संघ के मंच पर पहुंचे नेताजी के भतीजे
नई दिल्ली। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि नेताजी के अधूरे कार्य को पूरा करना है। मोहन भागवत सोमवार को नेताजी की जयंती पर कोलकाता के शहीद मिनार में सभा को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं।उन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। नेताजी ने कभी अपना स्वार्थ नहीं देखा। वह इतना शिक्षित थे। वह ऐश्वर्यपूर्ण जीवन जी सकते थे, लेकिन उन्होंने बनवास को चुना। उन्होंने देश के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। उन्होंने अपना जीवन देश के लिए समर्पित कर दिया। उन्होंने कहा कि आरएसएस परिवार में प्रवेश करने के लिए हममें से हर किसी ने किसी न किसी का हाथ थाम लिया है। आरएसएस के कार्यक्रम नेताजी सुभाष चंद्र बोस के भतीजे अर्धेन्दु बोस भी उपस्थित थे।
उन्होंने कहा कि बंगाल में यह कोई नई बात नहीं है। हर साल हम इस तरह का कार्यक्रम करते हैं। संघ अब एक बड़ा परिवार बन गया है। सब अब हमें जानते हैं। जिन्होंने हमारे लिए जीवन का नेतृत्व किया हम उन्हें सलाम करते हैं और उन्हें याद करते हैं।
मोहन भागवत ने कहा किदेश के लिए हम जितना भी करें कम है। बदले में हमने नेताजी को क्या दिया? कुछ नहीं। हमने न कभी नेताजी के साथ न्याय किया, न गुरु गोविंद सिंह के साथ। दूसरों के हित में काम करने वालों को आलोचना का भी सामना करना पड़ता है। सिर्फ इसलिए कि उन्होंने कभी किसी चीज की उम्मीद नहीं की थी कि हम उन्हें आज भी याद करते हैं। उन्होंने परिवार ही नहीं छोड़ा, उन्होंने देश के लिए आगे बढक़र लड़ाई लड़ी। उन्होंने सत्ता को चुनौती दी। यदि भाग्य उसके साथ होता, तो वह हमारे क्षेत्र में बहुत आगे बढ़ सकता था।
मोहन भागवत ने कहा किहर रास्ता मंजिल की ओर ले जाता है। सुभाष बाबू और कांग्रेस आंदोलन भारत को एक मंच पर ले गए, लेकिन बाद में नेताजी को एहसास हुआ कि एक हथियारबंद आंदोलन की जरूरत है। सभी का लक्ष्य एक ही था। नेताजी उस लक्ष्य के लिए एक अलग रास्ता चुनते हैं। हम संघ के लोग यही काम करते हैं। हम देश की परंपरा को जीवित रखते हैं। विश्व में शांति लाना हमारा भारत है, हम उसके लिए काम करते हैं। बैभव सम्पन्न भारत की आवश्यकता है। दुनिया को भारत से क्या चाहिए, हम उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश कर रहे हैं। नेताजी ने अपनी किताब में जो बताया, वही हमारा मकसद है, जिसके लिए हम काम करते हैं। भारत एक छोटी सी दुनिया है। हम भारत की समस्या का समाधान करेंगे तो विश्व की समस्या का समाधान हो जाएगा।हमें अपने कुछ बुरे पक्षों को छोड़ देना चाहिए। हम स्वार्थी हो गए हैं। अब हम सामूहिक रूप से काम नहीं करते हैं।
मोहन भागवत ने कहा, हमें सभी स्व-अनिवार्य मनोरंजन को छोड़ देना चाहिए। देश पहले है। भारत माता प्रथम है। हमें सच्चे लोगों की जरूरत है, एक सही इंसान की। संघ क्या है? यह एक व्यक्तित्व का विकास है। सुभाष बाबू ने स्वयं को योग्य बनाने के लिए कहा है। शाखा का नियमित अभ्यास करना चाहिए। यह एक आदत होनी चाहिए। हम अपने उद्देश्य को भूल गए हैं। हम एक बड़े संघ की आकांक्षा नहीं रखते हैं। हम देश को संघ जैसा बनाना चाहते हैं। हमें चुनाव नहीं जीतना है, हमें लोकप्रियता नहीं चाहिए, हमें मशहूर होने की जरूरत नहीं है, हमें समृद्ध होने के लिए देश चाहिए। सुभाष बाबू ने देश के लिए खुशी-खुशी अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। हमें आज मरने की नहीं बल्कि देश को बनाने की जरूरत है।