नीतीश की घटती ताकत लाएगी वोटों की आफत!

  • सिर्फ नीतीश के सहारे नहीं रहना चाहती बीजेपी
  • बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए सीट शेयरिंग 
  • छोटे दलों को बड़ी ताकत माइक्रो फ्रेक्शन पर बीजेपी का फोकस
  • माइक्रो राजनीति पर बीजेपी का जोर

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एनडीए में सीट शेयरिंग का इंतज़ार आखिरकार खत्म हो गया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिल्ली दौरे के बाद यह तस्वीर साफ हो गई है कि अबकी बार जदयू 102 सीटों पर लड़ेगी जबकि भाजपा 101 सीटों पर किस्तमत आजमायेगी। पहली नजऱ में लगता है कि दोनों बराबर हैं लेकिन असलियत यह है कि यह नीतीश कुमार की ताक़त में बड़ी कटौती है।
पिछली बार वे 115 सीटों पर चुनाव लड़े थे और खुद को एनडीए में बड़ा भाई साबित कर रहे थे। इस बार 13 सीटें कम होना संदेश देता है कि उनकी राजनीतिक हैसियत धीरे-धीरे सिकुड़ रही है। इस बार के बंटवारे में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि छोटे दलों को भरपूर हिस्सेदारी दी गई है। लोजपा (रामविलास) की पार्टी को 20 सीटें मिली हैं। रालोम (उपेंद्र कुशवाहा) के खाते में 10 सीटें गयी हैं और जीतन राम मांझी की हम पार्टी को भी 10 सीटों पर चुनाव लडऩा तय किया गया है। यानी कुल 40 सीटें छोटे सहयोगियों के खाते में गईं। यह भी साफ संकेत है कि भाजपा अब चुनावी लड़ाई को सिर्फ नीतीश के भरोसे नहीं छोडऩा चाहती। छोटे दलों को तरजीह देकर उसने जदयू के लिए जगह और सीमित कर दी है।

दिल्ली से कमजोर होकर लौटे सीएम

नीतीश कुमार दिल्ली गए थे ताक़त दिखाने लेकिन लौटे कमज़ोर होकर है। सूत्र बताते हैं कि सीट शेयरिंग को लेकर हुई बैठक में भाजपा ने साफ कर दिया कि इस बार वह बड़ा भाई की भूमिका में होगी। नीतीश को मजबूरी में समझौता करना पड़ा। यह वही नीतीश हैं जो कभी सीट बंटवारे पर भाजपा को आखें दिखा देते थे लेकिन आज हालत यह है कि प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्हें हम सब मिलकर लड़ रहे हैं जैसी सफाई देनी पड़ी रही है।

धीरे-धीरे भाजपा का कब्जा

भाजपा की रणनीति बिल्कुल साफ है। नीतीश कुमार को कमजोर कर वह धीरे-धीरे बिहार की राजनीति पर अपनी पूरी पकड़ बनाना चाहती है। बीजेपी ने इस? दिशा में इस बार मजबूत कदम भी उठाया है और यह सीट शेयरिंग उसी कदम की आहट है। 2020 में भाजपा 74 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी। अब सीट बंटवारे में बराबरी दिखाकर उसने संदेश दे दिया कि 2025 के बाद एनडीए का असली चेहरा भाजपा होगी। मौजूदा स्थिति नीतीश को हाशिए पर धकेलने की ओर इशारा करती है।

चिराग को ताकत नीतीश के लिए खतरा

नीतिश कुमार के लिए सबसे बड़ा झटका चिराग पासवान की पार्टी को दी गई 20 सीटें हैं। याद कीजिए 2020 में चिराग ने नीतीश के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोला था और जदयू को तगड़ा नुकसान पहुँचाया था। इस बार भाजपा ने उन्हें सीधे-सीधे एनडीए में जगह देकर नीतीश की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। यह वही चिराग हैं जिन्हें नीतीश हमलावर कहते थे। अब उनके साथ बैठकर तालमेल करना पड़ेगा।

खुश है राजद

आरजेडी और कांग्रेस इस पूरे घटनाक्रम पर खुलकर हमला बोल रही हैं। तेजस्वी यादव ने ट्वीट कर कहा है कि नीतीश जी की हालत तो अब गाड़ी की डिक्की जैसी हो गई है जगह है पर खुलने की ताक़त नहीं। वहीं कांग्रेस नेताओं का कहना है कि भाजपा धीरे-धीरे नीतीश को खा रही है और यह बिहार की राजनीति में अंतत: जदयू का पतन साबित होगा।

वर्तमान बिहार विधानसभा में एनडीए की स्थिति

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में भाजपा को 74 सीटें हासिल हुई थी। उप चुनाव में भाजपा ने राजद की कुढऩी सीट छीन ली। विकासशील इंसान पार्टी के तीनों विधायकों को भाजपा ने अपनी पार्टी में मिला लिया। इस तरह भाजपा के विधायकों की संख्या 78 हो गई थी। फिर लोकसभा चुनाव में राजद और भाकपा-माले के एक-एक विधायक सांसद बने तो उप चुनाव 2024 में दोनों सीटें भाजपा ने अपने खाते में कर अपनी संख्या 80 कर ली। दूसरी तरफ, एनडीए के घटक जदयू को बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में 43 सीटें ही मिली थीं। जदयू ने बहुजन समाज पार्टी और लोक जनशक्ति पार्टी के एक-एक जीते विधायकों को शामिल करा अपनी संख्या 45 विधायक की। जदयू विधायक बीमा भारती के राजद में जाने से यह संख्या 44 रह गई। उप चुनाव 2024 में बेलागंज सीट राजद से छीनकर जदयू ने अपनी संख्या 45 कर ली। मांझी की पार्टी हम-से के चार विधायक जीते थे। मांझी लोकसभा चुनाव में उतर खुद सांसद बने तो उप चुनाव में उनकी सीट उन्हीं की पार्टी के खाते में आ गई। मतलब, चार के चार हैं। लोजपा के एक विधायक ने जीत दर्ज की थी, जो जदयू में चले गए। इस तरह चिराग की पार्टी विधानसभा में नहीं है। कुशवाहा को पिछले चुनाव में कुछ हासिल नहीं था।

पटना में पुलिस पर हमला और नाबालिग छात्रा की मौत के बाद बवाल, विपक्ष उठा रहा सवाल

सत्ता में बैठी पार्टियां चुनावी रणनीति बना रही थीं उधर राज्य की कानून व्यवस्था पर विपक्ष सवाल उठा रहा है। वहीं पांचवीं कक्षा की छात्रा की मौत के मामले पर आज फिर बवाल शुरू हो गया है। आक्रोशित परिजन और स्थानीय लोगों ने घटना के विरोध में सड़क जाम कर दिया है। इस बात की जानकारी मिलने पर पुलिस जब जाम हटाने घटनास्थल पर पहुंची तो आवेश में स्थानीय लोगों ने पुलिस पर पथराव कर दिए, जिसमें दो पुलिसकर्मी घायल हो गए। मामला गर्दनीबाग थाना क्षेत्र के आमला टोला के पास की है। फिलहाल सचिवालय डीएसपी समेत तीन थानों की पुलिस घटनास्थल पर पहुंच स्थिति को संभालने में जुटे हुए हैं।

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