महिला आरक्षण बिल को लेकर भूख हड़ताल पर कविता
नई दिल्ली। शराब नीति में घोटाले मामले में प्रवर्तन निदेशालय के सामने पूछताछ में शामिल होने से पहले भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) नेता के कविता ने आज शुक्रवार को महिला आरक्षण विधेयक को जल्द पारित किए जाने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। एक दिन के अनशन के दौरान अपने भाषण में कविता ने कहा, मैं आपसे वादा करती हूं कि जब तक ये बिल नहीं आएगा तब तक हम ये पथ नहीं छोड़ेंगे आंदोलन करते रहेंगे क्योंकि इस बिल से हिंदुस्तान का भला हो सकता है।
लंबे समय से लंबित महिला आरक्षण विधेयक को पास कराए जाने की मांग को लेकर 6 घंटे की भूख हड़ताल कर रहीं कविता ने कहा, जिस तरह से पूरी दुनिया का विकास हो रहा है अगर उसी तेजी से देश का भी विकास होना है तो महिलाओं को राजनीतिक क्षेत्र में भी अहम भागीदारी मिलनी चाहिए और इस क्षेत्र में भागीदारी मिलने के लिए महिला आक्षरण विधेयक को लाना बहुत जरूरी है। ये विधेयक पिछले 27 साल से लंबित है। उन्होंने यह भी कहा कि यह तो शुरुआत है और पूरे देश में विरोध जारी रहेगा।
विधेयक को लेकर उन्होंने कहा, मैं आपसे यह वादा करती हूं कि जब तक ये विधेयक सदन में पेश नहीं किया जाएगा तब तक हम ये पथ नहीं छोड़ेंगे और लगातार आंदोलन करते रहेंगे क्योंकि इस विधेयक से हिंदुस्तान का भला हो सकता है। सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने जंतर-मंतर पर हड़ताल कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
हड़ताल के दौरान जंतर-मंतर पर मौजूद नेताओं में समाजवादी पार्टी की नेता सीमा शुक्ला, तेलंगाना की शिक्षा मंत्री सविता इंद्रा रेड्डी और राज्य की महिला एवं बाल कल्याण मंत्री सत्यवती राठौर शामिल थीं। आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह और चित्रा सरवारा, नरेश गुजराल (अकाली दल), अंजुम जावेद मिर्जा (पीडीपी), शमी फिरदौस (एनसी), सुष्मिता देव (टीएमसी), केसी त्यागी (जेडीयू), सीमा मलिक (एनसीपी) और पूर्व कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने भी कार्यक्रम में शामिल होने की पुष्टि की है।
सीपीएम नेता येचुरी ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा, विधेयक के पारित होने तक हमारी पार्टी इस विरोध में कविता को समर्थन देती रहेगी। महिलाओं को राजनीति में समान अवसर देने के लिए इस विधेयक को लाना महत्वपूर्ण है।
महिला आरक्षण विधेयक में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी सीट को आरक्षित किए जाने का प्रावधान है। शुरू में संयुक्त मोर्चा सरकार द्वारा 12 सितंबर, 1996 को लोकसभा में पेश किया गया था। फिर वाजपेयी सरकार ने लोकसभा में विधेयक पर जोर दिया लेकिन पारित नहीं हो सका।
फिर इस विधेयक को यूपीए शासनकाल में मई 2008 में राज्यसभा में पेश किया गया, जहां से इसे स्थायी समिति के पास भेज दिया गया। साल 2010 में राज्यसभा ने विधेयक को मंजूरी दे दी, फिर इसे लोकसभा की मंजूरी के लिए भेजा गया। लेकिन इस दौरान 15वीं लोकसभा भंग हो गई जिस वजह से इस आरक्षण विधेयक की मियाद खत्म हो गई।
कविता का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2014 और 2019 के आम चुनाव में इस तरह का वादा किया था कि उनकी सरकार यह विधेयक लाएगी और यह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के चुनावी घोषणापत्र में भी शामिल है। कविता ने एक दिन पहले कहा था कि महिलाओं के प्रतिनिधित्व के मामले में भारत 193 देशों में 148वें स्थान पर है। संसद में 543 सदस्यों में से महज 78 महिला सदस्य हैं, जो कुल सांसदों का महज 14.4 फीसदी ही है।