अब किसी भी मरीज को सीधे कॉल कर सकेंगे हेल्थ मिनिस्टर
- प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों को निर्देश, प्रत्येक मरीज का विवरण प्रतिदिन स्वास्थ्य मंत्री को दें
लखनऊ। स्वास्थ्य महकमे से बड़ी खबर सामने आई है। वह यह कि अब सरकारी अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले प्रत्येक तीमारदार का विवरण हेल्थ मिनिस्टर के पास होगा। इसके लिए शासन स्तर से सभी सरकारी अस्पतालों को शासन की ओर से निर्देश दिए गए हैं कि वह अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले प्रत्येक मरीज का विवरण प्रतिदिन डिप्टी सीएम व प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक को भेजा जाय। महानिदेशक (चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं) ने सीएमओ समेत सभी सरकारी अस्पतालों के अधीक्षकों को इसके लिए पत्र भेजा है और कहा गया है इसमें किसी तरह की लापरवाही नहीं होनी चाहिए, नहीं तो संबंधित के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी। यूपी में इस तरह की व्यवस्था पहली हो रही है कि स्वास्थ्य मंत्री के पास प्रदेश भर के एक-एक मरीजों का विवरण होगा। इससे वह कभी भी किसी भी मरीज को सीधे कॉल करके अस्पताल में इलाज व सुविधाओं के बारे में पूछ सकते हैं। इससे लापरवाही व मनमानी करने वाले अस्पताल के जिम्मेदार अधिकारियों व डाक्टरों के बारे में भी मरीज के जरिए पता लगाया जा सकेगा। बता दें कि इन दिनों स्वास्थ्य मंत्री लगातार सरकारी अस्पतालों का दौरा कर रहे हैं और हकीकत देख रहे हैं।
मृतक व रेफर मरीजों का भी होगा विवरण
अस्पताल में पंजीकरण कराने वाले मरीज, भर्ती होने वाले मरीज, डिस्चार्ज और रेफर किए जाने वाले मरीजों की भी सूची प्रतिदिन देनी होगी। इतना ही नहीं, अस्पताल में इलाज के दौरान मरने वाले मरीजों को भी ब्यौरा अस्पताल के अधीक्षक को देना होगा। इससे स्वास्थ्य मंत्री यह जानने का प्रयास करेंगे कि जिस मरीज की मौत हुई है, क्या उसे सही इलाज मिला या लापरवाही की गई है।
यूपी में स्लैब बदलकर बिजली महंगी करने की तैयारी
लखनऊ। यूपी में अब स्लैब बदलकर बिजली महंगी करने की तैयारी चल रही है। इसका उपभोक्ता परिषद विरोध कर रहा है। उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता फोरम ने आरोप लगाया है कि यह अधिकार केवल नियामक आयोग को है। ऐसे में कंपनियों की तरफ से दिया गया यह प्रस्ताव नियमों के खिलाफ है। परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा का कहना है कि विद्युत अधिनियम का कंपनियां उल्लंघन कर रही हैं। उपभोक्ता परिषद ने मुख्यमंत्री से पूरे मामले में हस्तक्षेप करने की मांग उठाई है, जिस तरह बिजली दर बढ़ने से रोकने के लिए विदेशी कोयले की खरीद पर प्रतिबंध लगाया गया था। उसी तरह स्लैब परिवर्तन पर भी प्रतिबंध लगाया जाए। इससे बिजली दरों में बढ़ोतरी नहीं होगी। उपभोक्ता परिषद ने बताया कि 21 जून से इस पर सुनवाई होनी है। इसको लेकर हर स्तर पर बहस के लिए पूरी तैयारी की गई है। इस बार कंपनियों ने बिजली दर बढ़ाने की मांग नहीं की है। मगर, वह चाहती हैं कि स्लैब बदल दिया जाए। इसके चलते कम बिजली जलाने के बाद भी अपने आप बिल ज्यादा आएगा। उदाहरण के लिए अगर एक किलोवाट का कोई उपभोक्ता 150 यूनिट बिजली जलाता है, तो पहले उसका बिल 5.50 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से 825 रुपए और 110 रुपए फिक्स्ड चार्ज मिलाकर 935 रुपए आता था, लेकिन नए स्लैब में उसको 6 रुपए प्रति यूनिट के हिसाब से 960 रुपए देने होंगे।
पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव पर भ्रष्टïाचार का आरोप, जांच के आदेश
लखनऊ। पीडब्ल्यूडी के प्रमुख सचिव नरेंद्र भूषण पर योगी सरकार की तलवार लटक गई है। उन पर ग्रेटर नोएडा में सीईओ के पद पर तैनाती के दौरान 300 करोड़ रुपए के कथित घोटाले का आरोप लगा है। ग्रेटर नोएडा के पूर्व सीईओ रहते हुए डिजिटल सिस्टम तैयार करने के नाम पर 300 करोड़ की हेराफेरी की बात सामने आई है। इसकी शिकायत पीएम और सीएम पोर्टल पर होने के बाद मामले में योगी सरकार ने जांच के आदेश दिए हैं। विशेष कार्याधिकारी सौम्या श्रीवास्तव को मामले की जांच सौंपी गई है। वहीं जांच आख्या 15 दिन में देने के निर्देश दिए गए हैं। ग्रेटर नोएडा के बादलपुर निवासी राजेंद्र नागर ने सीएम और पीएम पोर्टल पर शिकायत करते हुऐ लिखा कि ग्रेनो में डिजिटल साफ्टवेयर तैयार करने में एक कंपनी को काम दिया गया. अनुबंध की शर्तों के विपरीत भुगतान भी कर दिया गया। सॉफ्टवेयर शुरु करने में प्राधिकरण 300 करोड़ रूपए का भुगतान कर चुका है। फिर भी यह प्रक्रिया शुरु नहीं कराई जा सकी है। इस मामले की शिकायत के बाद ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में जांच शुरू हो गई है। प्राधिकरण की अपर मुख्य कार्यपालक आधिकारी अदिती सिंह ने ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी में विशेष कार्याधिकारी सौम्या श्रीवास्तव को जांच सौंपी है। इस कार्रवाई से अब पीडब्ल्यूडी जैसे महत्वपूर्ण विभाग में तैनाती पाने वाले नरेंद्र भूषण की कार्यशैली पर नजरें रखी जाने लगी हैं, जिससे पीडब्ल्यूडी विभाग में किसी तरह का कोई आरोप ना लगे। योगी सरकार की मंशा के अनुरूप कार्य किया जाए।