SC के फैसले पर मुमताज पटेल का बड़ा बयान, कहा- व्यवस्थाएं समय के साथ बदलनी ही चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम पर सुनवाई के दौरान तगड़ी टिप्पणियां कीं... कांग्रेस नेता मुमताज पटेल ने SC के रुख...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः भारत के मुस्लिम समुदाय से जुड़ी संपत्तियों को संभालने वाले वक्फ बोर्डों में बड़े बदलाव लाने वाले.. वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश दिया.. कोर्ट ने इस कानून की कुछ विवादास्पद धाराओं पर रोक लगा दी.. लेकिन पूरे कानून को लागू होने से नहीं रोका.. इस फैसले का स्वागत करते हुए कांग्रेस नेता मुमताज पटेल ने कहा कि यह आदेश वक्फ बोर्डों की धार्मिक.. और सांस्कृतिक पवित्रता को बनाए रखने में मदद करेगा.. साथ ही भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की दिशा में सकारात्मक कदम है..
बता दें कि वक्फ एक इस्लामी परंपरा है.. जिसमें कोई व्यक्ति अपनी संपत्ति को धर्मार्थ कार्यों के लिए समर्पित कर देता है.. इसका मतलब है कि वह संपत्ति हमेशा के लिए सार्वजनिक कल्याण, जैसे मस्जिदों, मदरसों, कब्रिस्तानों या गरीबों की मदद के लिए इस्तेमाल होती है.. यह संपत्ति न तो बेची जा सकती है और न ही हस्तांतरित की जा सकती है.. भारत में वक्फ संपत्तियां बहुत बड़ी हैं.. लगभग 9 लाख एकड़ से ज्यादा जमीन, जो देश की कुल कृषि योग्य भूमि का एक बड़ा हिस्सा है.. इनमें मस्जिदें, दरगाहें और अन्य धार्मिक स्थल शामिल हैं.. वक्फ का उद्देश्य समाज की भलाई है.. लेकिन समय के साथ इसमें भ्रष्टाचार और गलत इस्तेमाल की शिकायतें बढ़ी हैं..
भारत में वक्फ की अवधारणा मुस्लिम शासकों के समय से चली आ रही है.. दिल्ली सल्तनत से लेकर मुगल काल तक, राजाओं.. और अमीरों ने अपनी संपत्तियां वक्फ के रूप में दान कीं.. ब्रिटिश राज में, 1913 में मुस्लिम वक्फ एक्ट बना.. जो वक्फ संपत्तियों को कानूनी रूप से संरक्षित करता था.. आजादी के बाद भारत सरकार ने इसे और मजबूत बनाने के लिए कानून बनाए.. वक्फ बोर्ड राज्य स्तर पर इन संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं.. और केंद्रीय वक्फ परिषद सलाह देती है..
भारत में वक्फ कानूनों की शुरुआत 1923 के मुस्लिम वक्फ एक्ट से हुई.. जो ब्रिटिश काल में बना था.. आजादी के बाद, 1954 में वक्फ एक्ट आया.. जिसने राज्य वक्फ बोर्डों की स्थापना की.. और ‘वक्फ बाय यूजर’ की अवधारणा शुरू की.. इसका मतलब है कि अगर कोई संपत्ति लंबे समय से धार्मिक उद्देश्य से इस्तेमाल हो रही है.. तो उसे वक्फ माना जा सकता है.. भले ही कोई लिखित दस्तावेज न हो.. इस कानून ने वक्फ संपत्तियों को संरक्षित किया.. लेकिन इसमें पारदर्शिता की कमी थी..
1995 में वक्फ एक्ट को संशोधित किया गया.. जो वक्फ बोर्डों को ज्यादा शक्तियां देता था.. इसमें वक्फ संपत्तियों का सर्वे, रजिस्ट्रेशन और विवाद निपटाने के लिए ट्रिब्यूनल बनाए गए.. 2013 में फिर संशोधन हुआ, जिसमें वक्फ संपत्तियों पर अतिक्रमण रोकने.. और महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया गया.. लेकिन इन कानूनों में भ्रष्टाचार, गलत सर्वे और सरकारी संपत्तियों पर दावा जैसे मुद्दे बने रहे.. वहीं अब 2024 में पेश किया गया वक्फ संशोधन बिल 2025 में कानून बन गया.. यह बिल पुराने कानूनों की कमियों को दूर करने का दावा करता है.. लेकिन इसमें सरकारी हस्तक्षेप बढ़ाने की आलोचना हो रही है..
आपको बता दें कि यह अधिनियम वक्फ प्रबंधन को आधुनिक बनाने का लक्ष्य रखता है… सभी वक्फ संपत्तियों का केंद्रीय डेटाबेस बनेगा, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी.. पुरानी संपत्तियों के लिए दस्तावेज जरूरी होंगे.. वहीं अब कोई संपत्ति सिर्फ इस्तेमाल से वक्फ नहीं मानी जाएगी.. लिखित दान-पत्र जरूरी होगा.. इससे सरकारी या निजी संपत्तियों पर अनुचित दावा रोकने का दावा है.. कलेक्टर को विवादित संपत्तियों की जांच का अधिकार मिलेगा.. अगर कोई सरकारी संपत्ति वक्फ बताई जाती है, तो वह अमान्य होगी.. वक्फ बोर्डों में कम से कम दो गैर-मुस्लिम और महिलाओं की भागीदारी अनिवार्य रहेगी.. इससे विविधता और समावेशिता आएगी.. वक्फ बनाने वाला व्यक्ति कम से कम पांच साल से इस्लाम का पालन कर रहा हो.. वक्फ फंडों का सालाना ऑडिट होगा, और भ्रष्टाचार रोकने के लिए सख्त नियम होंगे..
