सुप्रीम कोर्ट में तेजस्वी यादव की याचिका पर आदेश सुरक्षित
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की उस याचिका पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया, जिसमें उन्होंने कथित केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं टिप्पणी को लेकर अहमदाबाद की एक अदालत में उनके खिलाफ लंबित आपराधिक मानहानि शिकायत को राज्य के बाहर किसी स्थान पर, विशेषकर दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की है।
जस्टिस ए एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने यादव द्वारा दायर माफी के एक ताजा बयान को रिकॉर्ड पर लिया। बेंच ने कहा, हम आदेश पारित करेंगे। शीर्ष अदालत ने 29 जनवरी को यादव को अपनी कथित टिप्पणी केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं को वापस लेते हुए एक उचित बयान दाखिल करने का निर्देश दिया था। यादव ने 19 जनवरी को शीर्ष अदालत में एक हलफनामा दायर कर अपनी कथित गुजराती ठग टिप्पणी वापस ले ली।
शीर्ष अदालत ने आरजेडी नेता की याचिका पर सुनवाई करते हुए पहले आपराधिक मानहानि शिकायत की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी और इसे दायर करने वाले गुजरात निवासी को नोटिस जारी किया था। कथित आपराधिक मानहानि के लिए यादव के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 के तहत शिकायत दर्ज की गई थी।
गुजरात अदालत ने अगस्त में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 202 के तहत यादव के खिलाफ प्रारंभिक जांच की थी और एक स्थानीय व्यवसायी और कार्यकर्ता हरेश मेहता द्वारा दायर शिकायत पर उन्हें समन करने के लिए पर्याप्त आधार पाया था। शिकायत के अनुसार, यादव ने मार्च 2023 में पटना में मीडिया से बात करते हुए कहा था, वर्तमान स्थिति में केवल गुजराती ही ठग हो सकते हैं और उनकी धोखाधड़ी माफ कर दी जाएगी। बिहार के तत्कालीन उपमुख्यमंत्री ने कथित तौर पर कहा, अगर वे एलआईसी या बैंकों का पैसा लेकर भाग गए तो कौन जिम्मेदार होगा? मेहता ने दावा किया कि यादव की टिप्पणियों ने सभी गुजरातियों को बदनाम किया है।