एक बार फिर नीतीश का बिहार, एनडीए की बहार

  • एक बार फिर नीतीश का बिहार, एनडीए की बहार
  • महागठबंधन की हार, तेजस्वी व राहुल को झटका
  • एसआईआर ने डाला व्यापक असर
  • राहुल तेजस्वी एसआईआर से ही लड़ते रह गये और नीतीश कुमार बाजी मार ले गये

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। बिहार की राजनीति लंबे समय से तवे के एक हिस्से पर पक रही है। इस बार भी ऐसा ही हुआ है और बिहार की जनता ने पटना से लेकर दिल्ली तक के चुनावी रसोइयों को हिला दिया। एग्जिट पोल ने जो भविष्यवाणी की थी वह लगभग फ्रेम टू फ्रेम सच निकली। महागठबंधन की नाव आधे दरिया में डूब गई और नीतीश कुमार की पुरानी लेकिन हमेशा चालू रहने वाली राजनीतिक मशीनरी ने एक बार फिर साबित कर दिया कि राजनीति उम्र से नहीं दिमाग से चलती है।
तेजस्वी यादव के उभार उम्मीद और उत्साह से लालटेन के आसपास भीड़ थी मंचों पर तालियां थीं और सोशल मीडिया में जोश था लेकिन राजनीति का जंगल हमेशा खुली सड़क नहीं होता। यहां डाल-डाल और पात-पात की पुरानी कहानी आज भी उतनी ही सच है। नीतीश कुमार चुपचाप बैठे रहे। वो न बोले, न डोले। उधर पीएम नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की जोड़ी ने बिहार चुनाव को इमैजिनेशन, इमोशन, और मैनेजमेंट वाली एक सुपरहिट फिल्म में बदल दिया। तेजस्वी यादव ने सोचा कि बेरोजगारी, महंगाई, भ्रष्टाचार और युवाओं के गुस्से की हवा उन्हें सीधे सत्ता में पहुंचा देगी लेकिन कहानी में ट्विस्ट आ गया और एसआईआर खलनायक बनके उभरा। राहुल तेजस्वी एसआईआर से ही लड़ते रह गये और नीतीश कुमार बाजी मार ले गये। नीतीश कुमार की इस जीत में महिलाओं का वोट शांत नदी की तरह बहा और सीधे नीतीश के खाते में जा गिरा। लगभग दो दशकों से राज्य पर शासन कर रहे नीतीश कुमार के लिए, इस चुनाव को व्यापक रूप से राजनीतिक सहनशक्ति और जनता के विश्वास, दोनों की परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है। बिहार को अक्सर जंगल राज कहे जाने वाले साये से बाहर निकालने के लिए कभी सुशासन बाबू कहे जाने वाले मुख्यमंत्री को हाल के वर्षों में मतदाताओं की थकान और अपने बदलते राजनीतिक समीकरणों पर सवालों का सामना करना पड़ा।

रुझान में एनडीएआगे

मौजूदा रुझानों में, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाले एनडीए ने कुल मिलाकर 199 सीटें हासिल की हैं, जिसमें भाजपा 90 , जदयू 81, लोजपा 21, हम 3 और आरएलएम 4 सीटों पर आगे चल रही है, जैसा कि चुनाव आयोग के दोपहर 12:52 बजे के आंकड़ों से पता चलता चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, राजद 29 सीटों पर, कांग्रेस 4, भाकपा (माले) 5 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि माकपा 1 और वीआईपी 0-0 सीटों पर आगे चल रही हैं, जिससे कुल सीटों की संख्या 41 हो गई है। इसके अलावा, बसपा एक सीट पर और एआईएमआईएम पांच सीटों पर आगे चल रही है। है।

स्थिरता की ओर झुकाव

नतीजों से यह स्पष्ट हो गया है कि बिहार के मतदाता चुनावी वादों से अधिक उन चेहरों पर भरोसा कर रहे हैं जो शासन का अनुभव रखते हैं। नीतीश कुमार की छवि सड़क, स्वास्थ्य, जन सुविधाओं और सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के साथ—अब भी ग्रामीण और महिला मतदाताओं के लिए भरोसेमंद है। इस चुनाव में महिलाओं का वोट सबसे निर्णायक रहा। इस वर्ग ने भारी संख्या में एनडीए के पक्ष में मतदान किया। बिहार की राजनीति में यह पहला अवसर है जब महिलाओं की भागीदारी ने इतने खुले तौर पर ट्रेंड तय किया।

क्यों कमजोर पड़ी तेजस्वी की चुनौती

तेजस्वी यादव ने बेरोजगारी और बदलाव के मुद्दे पर मजबूत अभियान चलाया था। लेकिन वह अभियान उन इलाकों में कमजोर पड़ गया जहां केंद्र और राज्य की योजनाओं ने जीवन में तात्कालिक फर्क डाला था। महागठबंधन के रणनीतिकारों ने सोशल मीडिया के प्रभाव को शायद जरूरत से ज्यादा तवज्जो दी जबकि जमीनी स्तर पर बूथ मैनेजमेंट उतना मजबूत नहीं दिखाई दिया। तेजस्वी यादव की लोकप्रियता भी ओवैसी फैक्टर और प्रशांत किशोर की गांव-गांव दौड़ के सामने कमजोर होती गई। मुस्लिम बहुल सीटों में वोट कटने से महागठबंधन को नुकसान हुआ

चुनाव परिणाम/ रुझान दोपहर तक

एनडीए           199
भाजपा            90
जदयू               81
लोजपा            21
हम                 03
आरएलमए      04
महागठबंधन   41
राजद             29
कांग्रेस             4
भाकपा (माले)  5
माकपा            1
वीआईपी          0

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