राहुल गांधी को सीने में गोली मारने की धमकी से दहशत

  • लाइव टीवी शो में बीजेपी प्रवक्ता ने दी गोली मारने की धमकी
  • कांग्रेस महासचिव वेणूगोपाल ने गृहमंत्री को लिखी चिट्ठी
  • देश की राजनीति में तूफान, हर कोई हैरान
  • एक न्यूज चैनल पर चल रही थी बहस
  • टीवी डिबेट या नफरत का मंच?

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी को भरी डिबेट में सीने में गोली मार देने की धमकी से देश की राजनीति में दहशत भी है और आक्रोश। दरअस्ल एक बड़े नेशनल टीवी में चल रही डिबेट के दौरान बीजेपी प्रवक्ता प्रिंटू महादेव इतना आक्रमक हो गये कि उन्होंने लद्दाख हिंसा का ठीकरा राहुल गांधी पर फोड़ते हुए उनके सीने में गोली मारने की बात कह दी। उनके इस बयान से देश की राजनीति में तूफान खड़ा हो गया है और कांग्रेस नेगृह मंत्री अमित शाह को चिट्ठी लिखकर राहुल गांधी की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की है। भारतीय टीवी चैनलों की बहसें पहले से ही सस्ती टीआरपी के लिए जानी जाती हैं। एंकर पक्षपाती सवाल पूछते हैं, एक खास राजनीतिक विचारधारा को बचाते हैं और विपक्षी नेताओं को कठघरे में खड़ा करते हैं। लेकिन अब ये मंच धमकी, हिंसा और हत्या के एलान तक पहुंच चुके हैं। सवाल है क्या न्यूज18 जैसे चैनल इस स्तर तक गिर चुके हैं कि वे ऐसे जहरीले बयानों को लाइव प्रसारित करें और रोकने का प्रयास तक न करें?

राजनीति का गिरता स्तर

लोकतांत्रिक राजनीति में बहस विचारों की होनी चाहिए तर्कों और नीतियों की होनी चाहिए। लेकिन जब बहस गोली और हत्या की भाषा तक पहुंच जाए तो समझ लेना चाहिए कि राजनीति अपने सबसे गिरे हुए स्तर पर पहुंच चुकी है। भाजपा प्रवक्ता का यह बयान पूरे देश के लिए शर्मनाक है। सवाल यह है कि क्या भाजपा ऐसे व्यक्ति को पार्टी से निष्कासित करेगी या उसे बचाने का प्रयास करेगी?

लोकतंत्र के गले पर छुरी

यह मामला केवल एक बयान का नहीं है। यह भारत की राजनीति के मौजूदा चेहरे का आईना है। जहां असहमति को गद्दार कहा जाता है, आलोचना को देशद्रोह ठहराया जाता है और विपक्ष को गोली मारने की धमकी दी जाती है। राहुल गांधी पर दी गई धमकी लोकतंत्र के गले पर रखी गई छुरी है। सवाल यह है कि क्या सरकार इस पर सख्त कार्रवाई करेगी या फिर यह भी सामान्य राजनीति के कीचड़ में दब जाएगा? लोकतंत्र में असहमति दुश्मनी नहीं होती लेकिन आज भारत में असहमति का मतलब है मौत की धमकी। यह केवल राहुल गांधी की लड़ाई नहीं बल्कि पूरे भारत के लोकतंत्र की जंग है।

राहुल की सुरक्षा को लेकर कांग्रेस चिंतित

कांग्रेस बार-बार यह सवाल उठा रही है कि जब इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की जान जा चुकी है तो राहुल गांधी की सुरक्षा में इतनी ढिलाई क्यों? जब उन्हें सार्वजनिक रूप से मारने की धमकी मिल रही है तो सरकार को तुरंत उच्चस्तरीय सुरक्षा की गारंटी देनी चाहिए। वरना यह खतरा केवल राहुल गांधी का नहीं बल्कि लोकतंत्र की उस परंपरा का है जिसमें असहमति को भी जीने का अधिकार है।

इंदिरा गांधी से राजीव गांधी तक, अब राहुल गांधी निशाने पर

इतिहास गवाह है कि नेहरू-गांधी परिवार को हिंसा और आतंकवाद ने कभी बख्शा नहीं। इंदिरा गांधी को उनके अपने अंगरक्षकों ने गोलियों से भून दिया। राजीव गांधी को बम से उड़ा दिया गया। अब राहुल गांधी जो आज के दौर में सरकार के सबसे मुखर आलोचक हैं उन्हें खुलेआम गोली मारने की धमकी दी जा रही है। क्या यह संयोग है या सत्ता के गलियारों में विपक्ष को डराने-धमकाने की साजिश का हिस्सा?

कांग्रेस का गुस्सा : पीएम और गृहमंत्री से सवाल

कांग्रेस महासचिव वेणुगोपाल ने तुरंत गृहमंत्री अमित शाह को पत्र लिखा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जवाब मांगा। उनका कहना है कि जब देश के सबसे बड़े विपक्षी नेता को टीवी पर धमकी दी जाए और उस पर सरकार खामोश रहे तो यह चुप्पी केवल मौन नहीं बल्कि मिलीभगत का संकेत देती है। क्या सरकार बताएगी कि विपक्षी नेता की जान की सुरक्षा की गारंटी कौन देगा?

टीवी चैनलों की भूमिका : बहस या बारूद?

आज भारतीय मीडिया का एक बड़ा हिस्सा सत्ता का प्रचार विभाग बन चुका है। बहसों में विपक्ष को अपमानित करना गालियां देना व अब धमकी देना इस संस्कृति का हिस्सा बन चुका है। सवाल यह है कि क्या न्यूज चैनलों पर भी जिम्मेदारी तय होगी? क्या न्यूज18 इस प्रवक्ता के खिलाफ कार्रवाई करेगा या फिर इस घटना को सामान्य बताकर पल्ला झाड़ लेगा?

जनता में भय

राहुल गांधी केवल कांग्रेस के नेता नहीं बल्कि उन करोड़ों लोगों की आवाज हैं जो मोदी सरकार की नीतियों से असहमत हैं। उन्हें गोली मारने की धमकी देकर वास्तव में उन करोड़ों नागरिकों की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है। यह संदेश देने की कोशिश है कि जो सरकार की आलोचना करेगा उसे गोली मिलेगी। क्या यह लोकतांत्रिक भारत है या फिर अघोषित तानाशाही?

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