गंभीर मुद्दों पर पीएम रख लेते हैं मौन व्रत : गोगोई
- कांग्रेस की ओर से गौरव गोगोई ने की शुरुआत
विपक्ष बोला-बीजेपी खराब कर रही देश का माहौल
टीएमसी सांसद डेरेक ओब्रायन राज्यसभा से निलंबित
राहुल को सुनना चाहते हैं हम : प्रह्लाद जोशी
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। मानसून सत्र में आज संसद में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू हो गई। चर्चा की शुरुआत कांग्रेस के पूर्वाेत्तर से सांसद गौरव गोगोई ने की। उन्होंने अपने भाषण की शुरुआत से मोदी सरकार पर हमला शुरू कर दिया। कांग्रेस सांसद ने प्रधानमंत्री मोदी पर मणिपुर मामले पर न बोलने का आरोप लगाते हुए कहा गंभीर मुद्दों पर पीएम मौन व्रत रख लेते हैं। वहीं भाजपा ने गोगोई के बोलने पर हंगामा कर दिया उसने कहा कि हम तो यहां पर राहुल गांधी को सुनना चाहते हैं। प्रह्लाद
मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर आज लोकसभा में चर्चा शुरू हुई तो सत्तापक्ष के लोग राहुल गांधी को सुनने की मांग करने लगे। यह नजारा दिलचस्प था। दरअसल पहले खबर आई थी कि राहुल गांधी बहस की शुरुआत करेंगे लेकिन गौरव गोगोई बोलने के लिए खड़े हो गए। संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने तंज कसा कि क्या हुआ, हम तो राहुल गांधी को सुनना चाहते थे। उनका लेटर भी स्पीकर महोदय आपके दफ्तर में आया था। इसी पर कांग्रेस के सदस्य भडक़ गए। प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कांग्रेस का लेटर पब्लिक डोमेन में है। गोगोई ने कहा कि अगर मंत्री महोदय ऐसा नियम शुरू करना चाहते हैं कि आपके दफ्तर में जो बात होती है, वह बाहर रखना चाहते हैं तो हम भी बाहर रख सकते हैं।
गोगोई व शाह में बहस
गौरव गोगोई ने कहा कि अध्यक्ष महोदय, क्या हो रहा है, क्या दरख्वास्त दी गई है। आपके दफ्तर के अंदर क्या बातचीत हुई है, क्या हम बताएं कि पीएम मोदी जी ने आपके दफ्तर में क्या-क्या बातें की हैं। इस पर गृह मंत्री अमित शाह ने सख्त लहजे में कहा कि यह गंभीर आरोप है, आप बताइए। कुछ देर तक शोरगुल होता रहा। स्पीकर ने कहा कि माननीय सदस्य मेरा चेंबर भी सदन है। कभी भी ऐसी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए जिसमें कोई सत्य या तथ्य नहीं है।
मोदी के पहले कार्यकाल में तेलुगु देशम अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी
मोदी सरकार पिछले कार्यकाल में तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) अविश्वास प्रस्ताव लेकर आई थी, जिसके खिलाफ 330 वोट पड़े थे। किसी मुद्दे पर विपक्ष की नाराजगी होती है तो लोकसभा सांसद नोटिस लेकर आता है, जैसे इस बार मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्ष नाराज है और वह लगातार सदन में प्रधानमंत्री के बयान की मांग कर रहा है, वह अविश्वास प्रस्ताव लेकर आया ह, लोकसभा के स्पीकर ओम बिरला ने इसे स्वीकर भी कर लिया है और आज से बहस शुरू हुई है। अविश्वास पर चर्चा के लिए 50 सांसदों का समर्थन जरूरी होता है,गौरव गोगोई के नोटिस को 50 सांसदों का समर्थन प्राप्त है, चर्चा के बाद इस पर वोटिंग की जाएगी। संविधान के अनुच्छेद-75 के मुताबिक, सरकार यानी पीएम और उनका मंत्रीपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह है।
अब तक 27 बार लाया जा चुका है अविश्वास प्रस्ताव
आजादी के बाद से अब तक 27 बार केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, लेकिन सिर्फ एक बार ही पास हुआ। जुलाई 1979 में पीएम मोरारजी देसाई ने वोटिंग से पहले इस्तीफा दे दिया था, जिस वजह से उनकी सरकार गिर गई, आखिरी बार अविश्वास प्रस्ताव 20 जुलाई 2018 को आया था,23 बार कांग्रेस पार्टी की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया, हालांकि 10 साल पीएम रहे मनमोहन सिंह के खिलाफ एक बार भी अविश्वास प्रस्ताव नहीं लाया गया,इसके अलावा, 2 बार जनता पार्टी जबकि 2 बार बीजेपी सरकार के खिलाफ अविश्वास लाया गया। बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्टï्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के पास लोकसभा में स्पष्ट बहुमत है।
