंह ने पंजाब के मतदाताओं से विकास और समावेशी प्रगति के लिए वोट देने तथा प्रेम, शांति, भाईचारे और सद्भाव को मौका देने की अपील की। मोदी पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने सार्वजनिक संवाद और प्रधानमंत्री पद की गंभीरता को कम किया। अतीत में किसी भी प्रधानमंत्री ने समाज के किसी विशेष वर्ग या विपक्ष को निशाना बनाने के लिए ऐसे घृणित, असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल नहीं किया।

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