Modi सिस्टम ने करप्शन को बनाया लीगल! भ्रष्टाचार बना नियमों का धंधा!
मोदी सिस्टम में भ्रष्टाचार को रोकने के बजाय उसे लीगलाइज और इंस्टीट्यूशनलाइज कर दिया गया है... ऐसे नियम बनाए गए...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः भारत में भ्रष्टाचार हमेशा से एक बड़ी समस्या रहा है….. लेकिन पिछले कुछ सालों में इसे एक नए रूप में देखा जा रहा है….. कुछ लोग कहते हैं कि मोदी सरकार ने भ्रष्टाचार को खत्म करने के बजाय इसे कानूनी और संस्थागत बना दिया है….. मतलब, ऐसे तरीके अपनाए गए हैं कि पैसा लेना-देना भ्रष्टाचार न लगे…. बल्कि वैध लगे…… उदाहरण के तौर पर चुनावी बॉन्ड स्कीम, पीएम केयर्स फंड, बैंक लोन माफी और कॉरपोरेट फंडिंग जैसे माध्यमों से अरबों रुपये का लेन-देन हुआ है….. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्सर कहते हैं कि उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार का एक भी दाग नहीं लगा…… लेकिन तथ्य कुछ और कहानी बयान करते हैं…..
चुनावी बॉन्ड स्कीम 2018 में शुरू हुई थी…… जिसे सुप्रीम कोर्ट ने 2024 में असंवैधानिक घोषित कर दिया…… इस स्कीम के तहत कंपनियां और व्यक्ति बिना नाम बताए राजनीतिक पार्टियों को पैसा दान कर सकते थे…… भाजपा को इस स्कीम से सबसे ज्यादा फायदा हुआ…… चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार….. भाजपा को कुल चुनावी बॉन्ड्स का 55 फीसदी से ज्यादा मिला…… जो करीब 5 हजार 5 सौ 94 करोड़ रुपये है….. टॉप डोनर्स में मेघा इंजीनियरिंग एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड (584 करोड़), क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड (375 करोड़), वेदांता लिमिटेड (230 करोड़) और भारती एयरटेल (195 करोड़) जैसी कंपनियां शामिल हैं…..
लेकिन यहां सवाल उठता है कि ये दान क्यों दिए गए….. कई मामलों में यह ‘एक्सटॉर्शन’ या ‘किकबैक’ जैसा लगता है…… उदाहरण के लिए 41 कंपनियां जो ईडी, सीबीआई या इनकम टैक्स की जांच का सामना कर रही थीं…… उन्होंने 2 हजार 4 सौ 71 करोड़ रुपये के बॉन्ड्स भाजपा को दिए…… अरबिंदो फार्मा का ही मामला देखिए…… नवंबर 2022 में कंपनी के डायरेक्टर पी सरथ चंद्रा रेड्डी को दिल्ली लिकर स्कैम में गिरफ्तार किया गया….. पांच दिन बाद कंपनी ने 5 करोड़ के बॉन्ड्स खरीदे और भाजपा को दिए…… जून 2023 में रेड्डी सरकारी गवाह बन गए…… और नवंबर 2023 में कंपनी ने फिर 25 करोड़ के बॉन्ड्स भाजपा को दान किए……
इसी तरह, मेघा इंजीनियरिंग पर अक्टूबर 2019 में इनकम टैक्स रेड पड़ी….. उसके बाद कंपनी ने 12 अरब रुपये के बॉन्ड्स खरीदे…… जिनमें से 6.7 अरब भाजपा को गए….. कंपनी को जोजी-ला टनल का प्रोजेक्ट मिला…… जिसकी तारीफ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने की…… डीएलएफ ग्रुप ने 170 करोड़ के बॉन्ड्स भाजपा को दिए…… और उसके बाद हरियाणा सरकार ने कंपनी के पुराने लैंड डील को क्लीन चिट दे दी….
