मोदी-शाह के गढ़ में सियासी उलटफेर, BJP के 100 पदाधिकारी कांग्रेस में शामिल
गुजरात के डांग जिले में राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है... यहां भाजपा को बड़ा झटका लगा है... जब 100 से अधिक पदाधिकारी...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः गुजरात की राजनीति में एक बड़ा बदलाव देखने को मिला.. जब डांग जिले के भाजपा के जमीनी कार्यकर्ताओं और नेताओं ने पार्टी छोड़कर कांग्रेस का दामन थाम लिया.. वहीं यह घटना स्थानीय चुनावों से ठीक पहले हुई है.. जो विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों में हलचल मचा सकती है.. अहमदाबाद स्थित राजीव गांधी भवन में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में करीब 100 से अधिक भाजपा सदस्यों, नेताओं.. और सक्रिय कार्यकर्ताओं ने औपचारिक रूप से कांग्रेस में प्रवेश किया.. इस कार्यक्रम में गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अमित चावड़ा ने नए सदस्यों का स्वागत किया.. और इसे जनता के परिवर्तन की चाहत का संकेत बताया..
आपको बता दें यह घटना गुजरात की आदिवासी बहुल डांग जिले में भाजपा के लिए एक बड़ा झटका मानी जा रही है.. डांग जिला, जो घने जंगलों और आदिवासी समुदायों के लिए जाना जाता है.. जो लंबे समय से भाजपा का गढ़ रहा है.. लेकिन हाल के वर्षों में स्थानीय स्तर पर असंतोष बढ़ता जा रहा है.. नए सदस्यों ने भाजपा पर भ्रष्टाचार, विकास की अनदेखी.. और जमीनी कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का आरोप लगाया.. कांग्रेस नेताओं का कहना है कि यह बदलाव आदिवासी इलाकों में पार्टी को मजबूत करेगा.. और आने वाले चुनावों में निर्णायक साबित होगा..
जानकारी के अनुसार कार्यक्रम की शुरुआत राजीव गांधी भवन में हुई.. यहां बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता और समर्थक जमा थे.. नए सदस्यों को कांग्रेस का खेस (पटका) पहनाकर पार्टी में शामिल किया गया.. गुजरात कांग्रेस के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल पर साझा की गई.. तस्वीरों में देखा जा सकता है कि अमित चावड़ा खुद नए सदस्यों को पटका पहना रहे हैं.. कार्यक्रम में डांग जिला कांग्रेस अध्यक्ष स्नेहल ठाकरे.. और पूर्व विधायक मंगल गावित भी मौजूद थे.. मंगल गावित पहले कांग्रेस से भाजपा में गए थे.. वहीं अब वापस लौट आए हैं.. और उन्होंने इस बदलाव को डांग की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण बताया..
यह दल-बदल डांग जिले के पूर्वी हिस्से (ईस्ट पट्टी) से शुरू हुआ है.. हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया गया कि डांग जिले में भाजपा में भड़काव की स्थिति है.. जहां पूर्व पट्टी के कद्दावर नेताओं सहित 22 कार्यकर्ता कांग्रेस में शामिल हुए.. यह घटना गांधीनगर में हुई थी.. लेकिन अब यह संख्या बढ़कर 100 से अधिक हो गई है.. विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक चेन रिएक्शन है.. जहां एक के बाद एक कार्यकर्ता पार्टी छोड़ रहे हैं..
नए सदस्यों ने भाजपा छोड़ने के पीछे कई कारण गिनाए.. सबसे बड़ा आरोप भ्रष्टाचार का है.. और उन्होंने कहा कि भाजपा शासन में डांग के विकास के नाम पर केवल भ्रष्टाचार हो रहा है.. अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति और समर्पित कार्यकर्ताओं की लगातार उपेक्षा की जा रही है.. जनता की बुनियादी समस्याओं जैसे पानी, सड़क, शिक्षा.. और स्वास्थ्य को हल करने के बजाय सत्ता का दुरुपयोग किया जा रहा है.. एक पूर्व सरपंच ने कहा कि भाजपा में अब केवल बाहरी लोगों को महत्व दिया जाता है.. जबकि हम जैसे जमीनी कार्यकर्ता किनारे कर दिए जाते हैं..
