‘गरीब बच्चों के लिए पैसा नहीं’ । AAP ने BJP के VIP खर्च पर उठाए सवाल
गुजरात में कुपोषण के मुद्दे को लेकर सियासत गरमा गई है... आम आदमी पार्टी के नेताओं ने आरोप लगाया है कि सरकार के पास कुपोषित बच्चों...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः गुजरात में आदिवासी समुदाय के विकास.. और कल्याण के लिए आवंटित फंड्स को कथित तौर पर.. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रमों पर खर्च करने का मुद्दा राजनीतिक गलियारों में गर्मा रहा है.. आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी अनुराग ढांडा.. और दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सौरभ भारद्वाज ने इस मामले को जोर-शोर से उठाया है.. दोनों नेताओं ने आरोप लगाया है कि.. भाजपा सरकार आदिवासी बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य.. और अन्य जरूरतों की अनदेखी कर रही है.. जबकि प्रधानमंत्री के कार्यक्रमों पर करोड़ों रुपये पानी की तरह बहाए जा रहे हैं.. वहीं यह आरोप AAP के गुजरात विधायक चैतार वसावा द्वारा दाखिल की गई RTI से मिली जानकारी पर आधारित हैं.. इस RTI से पता चला है कि गुजरात के डेडियापाड़ा इलाके में आयोजित प्रधानमंत्री के एक कार्यक्रम पर.. आदिवासी विकास फंड से 50 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए गए..
आपको बता दें कि यह मुद्दा सिर्फ गुजरात तक सीमित नहीं है.. बल्कि पूरे देश में आदिवासी समुदाय के अधिकारों और सरकारी प्राथमिकताओं पर बहस छेड़ रहा है.. AAP का कहना है कि यह भाजपा की आदिवासी विरोधी मानसिकता को दर्शाता है.. जबकि भाजपा ने ट्राइबल वेलफेयर पर अपने बजट में बढ़ोतरी का हवाला देकर इन आरोपों को खारिज करने की कोशिश की है..
गुजरात भारत के उन राज्यों में से एक है जहां आदिवासी आबादी काफी बड़ी है.. राज्य की कुल आबादी का लगभग 15 प्रतिशत हिस्सा आदिवासी समुदाय से आता है.. जो मुख्य रूप से दक्षिणी और पूर्वी जिलों जैसे दाहोद, छोटा उदेपुर, नर्मदा और तापी में रहते हैं.. डेडियापाड़ा जैसे इलाके आदिवासी बहुल हैं.. जहां कृषि, वन उत्पाद और छोटे-मोटे रोजगार मुख्य स्रोत हैं.. लेकिन इन इलाकों में कुपोषण, शिक्षा की कमी, स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव.. और बेरोजगारी जैसी समस्याएं आम हैं..
आपको बता दें कि केंद्र और राज्य सरकारें आदिवासी कल्याण के लिए कई योजनाएं चलाती हैं.. केंद्र सरकार की ट्राइबल वेलफेयर स्कीम्स के तहत 2014 में 21,000 करोड़ रुपये का बजट था.. जो 2022 तक बढ़कर 86,000 करोड़ रुपये हो गया.. गुजरात सरकार भी इंडस्ट्रियल पॉलिसी में ट्राइबल तालुकों में इंडस्ट्रियल पार्क्स के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी देती है.. लेकिन AAP का आरोप है कि ये बजट कागजों तक सीमित हैं.. और जमीनी स्तर पर आदिवासी समाज की जरूरतें नजरअंदाज की जा रही हैं.. आदिवासी छात्रों की स्कॉलरशिप बंद हैं.. सिकल सेल एनीमिया जैसी बीमारियों के लिए सहायता नहीं मिल रही.. और आंगनवाड़ी केंद्रों के बिल अटके पड़े हैं..
वहीं यह विवाद जनजातीय गौरव दिवस के मौके पर आयोजित प्रधानमंत्री के कार्यक्रम से जुड़ा है.. जो पिछले साल गुजरात में हुआ था.. इस कार्यक्रम का उद्देश्य आदिवासी संस्कृति और विकास को बढ़ावा देना था.. लेकिन AAP का दावा है कि इसके लिए आदिवासी फंड्स का दुरुपयोग किया गया.. AAP के अनुराग ढांडा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि गुजरात सरकार आदिवासी समाज के नाम पर बड़े-बड़े मंच सजाती है..
लेकिन हकीकत में बच्चों की पढ़ाई और स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देती.. और उन्होंने RTI से मिली जानकारी का हवाला देते हुए बताया कि डेडियापाड़ा में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम पर कुल 50 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च हुए.. जो आदिवासी विकास ग्रांट से लिए गए.. जिसमें पंडाल (टेंट) पर 7 करोड़ रुपये, डोम (गुंबद जैसी संरचना) पर 3 करोड़ रुपये, मंच निर्माण पर 5 करोड़ रुपये, VIP चाय-समोसे और नाश्ते पर 2 करोड़ रुपये, लोगों को लाने-ले जाने के लिए बसों पर 7 करोड़ रुपये, मोबाइल टॉयलेट और सफाई पर 2.40 करोड़ रुपये खर्च किए गए..
वहीं ढांडा ने सवाल उठाया कि अगर सरकार के पास VIP इंतजामों के लिए इतना पैसा है.. तो आदिवासी बच्चों की छात्रवृत्ति.. और स्वास्थ्य के लिए क्यों नहीं है.. और उन्होंने कहा कि एक तरफ अधिकारियों के लिए एक दिन में हजारों रुपये का भोजन.. दूसरी तरफ आदिवासी छात्रावासों में रहने वाले बच्चों को पूरे महीने के लिए सिर्फ 2,100 रुपये दिए जाते हैं.. जिसमें खाना, बिजली और अन्य खर्च शामिल हैं..
आपको बता दें कि सौरभ भारद्वाज ने इसे दिखावटी विकास करार दिया.. उन्होंने कहा कि आदिवासी इलाकों में कुपोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य की गंभीर समस्याएं हैं.. लेकिन सरकार की प्राथमिकता मंच, डोम और VIP मेहमानों की सुविधाएं बन गई हैं.. भारद्वाज ने जोर देकर कहा कि भाजपा आदिवासी समाज को सिर्फ भाषणों और तस्वीरों तक सीमित रखना चाहती है.. जबकि असली जरूरतें नजरअंदाज हो रही हैं..
आपको बता दें कि यह जानकारी AAP विधायक चैतार वसावा द्वारा विधानसभा में पूछे गए सवालों के जवाब से आई है.. वसावा डेडियापाड़ा से विधायक हैं.. और उन्होंने प्रशासन से कार्यक्रम के खर्च की डिटेल मांगी थी.. RTI जवाब में साफ हुआ कि ये खर्च आदिवासी कल्याण फंड से किए गए.. वहीं भाजपा ने इन आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज किया है.. पार्टी के नेता अमित शाह ने पहले कहा था कि मोदी सरकार ने ट्राइबल वेलफेयर का बजट 30,700 करोड़ से बढ़ाकर 50,000 करोड़ कर दिया है.. गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी राज्य में विकास कार्यों का हवाला दिया.. जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़कों पर खर्च शामिल है..
भाजपा का कहना है कि ट्राइबल स्कीम्स पर खर्च 93 प्रतिशत तक उपयोग हो रहा है.. और गुजरात में आदिवासी वोटों का समर्थन मिलना इस बात का प्रमाण है.. हालांकि, स्पेसिफिक इस कार्यक्रम के खर्च पर भाजपा की तरफ से कोई सीधा जवाब नहीं आया है..