और चौंकाने वाली बात कि 33 घाटे वाली कंपनियां, जिनका कुल नुकसान 1 लाख करोड़ से ज्यादा था….. उन्होंने 582 करोड़ के बॉन्ड्स दान किए…… जिनमें 75 फीसदी यानी 434 करोड़ भाजपा को गए…… इनमें से 16 कंपनियों ने जीरो या नेगेटिव टैक्स दिया…… यह सवाल उठाता है कि क्या ये दान मनी लॉन्ड्रिंग का हिस्सा थे…… आरबीआई ने शुरू में ही स्कीम पर चिंता जताई थी कि इससे पारदर्शिता खत्म हो जाएगी…..
वहीं यह स्कीम भ्रष्टाचार को संस्थागत बनाती है क्योंकि दानकर्ता का नाम छिपा रहता है…… और पार्टियां बिना जवाबदेही के पैसा लेती हैं…… पुराने समय में भ्रष्टाचार छोटे-छोटे रूप में दिखता था……. लेकिन अब एक ही स्रोत से हजारों करोड़ आ जाते हैं…… मोदी जी ने मनमोहन सिंह पर रेनकोट पहनकर नहाना का तंज कसा था…… मतलब घोटालों में शामिल होने पर भी दाग न लगना….. लेकिन अब यही बात मोदी सरकार पर लागू लगती है…..
कोविड-19 महामारी के दौरान मार्च 2020 में पीएम केयर्स फंड लॉन्च हुआ…… यह प्रधानमंत्री के नाम पर बना…… लेकिन सरकार ने कहा कि यह निजी ट्रस्ट है……. इसलिए RTI या CAG ऑडिट नहीं होगा……. फंड ने 2019-20 में 3076 करोड़ और 2020-21 में 10990 करोड़ जमा किए…… कुल राशि 30 हजार करोड़ से ज्यादा बताई जाती है….. लेकिन सटीक आंकड़े सार्वजनिक नहीं हैं…..
वहीं विवाद का सबसे बड़ा कारण यह है कि सरकारी कंपनियां, अमीर लोग, फाउंडेशन और CSR फंड से पैसा जमा कराया गया…… कर्मचारियों के वेतन से भी कटौती हुई…… लेकिन ट्रस्ट निजी है…… तो फिर सरकारी संसाधनों का इस्तेमाल क्यों किया गया….. पीएमओ ने RTI में कहा कि फंड सरकारी नहीं है……. इसलिए जानकारी नहीं दी जा सकती…… सुप्रीम कोर्ट ने भी 2020 में फंड को PMNRF में ट्रांसफर करने की याचिका खारिज कर दी…..
जिसके चलते बीजेपी पर कई घोटालों के आरोप लगे….. जिसमें वेंटिलेटर खरीद में अनियमितताएं…… फंड की वेबसाइट पर वित्तीय स्टेटमेंट मिसिंग हैं…… वहीं अब सवाल यह है कि कोई निजी ट्रस्ट को 30 हजार करोड़ क्यों देगा……. यह भ्रष्टाचार को सदाचार बनाने जैसा है……. क्योंकि पैसा PM के नाम पर आता है लेकिन जवाबदेही नहीं है….. जिससे साफ पता चलता है कि मोदी राज में भ्रष्टाचार चरम पर हो रहा है…. लेकिन सब लीगल तरीके से हो रहा है….. इसलिए मोदी कहते हैं कि मेरी सरकार पर आज तक भ्रष्टाचार के कोई आरोप नहीं लगे तो फिर ये सब आंकड़े क्या हैं…..
मोदी सरकार में बैंकों ने 10 लाख करोड़ से ज्यादा के लोन राइट-ऑफ किए……. लेकिन रिकवरी सिर्फ 13 फीसदी यानी 1.3 लाख करोड़ रूपये रही……. इंसॉल्वेंसी एंड बैंकक्रप्सी कोड 2016 में आया…… जिसके तहत NCLT में केस सेटल होते हैं…… औसत हेयरकट यानी माफी 83 फीसदी है……. मतलब बैंकों को 100 रुपये के क्लेम पर 17 रुपये मिलते हैं…..
