मोइत्रा ने किया दावा, जल्द ही होगा सारे झूठों का पर्दाफाश
नई दिल्ली। लोकसभा आचार समिति को संबोधित पत्र से पता चला है कि तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने पूछताछ के बदले नकद विवाद में सीईओ दर्शन हीरानंदानी और शिकायतकर्ता वकील जय देहाद्राई से जिरह करने की अनुमति मांगी है। मोइत्रा ने समिति से लिखित में जवाब देने और इस तरह की जिरह की अनुमति देने या अस्वीकार करने के अपने फैसले को रिकॉर्ड में रखने को कहा था। महुआ ने अपने पत्र में लिखा कि मैं रिकॉर्ड पर रखना चाहती हूं कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए मैं हीरानंदानी से जिरह करने के अपने अधिकार का प्रयोग करना चाहती हूं। समिति, ‘सवाल पूछने के लिए पैसे लेने’ का उन पर लगाये गए आरोपों की जांच कर रही है।
सिर्फ दर्शन ही नहीं, टीएमसी सांसद ने वकील देहाद्राई से जिरह करने के अपने अधिकार का इस्तेमाल करने की भी मांग की है। उन्होंने कहा कि देहाद्राई ने अपनी लिखित शिकायत में अपने आरोपों के समर्थन में कोई दस्तावेजी सबूत नहीं दिया है और न ही वह अपनी मौखिक सुनवाई में कोई सबूत दे सका। प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को ध्यान में रखते हुए मैं देहाद्राई से जिरह करने के अपने अधिकार का प्रयोग करना चाहती हूं। पैनल को लिखे अपने पत्र में, उन्होंने भाजपा रमेश बिधूड़ी द्वारा बसपा सांसद दानिश अली को निशाना बनाकर इस्तेमाल किए गए नफरत भरे भाषण के मामले को उजागर करके विशेषाधिकार और नैतिकता शाखा के उद्देश्यों और विश्वसनीयता पर सवाल उठाया।
महुआ मोइत्रा ने दो नवंबर को लोकसभा की आचार समिति के समक्ष पेश होने पर उसे चुनौती देने का मंगलवार को अपना इरादा जाहिर किया, और समिति के पास आपराधिक मामले में क्षेत्राधिकार नहीं होने का जिक्र करते हुए कहा कि वह उस दिन सारे झूठ का पर्दाफाश कर देंगी। मोइत्रा ने कहा कि लोकसभा आचार समिति ने अभी तक आदर्श आचार संहिता तय नहीं की है। उन्होंने कहा, 2021 के बाद से समिति की कोई बैठक नहीं हुई। इसे अभी आदर्श आचार संहिता तैयार करनी है। किसी भी संसदीय स्थायी समिति के पास अपराधिकारिक मामलों का अधिकार क्षेत्र नहीं है।’’