वहीं सरकार का कहना है कि ये बदलाव वक्फ संपत्तियों का बेहतर इस्तेमाल सुनिश्चित करेंगे… वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को लेकर बड़ा विवाद है… मुस्लिम संगठन और विपक्षी दल इसे मुस्लिम अधिकारों पर हमला बता रहे हैं…. गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति से वक्फ बोर्ड मुस्लिम समुदाय के नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं.. यह संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन माना जा रहा है.. कलेक्टर को ज्यादा शक्तियां देने से सरकार वक्फ संपत्तियों पर कब्जा कर सकती है.. विपक्ष का कहना है कि यह मुस्लिमों को ‘दूसरे दर्जे का नागरिक’ बनाएगा…कई पुरानी संपत्तियां बिना दस्तावेज के वक्फ हैं.. इससे वे खो सकती हैं.. बिल महिलाओं की भागीदारी बढ़ाता है.. लेकिन आलोचक कहते हैं कि यह सिर्फ दिखावा है.. जबकि असली मकसद नियंत्रण है.. सरकार कहती है कि वक्फ बोर्डों में भ्रष्टाचार है.. लेकिन विपक्ष इसे वोट बैंक की राजनीति बताता है..
AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी.. मुस्लिम महिलाओं के संगठनों ने भी विरोध किया.. लेकिन कुछ ने सुधारों का स्वागत किया.. 15 सितंबर 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ संशोधन अधिनियम पर अंतरिम आदेश दिया.. कोर्ट ने पूरे कानून पर रोक नहीं लगाई.. लेकिन कुछ धाराओं पर स्टे दिया.. यह धारा रद्द की गई.. क्योंकि यह धार्मिक स्वतंत्रता पर असर डालती है.. विवादित संपत्तियों पर कलेक्टर का फैसला रोका गया.. क्योंकि इससे मनमानी हो सकती है.. कोर्ट ने इसे बनाए रखने का समर्थन किया.. लेकिन संशोधन की कुछ हिस्सों पर रोक.. कोर्ट ने कहा कि कानून की वैधता पर अंतिम फैसला बाद में होगा… लेकिन फिलहाल पारदर्शिता बनी रहे.. सरकार ने इसे संसद के फैसले का सम्मान बताया…
कांग्रेस नेता मुमताज पटेल दिवंगत नेता अहमद पटेल की बेटी हैं.. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया.. दिल्ली में दिए बयान में उन्होंने कहा कि हम आज सुप्रीम कोर्ट द्वारा की गई टिप्पणियों का स्वागत करते हैं… एक मुस्लिम महिला के रूप में, मैं निश्चित रूप से कहूंगी कि समय के साथ व्यवस्थाएं बदलती हैं और बदलनी चाहिए.. इसे बदलते समय के साथ विकसित होना चाहिए.. लेकिन सांस्कृतिक और धार्मिक संरचना की पवित्रता बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है… सुप्रीम कोर्ट द्वारा आज दिए गए फैसले ने कुछ आपत्तियों को संबोधित किया है जो इस अधिनियम में पहले से थीं.. जैसे कि कलेक्टर को मिल रही मनमानी शक्तियों के कारण है.. हमें चिंता थी कि इसमें अधिक सरकारी हस्तक्षेप होगा.. बोर्ड में तीन से अधिक गैर-मुस्लिम नहीं होने चाहिए.. और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सीईओ एक मुस्लिम हो.. हम इन सभी धाराओं का स्वागत करते हैं.. क्योंकि यह संरचना को बनाए रखेगा… मैं इस बात से इनकार नहीं करता कि इन फंडों का दुरुपयोग हुआ था या भ्रष्टाचार था.. और अगर हम उस पर अंकुश लगा सकते हैं.. तो हम इसका बहुत स्वागत करेंगे.. लेकिन चिंता थी कि अधिक सरकारी हस्तक्षेप होगा और इसका दुरुपयोग किया जाएगा..
आपको बता दें कि मुमताज पटेल का बयान संतुलित है.. वह सुधारों का समर्थन करती हैं.. लेकिन धार्मिक पवित्रता पर जोर देती हैं.. वह मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों पर भी बात करती हैं.. जो बिल में शामिल है.. पहले भी उन्होंने वक्फ पर महिलाओं की कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लिया… विपक्ष ने कोर्ट के फैसले को जीत बताया.. AIMIM ने कहा कि यह मुस्लिम अधिकारों की रक्षा है.. मुस्लिम महिलाओं के संगठनों ने महिलाओं की भागीदारी का स्वागत किया.. लेकिन सरकारी नियंत्रण पर चिंता जताई.. वहीं यह कानून मुस्लिम समुदाय के लिए महत्वपूर्ण है.. क्योंकि वक्फ संपत्तियां उनकी सांस्कृतिक विरासत हैं.. अगर सही से लागू हुआ, तो भ्रष्टाचार रुकेगा.. लेकिन गलत इस्तेमाल से विवाद बढ़ सकते हैं..