विदोकोन इंडस्ट्रीज को वेदांता ने 2962 करोड़ में खरीदा…… हेयरकट 95.85 फीसदी रहा…. वहीं DHFL की कीमत 91,000 करोड़ थी…. जिसको पिरामल ने 37,250 करोड़ में लिया….. जिसका हेयरकट 60 फीसदी रहा…. अलोक इंडस्ट्रीज की कीमत 29,523 करोड़ थी… उसको मुकेश अंबानी की रिलायंस ने 5052 करोड़ में खरीदा…… जिसका हेयरकट 83 फीसदी था….. जेट एयरवेज की कीमत 7807 करोड़ रूपये थी…. जिस पर 82 फीसदी हेयरकट के साथ खरीदा गया….. वहीं इन सभी कुल 12 बड़े मामलों में 2.84 लाख करोड़ का हेयरकट दिया गया…..
वहीं इन सभी के लाभार्थी मुख्यत बड़े कारोबारी रहे जिसमें वेदांता, पिरामल, अंबानी, टाटा जैसे नाम शामिल है….. जिनको भाजपा ने पूरी इमानदारी के साथ भ्रष्टाचार करने का मौका दिया….. लेकिन सब लीगल था…. जिसको लेकर एक यूजर ने कहा 5-6 धनवान को लूप में रखो और हर सेक्टर निचोड़ो….. यह फिट बैठता है….. सरकारी बैंक से लोन लो, डिफॉल्ट करो, NCLT में 5 फीसदी पर सेटल करो…. फिर वही काम…. यह संस्थागत भ्रष्टाचार है…..
आपको बता दें कि भाजपा की फंडिंग में कॉरपोरेट्स की बड़ी भूमिका है….. FY 2023-24 में भाजपा को 2243 करोड़ दान मिले…… जो राष्ट्रीय पार्टियों के कुल दान का 88 फीसदी है…… प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने 2013 से 272 मिलियन डॉलर जुटाए….. जिसमें 75 फीसदी भाजपा को दिए……. इसमें भारती एयरटेल, जीएमआर, एस्सार, आर्सेलर मित्तल जैसी कंपनियां शामिल हैं….. वहीं ट्रस्ट से पैसा सीधे बिना नाम बताए भाजपा को जाता है…..
कॉरपोरेट्स चुनावी आवागमन में भूमिका निभाते हैं…… भाजपा कार्यकर्ताओं को लोकल फंड नहीं जुटाना पड़ता….. ऊपर से आता है…… लोकसभा में ऑफिशियल लिमिट 90 लाख, विधानसभा 27 लाख, लेकिन असल खर्च बहुत ज्यादा….. 2024 लोकसभा में भाजपा ने 1494 करोड़ खर्च किए जो कुल चुनाव खर्च का 45 फीसदी से ज्यादा है…..
भाजपा ने 2014-23 में लैंड-बिल्डिंग पर 1124 करोड़ खर्च किए…… दिल्ली हेडक्वार्टर पर आरोप 700 करोड़ का खर्चा किया….. झंडेवालान बिल्डिंग 150 करोड़ की…. जो 13 मंजिला है….. जिसमें आरएसएस का काम होता है….. कुल ऑफिस खर्च अनुमान 3500 करोड़…… घोषित आय 14663 करोड़……. लेकिन खर्च 74-107 हजार करोड़ अनुमानित….. मतलब गैप 60 हजार करोड़ का है……
आपको बता दें कि आरएसएस-भाजपा कार्यकर्ताओं की संपत्ति बढ़ने के आरोप हैं…… लेकिन ठोस सबूत कम है….. 10 साल पहले साधारण जीवन, अब कोठियां….. यह फंडिंग से जुड़ा लगता है….. वहीं पुराने समय में नेता छोटे-छोटे स्रोतों से पैसा जुटाते थे…… 10 करोड़ के लिए 20 हजार लोगों से मिलते थे…. वहीं अब स्मार्ट तरीके से एक स्रोत से 10 हजार करोड़ आ जाता है…. यह रेनकोट पहनकर नहाना ही तो है……



