कुलदीप सेंगर को जमानत पर नेहा सिंह राठौर का हमला, ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ पर उठाए सवाल

उन्नाव रेप केस के आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर को जमानत मिलने पर नेहा सिंह राठौर ने सरकार और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान पर सवाल उठाए. कहा, 'आज कल नए भारत में कुछ भी हो सकता है.'

4पीएम न्यूज नेटवर्क: उन्नाव रेप केस के आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर को जमानत मिलने पर नेहा सिंह राठौर ने सरकार और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान पर सवाल उठाए. कहा, ‘आज कल नए भारत में कुछ भी हो सकता है.’

उन्नाव रेप केस के आरोपी और पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद मामला लगातार सुर्खियां बटोर रहा है. इस फैसले पर भोजपुरी लोकगायिका नेहा सिंह राठौर ने तीखी प्रतिक्रिया
देते हुए सरकार की नीतियों और नारों पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने इस पर टिप्पणी करते हुए सरकार पर बेटी बचाव बेटी पढ़ाओ को लेकर तंज कस दिया है.

नेहा सिंह राठौर की प्रतिक्रिया
नेहा सिंह राठौर ने इस जमानत को नए भारत की सच्चाई बताते हुए सरकार पर सीधा तंज कसा. उन्होंने कहा कि
आज के भारत में कुछ भी संभव है, जहां एक ओर सामाजिक कार्यकर्ता जेल में हो सकते हैं और दूसरी ओर बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों के दोषी बाहर आ सकते हैं. उन्होंने सरकार के बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नारे को विरोधाभासी बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री की सख्त भाषा और जमीनी हकीकत में बड़ा अंतर दिखता है. नेहा के अनुसार ऐसे अपराधियों को पैरोल या जमानत देना न सिर्फ गलत है बल्कि यह न्याय व्यवस्था पर सवाल खड़े करता है. उन्होंने इसे निंदनीय बताते हुए देश की बेटियों से एकजुट होकर पीड़िता के साथ खड़े होने की अपील की.

क्रिसमस विरोध पर क्या बोलीं नेहा सिंह राठौर?
क्रिसमस के विरोध पर टिप्पणी करते हुए नेहा सिंह राठौर ने इसे देश को कमजोर करने वाला कदम बताया. उनका
कहना है कि किसी भी त्योहार या धार्मिक आयोजन का विरोध धार्मिक उन्माद को बढ़ावा देता है. एएनआई को दिए बयान में उन्होंने सवाल उठाया कि अपने ही देश में अल्पसंख्यकों को डराकर किस तरह का राष्ट्रवाद खड़ा किया
जा रहा है. नेहा के मुताबिक यह देश प्रेम नहीं बल्कि लोकतंत्र और सामाजिक एकता को कमजोर करने की कोशिश है.

अंतरराष्ट्रीय छवि और मौलिक अधिकार
नेहा सिंह राठौर ने सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले ऐसे वीडियो को भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि के लिए नुकसानदायक बताया. उन्होंने कहा कि यूरोप और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में जहां भारतीय अल्पसंख्यक रहते हैं, वहां ये सब भारत के प्रति नकारात्मक धारणा बनाते हैं. इससे वहां की सरकारों पर भारत के खिलाफ नीतियां बनाने का दबाव भी बढ़ सकता है. नेहा ने कहा कि ईद, दिवाली, क्रिसमस या किसी भी धर्म के पर्व को मनाना हर नागरिक का मौलिक अधिकार है. चर्च, मंदिर, मस्जिद या किसी भी धार्मिक स्थल पर जाना संविधान प्रदत्त अधिकार है और इन अधिकारों का हनन लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा है.

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