चेयरमैन धनखड़ और ओब्रायन में तीखी बहस
तृणमूल कांग्रेस के सांसद डेरेक ओब्रायन को राज्यभा से सस्पेंड कर दिया गया है। उन्हें बाकी मॉनसून सत्रों करे लिए सदन से निलंबित किया गया है। राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ ने आज की कार्यवाही के दौरान घोषणा की है कि तृणमूल सांसद डेरेक ओब्रायन को शेष मॉनसून सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है। डेरेक ओब्रायन का निलंबन ऐसे दिन हुआ है जब संसद में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आने वाला है। बुधवार या गुरुवार को अविश्वास मत होने की उम्मीद है। कल यानी ने सोमवार को राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ और टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन के बीच तीखी बहस देखने को मिली थी। इस दौरान राज्यसभा के चेयरमैन जगदीप धनखड़ ने टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन पर पब्लिसिटी के लिए सदन में नाटकबाजी करने का आरोप लगाया था। इस दौरान जब तृणमूल कांग्रेस के सांसद ने अपने भाषण को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (संशोधन) विधेयक, 2023 तक सीमित रखने से इनकार किया तो जगदीप धनखड़ का गुस्सा फूटा इसके बाद चेयरमैन ने ओ ब्रायन से कहा, यह आपकी आदत बन गई है। आप एक रणनीति के तहत ऐसा कर रहे हैं,आपको लगता है कि आप बाहर पब्लिसिटी का आनंद लेंगे, आपने इस सदन को बर्बाद कर दिया है।
मणिपुर के इंसाफ के लिए लाए अविश्वास प्रस्ताव : कांग्रेस
गोगई ने कहा कि आपने इंडिया अलायंस के अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार किया। सर, यह अविश्वास प्रस्ताव हमारी मजबूरी है। क्योंकि ये बात कभी भी संख्या की नहीं थी, यह बात मणिपुर के इंसाफ के लिए है। इसी से साफ हो गया कि ऐन वक्त पर कांग्रेस ने रणनीति में बदलाव क्यों किया। राहुल गांधी गौरव गोगोई को बड़े ध्यान से सुनते रहे। उन्होंने कई बार मेज थपथपाई। विपक्ष की तरफ से पहला भाषण पूरी तरह से मणिपुर पर केंद्रित रहा। इसके पीछे एक बड़ी वजह है। इस बार संसद सत्र में पूरे समय विपक्षी गठबंधन मणिपुर पर चर्चा की मांग करता रहा। अविश्वास प्रस्ताव के बहाने कांग्रेस को बोलने का मौका मिला है तो वह देश में यह संदेश देना चाहती है कि वह नॉर्थ ईस्ट को कितनी तवज्जो देती है। राहुल गांधी बोलते तो शायद मणिपुर के मुद्दे पर उतना असर नहीं पड़ता। गौरव असम से सांसद है उनके जरिए यह मैसेज देने की कोशिश की है। यही बात गौरव की स्पीच से भी झलकी। हम यह अविश्वास प्रस्ताव मणिपुर के लिए लाए हैं। मणिपुर इंसाफ मांग रहा है। मणिपुर की बेटियां और किसान, छात्र इंसाफ मांगते हैं। मार्टिन लूथर किंग ने कहा है कि अगर कहीं भी नाइंसाफी हो तो वह हर जगह के लिए इंसाफ का खतरा बन सकता है। मणिपुर अगर जल रहा है, तो भारत जल रहा है। मणिपुर विभाजित हुआ है, तो भारत विभाजित हुआ है। हम सिर्फ मणिपुर की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि पूरे भारत की बात कर रहे हैं। हमारी मांग बस इतनी थी कि पीएम इस पर बोलें। लेकिन पीएम ने मौन व्रत लिया कि सदन में कुछ नहीं बोलेंगे। इसीलिए अविश्वास प्रस्ताव की नौबत आई है। इसके जरिए हम पीएम मोदी का मौन व्रत तोडऩा चाहते हैं। उनसे तीन सवाल हैं। पहला-वह आज तक मणिपुर क्यों नहीं गए? सवाल दूसरा- पीएम को मणिपुर पर बोलने के लिए 80 दिन क्यों लगे? वह भी सिर्फ 30 सेकंड? सवाल तीसरा- पीएम ने आज तक मणिपुर के सीएम को बर्खास्त क्यों नहीं किया? गोगोई ने कहा कि जब भारत के लिए स्वर्ण पदक लाने वाली कुश्ती की महिला खिलाड़ी सडक़ पर प्रदर्शन कर रहे थे तो पीएम मौन थे। जब 750 किसानों ने आंदोलन करते बलिदान दिया तो प्रधानमंत्री मौन थे। जब 2020 में दिल्ली में दंगे हुए उस समय भी पीएम मौन थे। जब अडानी पर पीएम से सवाल किया तब भी पीएम मौन थे। जब चीन पर सवाल किया कि है तो पीएम मौन रहे।