लोगों ने बीजेपी व मोदी को नकारा
उपचुनावों में इंडिया गठबंधन ने जमाई धाक, एनडीए गठबंधन की गिरी साख
- 13 में से 11 सीटों पर गठबंधन आगे
- उत्तराखंड की मंगलौर सीट भाजपा के हाथ से निकली, काजी की जीत, बदरीनाथ में भी कांग्रेस जीती
- हिमाचल में दो सीटें कांग्रेस ने जीतीं, एक भाजपा के खाते में
- मप्र के अमरवाड़ा मुकाबले में भाजपा की जीत, अंतिम राउंड में कमलेश शाह ने मारी बाजी
- पश्चिम बंगाल की 4 सीटों पर टीएमसी की जीत
- बिहार के रूपौली से निर्दलीय शंकर सिंह जीते बीमा हार गईं
- पंजाब में आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 में करारा झटका खाने के बाद भाजपा को उपचुनावों में करारी चोट लगी है। उसे पश्चिम बंगाल से लेकर हिमाचल तक अपनी सीटें गंवानी पड़ी है। 13 में से 11 सीटों पर इंडिया गठबंधन ने बढ़त बनाकर एकबार फिर अपनी धाक जमाई है। उधर बीजेपी की हार से एनडीए की साख को बट्टा भी लग गया है। इन सबके बीच भाजपा के नेताओं के बीच से अपनी ही पार्टी व शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ बगावती सुर भी उठने लगे हैं।
अब तो बड़े से बड़ा नेता व छोटे से छोटा कार्यकर्ता के मुंह से मोदी नहीं चाहिए का आवाज आने लगी है। वहीं उपचुनाव में जिस तरह इंडिया के सहयोगी दलों को जनता का समर्थन मिल रहा है उससे तो ऐसा लगता है लोगों का अब भाजपा से मोहभंग भी हो रहा है। बीजेपी के पिछडऩे पर कांग्रेस ने भी तंज कसते हुए कहा है कि धीरे-धीरे मोदी युग का अंत हो रहा है। बता दें सात राज्यों की 13 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के वोटों की गिनती जारी है। लोकसभा चुनाव के बाद एक बार फिर एनडीए बनाम इंडी गठबंधन की लड़ाई देखने को मिल रही है। जिन राज्यों में उपचुनाव हुए हैं, उनमें मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और तमिलनाडु शामिल हैं।
पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने दिया बीजेपी को झटका
पश्चिम बंगाल में टीएमसी ने चारों सीटे जीत ली है। राणाघाट दक्षिण से टीमएसी उम्मीदवार मुकुट मणि अधिकारी ने उपचुनाव की मतगणना पर कहा, 5 राउंड की गिनती के बाद हमारी पार्टी यहां आगे चल रही है, लोगों ने हमें जो समर्थन और आशीर्वाद दिया है, उसके आधार पर हमें लगता है कि समर्थन और बढ़ेगा और हमारी पार्टी की जीत होगी।
जनता ने खरीद-फरोख्त का दिया जवाब : सुक्खू
देहरा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी और अपनी पत्नी कमलेश ठाकुर की जीत पर हिमाचल प्रदेश के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा हिमाचल की जनता ने हमें 2022 में 40 सीटें दी थी, हमें फिर से जिताना जनता ने तय किया है। जिस प्रकार की खरीद-फरोक्त हिमाचल में हुई है उसका जवाब जनता ने दिया है… देहरा उपचुनाव में मैंने अपनी सरकार की साख दांव पर लगाई थी, 25 साल से कांग्रेस पार्टी वहां जीत नहीं पा रही थी। जब मुख्यमंत्री अपने परिवार के किसी व्यक्ति को मैदान में उतारता है तो उसकी साख भी दांव पर होती है, भाजपा ने पूरा जोर लगाया लेकिन मैं देहरा की जनता का धन्यवाद करता हूं कि उन्होंने अपने विवेक का इस्तेमाल किया और कमलेश ठाकुर की एक अच्छी जीत हो रही है। मैं उन्हें बधाई देता हूं।
जालंधर पश्चिम सीट पर जीती आप
जालंधर पश्चिम सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार मोहिंदर भगत ने जीत हासिल की है। यहां दूसरे स्थान पर कांग्रेस और तीसरे स्थान पर भाजपा उम्मीदवार रहे। पंजाब सरकार में मंत्री और आप नेता हरभजन सिंह ईटीओ ने पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ जश्न मनाया।
2027 में यूपी में सरकार बनना मुश्किल : बीजेपी विधायक
- इंडिया गठबंधन का पीडीए लगातार बढ़त ले रहा है
