संसद की है संविधान के विकास की जिम्मेदारी
- उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बोले- न्यायपालिका व कार्यपालिका की कोई भूमिका नहीं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एकबार फिर न्यायपालिका व कार्यपालिका पर निशाना साधा है। उन्होंने कॉलेजियम प्रणाली को लेकर चल रही तनातनी के बीच कहा कि संविधान का विकास संसद में होना है एवं न्यायपालिका और कार्यपालिका सहित किसी अन्य सुपर निकाय या संस्था की इसमें कोई भूमिका नहीं है।
उपराष्ट्रपति धनखड़ तमिलनाडु के पूर्व राज्यपाल पीएस राममोहन राव के संस्मरण के विमोचन के मौके पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह संविधान की प्रधानता है जो लोकतांत्रिक शासन की स्थिरता, सद्भाव और उत्पादकता निर्धारित करती है और लोगों के जनादेश को दर्शाने वाली संसद संविधान का अंतिम और विशिष्ट निकाय है। धनखड़ ने आगे कहा कि संविधान को संसद के जरिए लोगों से विकसित होना है, कार्यपालिका से नहीं। संविधान को विकसित करने में कार्यपालिका की कोई भूमिका नहीं है, न्यायपालिका सहित किसी अन्य संस्था की भी नहीं है। उन्होंने कहा कि संविधान का क्रमिक विकास संसद के माध्यम से होना चाहिए और इसको देखने के लिए कोई सुपर निकाय नहीं हो सकती है। उन्होंने कहा कि वह विरोधाभास के डर के बिना टिप्पणी कर रहे हैं और उन्होंने संविधान सभा की चर्चा के साथ ही उन देशों के संविधानों का अध्यनन किया है जहां लोकतंत्र फलता-फूलता है।
सीजेआई ने कॉलेजियम को बताया था अच्छी प्रणाली
उच्च न्यायालयों एवं उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर न्यायपालिका तथा सरकार के मध्य खींचतान के बीच प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने एक दिन पहले कॉलेजियम प्रणाली का बचाव करते हुए कहा था कि हर प्रणाली दोष से मुक्त नहीं है, लेकिन यह सबसे अच्छी प्रणाली है, जिसे हमने विकसित किया है।