UP सरकार का नया आदेश: छात्रों को मोबाइल की लत से दूर करने की पहल

उत्तर प्रदेश सरकार ने छात्रों को मोबाइल फोन और सोशल मीडिया की बढ़ती लत से दूर करने के लिए एक नया प्लान तैयार किया है। इसके तहत सरकार ने इस संबंध में एक आदेश जारी किया है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: उत्तर प्रदेश सरकार ने छात्रों को मोबाइल फोन और सोशल मीडिया की बढ़ती लत से दूर करने के लिए एक नया प्लान तैयार किया है। इसके तहत सरकार ने इस संबंध में एक आदेश जारी किया है।

सरकारी निर्देश के अनुसार, अब स्कूलों में केवल पाठ्यक्रम तक सीमित न रहते हुए अन्य किताबें और समाचार पत्र पढ़ने पर भी जोर दिया जाएगा। इसका उद्देश्य छात्रों में पढ़ने की आदत विकसित करना और उन्हें मोबाइल व सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग से दूर रखना है। सरकार का मानना है कि इस पहल से छात्रों की एकाग्रता, ज्ञान और बौद्धिक विकास को बढ़ावा मिलेगा। स्कूलों को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस आदेश को प्रभावी रूप से लागू करें।

उत्तर प्रदेश में बच्चों में मोबाइल फोन और सोशल मीडिया की बढ़ती लत को लेकर चिंतित राज्य सरकार ने एक अनोखी और सराहनीय पहल शुरू की है। इसके तहत स्कूलों में पढ़ाई के साथ-साथ पाठ्यक्रम से अलग किताबें, अखबार और मैगजीन पढ़ने पर विशेष जोर दिया जाएगा।

माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा के अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने इस संबंध में आदेश जारी करते हुए प्रदेश के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारी (BEO), जिला विद्यालय निरीक्षक (DIOS) और मंडलीय शिक्षा निदेशकों को शासनादेश भेजा है। आदेश में निर्देश दिए गए हैं कि स्कूलों में रोजाना अखबार और मैगजीन पढ़ने की व्यवस्था की जाए, ताकि छात्रों में पढ़ने की आदत विकसित हो और वे मोबाइल व सोशल मीडिया से दूर रह सकें।

सरकार का मानना है कि इस पहल से छात्रों की बौद्धिक क्षमता, एकाग्रता और सामान्य ज्ञान में वृद्धि होगी। संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि इस आदेश को प्रभावी रूप से लागू किया जाए।

इसका मकसद बच्चों का ‘स्क्रीन टाइम’ कम करना, पढ़ने की आदत डालना और उनके वैचारिक विकास को बढ़ावा देना है. वर्तमान समय में बच्चे किताबों से दूर होकर मोबाइल और सोशल मीडिया में डूबे रहते हैं, जिससे उनका मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है. इस समस्या को देखते हुए सरकार ने स्कूलों में पुस्तकालय से हिंदी और अंग्रेजी की एक पुस्तक प्रत्येक विद्यार्थी को प्रति सप्ताह अनिवार्य रूप से जारी करने का आदेश दिया है.

स्कूल में न्यूज पेपर पढ़ना हुआ अनिवार्य
यह किताबें पाठ्यक्रम से अलग होनी चाहिए, जैसे- कहानी, उपन्यास, प्रेरणादायी जीवनी और साहित्य भी हो सकता है. इस तरह की अनिवार्यता का मकसद छात्रों के स्वतंत्र पठन में रुचि बढ़ाना है. यह आदेश क्लास 6 से 12वीं तक के छात्रों के जरिए जारी किया गया. छात्रा का रोजाना स्कूल में हिंदी-अंग्रेजी का न्यूज पेपर पढ़ना भी अनिवार्य होगा. रोजाना पाठ्यक्रम के अलावा, ग्रुप डिस्कशन और न्यूज पेपर कटिंग्स को इकट्ठा करना भी जरूर हो गया है.

रोजाना याद करने होंगे 5 शब्दों के अर्थ
छात्रों को पाठ्यक्रम के अलावा पढ़ने वाली पुस्तकें, मैगजीन और न्यूजपेपर के बारे में प्रार्थना सभा में अन्य छात्रों को बताना होगा. इससे उनकी भाषा शैली बेहतर होगी. साथ ही कॉन्फिडेंस बढ़ेगा. रोजाना पांच शब्दों के अर्थ भी याद करने होंगे. इससे न केवल शब्दकोश मजबूत होगा, बल्कि भाषा पर पकड़ भी मजबूत होगी. सरकारी आदेश में कहा गया है कि छात्र अखबार के जरिए विज्ञान, संस्कृति, इतिहास, खेल और अन्य विषय की जानकारी हासिल करेंगे.

हफ्ते में एक दिन संपादकीय पर ग्रुप डिस्कशन होगा, जबकि शनिवार को सुडोकू या वर्ग पहेली जैसी गतिविधियों पर प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी. कक्षा 6 से 8 तक के छात्रों को विज्ञान, पर्यावरण और खेल संबंधी कटिंग्स से स्क्रैपबुक बनाने के लिए प्रेरित किया जाएगा. सभी स्कूलों के छात्रों को राजकीय जिला पुस्तकालयों में प्रवेश की अनुमति दी जाएगी.

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