लखनऊ। जौनपुर की बदलापुर सीट से विधायक रमेश मिश्रा के एक बयान ने उत्तर प्रदेश के सियासत में बवाल मचा रखा है। उन्होंने दावा किया कि उत्तर प्रदेश में आज जो हमारी सरकार की स्थिति है वह बहुत खराब और कमजोर है। अगर हमारी ऐसी ही हालत रही तो 2027 के चुनाव आने तक हमारी स्थिति और कमजोर हो सकती है जिससे हमारी सरकार बनने के संभावनाएं भी खत्म हो जाएगी। वर्तमान में जो स्थिति है, उससे तो यही लगता है कि हमारी सरकार नहीं बनने जा रही है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी लगातार पीडीए की बात कर रही है। इसकी वजह से लोगों में व्यापक तौर पर भ्रम की स्थिति है। लोग समाजवादी पार्टी की बातों में आ रहे हैं और भाजपा को इसका नुकसान हो सकता है। भाजपा विधायक ने केंद्रीय नेतृत्व से भी हस्तक्षेप की मांग की। आज की तारीख में जिस तरह की स्थिति है, उसमें पीडीए आगे चलता हुआ दिखाई दे रहा है।
एलजी की शक्ति बढ़ाने के आदेश पर सियासी भूचाल
- दिल्ली की तरह ट्रांसफर-पोस्टिंग में उपराज्यपाल की मंजूरी जरूरी
- विपक्ष ने उठाए सवाल बोला राज्य के हितों का हनन
- सुप्रीम कोर्ट के आदेश से होने हैं सितंबर में विस चुनाव
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में विधान सभा चुनावों को नजदीक देखकर केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (एलजी) की प्रशासनिक शक्तियां बढ़ा दी हैं। गौरतलब हो कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से जम्मू-कश्मीर सितंबर तक विस के चुनाव करवाने के आदेश दिए हैं। इस आदेश से दिल्ली की तरह अब जम्मू-कश्मीर में राज्य सरकार उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं कर सकेगी। इस फैसले बाद सियासी भूचाल भी आ गया है। विपक्ष ने इस पर एनडीए की मोदी सरकार पर करारा वार किया है। नेंशनल कांफे्रंस, पीडीपी व कांगे्रस ने इस फैसले का राज्य के अधिकारों का हनन बताया है। जम्मू-कश्मीर में इसी साल सितंबर तक विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में उपराज्यपाल की शक्तियां बढ़ाने को लेकर केंद्र का फैसला महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राज्य में किसी की भी सरकार बने, लेकिन अहम फैसले लेने की शक्तियां एलजी के पास होंगी। 42ए- कोई भी प्रस्ताव जिसके लिए अधिनियम के तहत ‘पुलिस’, ‘सार्वजनिक व्यवस्था’, ‘अखिल भारतीय सेवा’ और ‘भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो’ (एसीबी) के संबंध में वित्त विभाग की पूर्व सहमति जरूरी है, तब तक स्वीकृत या अस्वीकार नहीं किया जाएगा जब तक कि इसे मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष नहीं रखा जाता है।42बी- अभियोजन स्वीकृति देने या अस्वीकार करने या अपील दायर करने के संबंध में कोई भी प्रस्ताव विधि विभाग द्वारा मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष रखा जाएगा।
पुलिस, कानून व्यवस्था पर होगी उपराज्यपाल की पकड़
गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 के तहत संशोधित नियमों को अधिसूचित किया है, जिसमें एलजी को ज्यादा शक्ति देने वाली नई धाराएं जोड़ी गई हैं। इस संशोधन के बाद उपराज्यपाल को अब पुलिस, कानून व्यवस्था, ऑल इंडिया सर्विस (एआईएस) से जुड़े मामलों में ज्यादा अधिकार होंगे।
हर चीज के लिए एलजी से भीख मांगनी पड़ेगी : उमर
केंद्र के इस फैसले पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा- एक और संकेत है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव नजदीक हैं। यही कारण है कि जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण, अविभाजित राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए समय सीमा निर्धारित करने की दृढ़ प्रतिबद्धता इन चुनावों के लिए एक शर्त है। जम्मू-कश्मीर के लोग शक्तिहीन, रबर स्टाम्प सीएम से बेहतर के हकदार हैं, जिन्हें अपने चपरासी की नियुक्ति के लिए भी एलजी से भीख मांगनी पड़ेगी।