इंडिगो के आगे भाजपा सरकार मजबूर! विपक्ष ने खोली पोल!
इन देश हवाई यात्रा को लेकर भारी संकट मंडरा रहा है। लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसी कड़ी में आज भी कई हवाई अड्डों पर IndiGo की उड़ानें सामान्य नहीं हो पाई हैं, जिसके कारण देरी और कैंसिलेशन का सिलसिला जारी है.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: इन देश हवाई यात्रा को लेकर भारी संकट मंडरा रहा है। लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसी कड़ी में आज भी कई हवाई अड्डों पर IndiGo की उड़ानें सामान्य नहीं हो पाई हैं, जिसके कारण देरी और कैंसिलेशन का सिलसिला जारी है.
लगातार सातवें दिन बड़े पैमाने पर फ्लाइट्स रद्द होने का सिलसिला जारी रहा जिसकी वजह से प्रमुख हवाई अड्डों पर IndiGo के यात्री परेशान दिखे. भारत में एयर ट्रैवल के इतिहास में ऐसे संकट का इतना बड़ा स्तर पहले कभी नहीं देखा गया.वहीं इस मामले को लेकर सियासी पारा हाई चल रहा है राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर लगातार चर्चाओं का बाजार गर्म है। इसी बीच विपक्षी दलों के इस मामले को उठाते हुए भाजपा सरकार पर निशाना साधना शुरू कर दिया है।
इसी कड़ी में सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ‘इंडिगो’ की उड़ानों के रद्द होने के मुद्दे पर आरोप लगाया कि निजी विमानन कंपनी पर सरकार का कोई दबाव काम नहीं कर रहा है, क्योंकि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी ने इससे चुनावी बांड लिए थे। सहारनपुर के दौरे पर पहुंचे सपा मुखिया ने इंडिगो की उड़ानों के निरस्त होने से यात्रियों को हो रही परेशानी को लेकर कहा कि अगर उद्योगपतियों को ताकतवर बना देंगे तो वे सरकार पर दबाव बनाएंगे। सरकार के ऊपर जाकर काम करेंगे। इंडिगो पर सरकार का दबाव नहीं है, इंडिगो वालों से भाजपा ने चुनावी बांड लिए थे। सरकार पर पूंजीवादी हावी हैं।
हालांकि अब जब चुनावी चंदे की बात उठी तो सरकार सवालों के घेरे में आ गई और पुरानी बातें खुलकर सामने आने लगी। दोस्तों जैसा की आप जानते हैं एयरलाइन इंडिगो इस वक्त अपने सबसे बड़े संचालन संकट से जूझ रही है, जिसके चलते देशभर में विमानन सेवा लगभग ठप पड़ गई है. वहीं दूसरी ओर इसके राजनीतिक चंदे ने भी इसे मुश्किल में डाल दिया है. विपक्षी दल बीते लोकसभा चुनाव 2024 से महज़ एक साल पहले, 2023 में एयरलाइन द्वारा चुनावी बॉन्ड की बड़ी खरीद पर तीखे सवाल उठा रहे हैं.
भारतीय निर्वाचन आयोग द्वारा 2024 में जारी किए गए आंकड़ों से पता चलता है कि इंडिगो का संचालन करने वाले इंटरग्लोब समूह ने कुल 36 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे, जिससे यह एयरलाइन परिवहन क्षेत्र में राजनीतिक चंदे की सबसे बड़ी खरीदार बन गई.
मालूम हो कि यह स्कीम अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रद्द हो चुकी है. सामने आई जानकारी के मुताबिक, इंटरग्लोब की तीन संस्थाएं – इंटरग्लोब एविएशन, इंटरग्लोब एयर ट्रांसपोर्ट और इंटरग्लोब रियल एस्टेट वेंचर्स ने 1 करोड़ रुपये प्रति बॉन्ड के कुल 36 बॉन्ड खरीदे, जिनमें से 31 बॉन्ड मई 2019 में खरीदे गए, जबकि बाकी की खरीद अक्टूबर 2023 में की गई. इसके अलावा इंटरग्लोब के प्रमोटर राहुल भाटिया ने अप्रैल 2021 में अपनी व्यक्तिगत क्षमता में 20 करोड़ रुपये मूल्य के 29 बॉन्ड का एक और सेट खरीदा.
लेकिन खास बात ये भी है कि बात यह है कि भाटिया के सभी बॉन्ड तब खरीदे गए जब विमानन क्षेत्र कोविड-19 महामारी से बुरी तरह प्रभावित था. ऐसे में आपको मालूम हो कि चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली एकमात्र अन्य एयरलाइन स्पाइसजेट थी, जिसने साल 2021 के जनवरी और जुलाई के बीच 65 लाख रुपये मूल्य के 20 बॉन्ड खरीदे थे.
इंडिगो संकट के बीच विपक्षी कांग्रेस ने सवाल उठाया कि इंडिगो, जिसकी विमानन बाजार में 63% हिस्सेदारी है और उसके बाद एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी 13.6% है, उसको कोविड-19 महामारी के बाद के सालों में इस क्षेत्र पर लगभग एकाधिकार कैसे करने दिया गया. मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने मोदी सरकार पर चुनावी बॉन्ड खरीदने के बाद इंडिगो के प्रति अनावश्यक रूप से नरम रुख अपनाने का आरोप लगाया है.
पार्टी ने कहा कि इंडिगो में मची उथल-पुथल कोई आकस्मिक नहीं है, बल्कि मोदी सरकार द्वारा ‘इस क्षेत्र में एकाधिकार स्थापित करने के अथक प्रयास’ का नतीजा है. पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने एक एक्स पोस्ट में कहा, ‘भारतीय अर्थव्यवस्था के कई क्षेत्रों में द्वि-अधिपत्य है; एयरलाइन उद्योग भी उनमें से एक है. उदारीकरण और खुली अर्थव्यवस्था प्रतिस्पर्धा पर आधारित हैं.’
वहीं इस संबंध में कांग्रेस के लोकसभा सांसद शशिकांत सेंथिल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार ने इंडिगो को यात्रियों के लिए अराजक स्थिति पैदा करने की अनुमति दी, जबकि एयरलाइन ने दो साल पहले जनवरी 2024 में जारी की गई नई उड़ान ड्यूटी समय सीमा को लागू नहीं किया था. उन्होंने कहा कि एफडीटीएल जुलाई 2025 में आंशिक रूप से ही लागू किया गया था.
उन्होंने पूछा कि क्या केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू इस ‘अभूतपूर्व संकट’ की कोई जवाबदेही लेंगे? साथ ही उन्होंने आगे सवाल उठाया,’डीजीसीए यह सुनिश्चित करने में क्यों विफल रहा कि इंडिगो जनवरी 2024 में जारी किए गए, जुलाई 2025 से आंशिक रूप से और 1 नवंबर को पूरी तरह से लागू किए गए एफडीटीएल नियमों का पालन करे? क्या सरकार ने इंडिगो को कभी चेतावनी या अनुपालन नोटिस जारी किए, या क्या एयरलाइन को प्रवर्तन से पूरी तरह से संरक्षित किया गया था?’ गौरतलब है कि इस तरफ उड़ानों को लेकर हो रही देरी के बीच भाजपा सरकार भी सवालों के घेरे में है और विपक्ष लगातार सवाल उठा रहा है।



