मरने पर खुशी और पैदा होने पर दुख मनाते हैं इस समुदाय के लोग

मौत पर खुशी मनाते हैं इस समुदाय के लोग, बच्चा पैदा होने पर होता है मातम......

4PM न्यूज़ नेटवर्क : भारत में कई जनजातियां ऐसी हैं जो सदियों पुराने रीति-रिवाजों को आज तक मनाती आ रही हैं. कई जनजातियों के नियम तो ऐसे हैं जिन्हें सुनकर ही आप हैरान हो जाएंगे. आज हम एक ऐसी ही जनजाति के बारे में बताने वाले हैं,

हम राजस्थान में रहने वाले जिप्सी समुदाय की बात कर रहे हैं. राजस्थान में लगभग 24 जिप्सी परिवार समूह हैं. ये सातिया समुदाय के तटों और खाली स्थानों पर आश्रयों में रहते हैं. इस जनजाति के ज्यादातर लोग अशिक्षित होते हैं. इस समुदाय को इनका एक रिवाज दूसरों से अलग बनाता है और वो है किसी की मृत्यु हो जाने पर खुशी मनाना. जी हां, इस समुदाय के लोग किसी के मरने पर खुशी मनाते हैं और बच्चे के जन्म पर दुख. ऐसे में जब इस जनजाति का कोई व्यक्ति मरता है तो सभी लोग नए कपड़े पहनते हैं, मिठाई खिलाते हैं और शराब का सेवन करते हैं.

जिप्सी जनजाति में जब कोई व्यक्ति मरता है तो उसके शव को ढोल की धुन पर नाचते गाते और जुलूस निकालते हुए ले जाया जाता है. ये लोग तब तक नाचते हैं जब तक मृतक का शरीर पूरी तरह से राख में न बदल जाए. जब उस व्यक्ति का अंतिम संस्कार हो जाता है तो जनजाति के बाकि लोग भोज का आयोजन करते हैं.

दरअसल इस जनजाति के लोगों का मानना है कि मृत्यु हमारे लिए एक महान अवसर है क्योंकि ये आत्मा को भौतिक रूप से मुक्त करती है. दरअसल इस जनजाति का मानना है कि जीवन एक अभिशाप है, जो सजा के रूप में ईश्वर ने हमें दिया है.

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