बता दें यह आरोप नया नहीं है.. अक्टूबर 2025 में भी डांग भाजपा में दरार देखी गई थी.. जब दो नेता दीपक पिंपले और मंगल गावित ने पार्टी छोड़ दी थी.. दीपक पिंपले, जो 25 साल से भाजपा में थे.. उन्होंने कहा कि कांग्रेस से आए नेताओं को ज्यादा महत्व दिया जा रहा है.. जिससे स्थानीय कार्यकर्ताओं में असंतोष है.. मंगल गावित 2020 में कांग्रेस से भाजपा में गए थे.. अब वापस लौट आए हैं.. और उन्होंने टिकट न मिलने की वजह से असंतोष जताया था..
डांग जिला आदिवासी बहुल है.. जहां विकास की कमी एक बड़ा मुद्दा है.. यहां के लोग मुख्य रूप से कृषि और वन उत्पादों पर निर्भर हैं.. भाजपा सरकार पर आरोप है कि आदिवासी कल्याण योजनाएं केवल कागजों पर हैं.. कांग्रेस ने इसे भुनाने की कोशिश की है.. अमित चावड़ा ने कहा कि डांग के जमीनी कार्यकर्ताओं का कांग्रेस पर भरोसा दर्शाता है कि जनता अब परिवर्तन चाहती है.. भाजपा की अन्यायपूर्ण नीतियों के खिलाफ अब जनता और कार्यकर्ता खुद मैदान में आ गए हैं..
वहीं कार्यक्रम में अमित चावड़ा ने नए सदस्यों का स्वागत करते हुए कहा कि यह जुड़ाव आदिवासी बेल्ट में कांग्रेस को और मजबूत करेगा.. हम साथ मिलकर डांग की जनता की आवाज को मजबूत करेंगे.. स्नेहल ठाकरे ने कहा कि इन कार्यकर्ताओं के आने से डांग के संगठन में नई ऊर्जा आएगी.. आने वाले दिनों में भाजपा के कई अन्य समूह भी कांग्रेस में शामिल होने के लिए संपर्क में हैं.. मंगल गावित ने डांग की राजनीति में इस बदलाव को निर्णायक बताया.. और कहा कि अब समय आ गया है कि जनता की समस्याओं पर ध्यान दिया जाए..
वहीं ये बयान कांग्रेस की रणनीति को दर्शाते हैं.. पार्टी आदिवासी इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है.. गुजरात में आदिवासी वोट बैंक महत्वपूर्ण है.. जो विधानसभा चुनावों में फैसला कर सकता है.. यह घटना गुजरात की राजनीति में बड़ा बदलाव ला सकती है.. डांग जिला एक विधानसभा सीट है.. जो आदिवासी आरक्षित है.. यहां भाजपा का दबदबा रहा है.. लेकिन अब कांग्रेस मजबूत हो रही है.. स्थानीय चुनावों से पहले यह दल-बदल भाजपा के लिए चिंता का विषय है.. एक रिपोर्ट के अनुसार डांग में स्थानीय स्वशासन चुनावों से पहले 30 से अधिक भाजपा नेता कांग्रेस में शामिल हुए हैं.. सुभिर तालुका के कार्यकर्ताओं ने घर वापसी की है.. जो भाजपा के लिए झटका है..
गुजरात की व्यापक राजनीति में देखें तो यह ट्रेंड नया नहीं है.. अगस्त 2025 में AAP से कई नेता कांग्रेस में शामिल हुए थे.. जो असंतोष का संकेत था.. इसी तरह, नवंबर में वडोदरा के पदरा जिले में 150 कांग्रेस कार्यकर्ता भाजपा में शामिल हुए थे.. लेकिन डांग का मामला अलग है.. क्योंकि यहां आदिवासी मुद्दे प्रमुख हैं.. डांग गुजरात का सबसे छोटा जिला है.. लेकिन प्राकृतिक सौंदर्य और आदिवासी संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है.. यहां की आबादी मुख्य रूप से कोकना, वारली और भील आदिवासी हैं.. राजनीति में आदिवासी नेता प्रमुख भूमिका निभाते हैं.. 2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने यहां जीत दर्ज की.. लेकिन मार्जिन कम था.. कांग्रेस अब इसे भुनाने की कोशिश कर रही है…



