मणिपुर में दो नहीं 7 महिलाओं के साथ की गयी थी हैवानियत?
नई दिल्ली। मणिपुर तीन महीनों से हिंसा की आग में सुलग रहा था। लगातार वहां पर दोनों कुकी और मैतेई समुदायों के बीच आपसी संघर्ष की खबरें सामने आ रही है। मणिपुर संघर्ष की आग तब पूरे भारत मैं फैल गयी जब मानसून सत्र शुरू होने से एक दिन पहले इंसानियत को शर्मसार करने वाला मणिपुर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। वीडियो में एक आदमियों के समूह ने दो महिलाओं को नग्न करके सडक़ पर परेड कराई और उनका सामूहिक बलात्कार भी किया। परेड कराते वक्त कई लोगों ने महिलाओं के प्राइवेट पार्ट के साथ बेहत गंदे तरहे से छेड़छाड भी की। इस वीडियो को जिसने देखा उसकी रुह कांप गयी। हर कोई वीडियो में दिखने वाले दरिंदों के खिलाफ सजा की मांग कर रहा था।
इसके अलावा भी यौन उत्पीडऩ की कई घटनाएं सामने आई हैं। विभिन्न संगठनों ने दावा किया है कि 3 मई को मणिपुर में हिंसा फैलने के बाद से कम से कम सात कुकी-ज़ोमी महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया है। हालाँकि, मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने दावा किया है कि बलात्कार की केवल एक घटना दर्ज की गई है, जाहिर तौर पर पिछले हफ्ते सामने आए वायरल वीडियो में देखी गई पीडि़ताओं में से एक के यौन उत्पीडऩ का जिक्र है। बीरेन सिंह ने इंडिया टुडे एनई को एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया, ”राज्य भर में हत्या, आगजनी और दंगों की शिकायतों के साथ दर्ज 6,068 एफआईआर में से बलात्कार की केवल एक घटना पाई गई है।
3 मई को मणिपुर में जातीय हिंसा भडक़ने के बाद से 160 से अधिक लोगों की जान चली गई है और कई घायल हुए हैं, जब मेइतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (एसटी) दर्जे की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया गया था। मणिपुर की आबादी में मैतेई लोगों की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जबकि आदिवासी, जिनमें नागा और कुकी शामिल हैं, 40 प्रतिशत हैं और ज्यादातर पहाड़ी जिलों में रहते हैं।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, 23 जुलाई को वैपेई पीपुल्स काउंसिल, यंग वैपेई एसोसिएशन, ज़ोमी स्टूडेंट्स फेडरेशन और कुकी स्टूडेंट्स फेडरेशन ने दावा किया कि हिंसा फैलने के बाद से सात कुकी महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया है। उनके दावों के अनुसार, 27 पीडि़त महिलाओं में से सात के साथ बलात्कार किया गया, आठ को पीट-पीटकर मार डाला गया, दो को जलाकर मार दिया गया, पांच को गोली मार दी गई और तीन को पीट-पीटकर मार डाला गया। उन्होंने बताया कि बाकी पीडि़तों की मौत का कारण अज्ञात है। सीएम बीरेन सिंह ने इंडिया टुडे एनई को एक एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया, ”राज्य भर में हत्या, आगजनी और दंगों की शिकायतों के साथ दर्ज 6068 एफआईआर में से बलात्कार की केवल एक घटना पाई गई है।
एक अन्य मामले के बारे में पूछे जाने पर जहां कार वॉश के अंदर दो लड़कियों के साथ कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार किया गया था, बीरेन सिंह ने कहा कि शव परीक्षण रिपोर्ट में बलात्कार या किसी भी प्रकार के यौन उत्पीडऩ से इनकार किया गया है। इंफाल में कार धोने का काम करने वाली मणिपुर के कांगपोकपी की दो युवा आदिवासी महिलाओं का कथित तौर पर 4 मई को उनके कार्यस्थल पर अपहरण, सामूहिक बलात्कार और हत्या कर दी गई, जो स्ट्रिप-परेड की भयावहता के साथ मेल खाती है।
पूर्व उग्रवादियों के एक संगठन द्वारा मेइती लोगों को अपनी सुरक्षा के लिए अपने गृह राज्य छोडऩे के लिए कहने के बाद बड़ी संख्या में मेइती अब मिजोरम छोड़ रहे हैं। मिज़ोरम में पीस एकॉर्ड एमएनएफ रिटर्नीज़ एसोसिएशन (पीएएमआरए) ने राज्य में रहने वाले मेइती लोगों को अपने गृह राज्य में लौटने के लिए कहा है, यह कहते हुए कि 4 मई की घटना को लेकर मिज़ो युवाओं में गुस्सा है।
राज्य सरकार द्वारा संघर्षग्रस्त राज्य का दौरा करने की अनुमति नहीं दिए जाने के बावजूद, दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) की प्रमुख स्वाति मालीवाल यौन उत्पीडऩ से बचे लोगों से बातचीत करने के लिए इंफाल पहुंचीं। उन्होंने एएनआई से कहा, कृपया मुझे ऐसा करने की अनुमति दें। मैं यहां राजनीति करने नहीं आई हूं। मैं पीएम मोदी और महिला एवं बाल विकास मंत्री (स्मृति ईरानी) से मणिपुर का दौरा करने का अनुरोध करती हूं। भले ही पीएम मोदी ने कसम खाई है कि बलात्कारियों को बख्शा नहीं जाएगा, विपक्ष मांग कर रहा है कि प्रधानमंत्री को संसद में मणिपुर की स्थिति पर बयान देना चाहिए। विपक्षी सांसद आज लोकसभा में इंडिया फॉर मणिपुर और इंडिया डिमांड पीएम स्टेटमेंट ऑन मणिपुर जैसी तख्तियां लिए नजर आए।