ईडी की रेड पर गरमाई सियासत

दिल्ली में आप से जुड़े 10 से ज्यादा ठिकानों पर छापा

  • भड़की आप, सीएम के पीएस और आप सांसद के यहां छापेमारी
  • भाजपा ने कहा- कोई भी दोषी बख्शा नहीं जाएगा
  • विपक्ष का हल्ला बोल- धमकी दे रही मोदी सरकार

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दिल्ली में ईडी छापेमारी के बाद आप व भाजपा में वार-पलटवार शुरू हो गया। जहां बीजेपी ने कहा है कि दोषी कोई भी होगा बख्शा नहीं जाएगा वही आप ने कहा कि छापे पर छापे मारे जा रहे है पर एक पैसा नहीं निकल रहा है। दरअसल, मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने आम आदमी पार्टी के बड़े नेताओं के यहां छापा मारा है। ईडी की टीम ने 10 से ज्यादा ठिकानों पर सर्च ऑपरेशन शुरू किया है। यह छापेमारी दिल्ली जल बोर्ड में भ्रष्टाचार मामले में हुई है।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निजी सचिव बिभव कुमार के यहां छापेमारी हुई है। शलभ कुमार जो जल बोर्ड के पूर्व मेंबर रहे हैं। उनके यहां भी छापा मारा है। रिपोर्ट के मुताबिक, आम आदमी पार्टी के सांसद एनडी गुप्ता के आवास पर ईडी की छापेमारी चल रही है। डीजेबी मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जगदीश अरोड़ा और अनिल अग्रवाल की रिमांड बढ़ी। दिल्ली जल बोर्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में गिरफ्तार डीजेबी के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता जगदीश अरोड़ा और ठेकेदार अनिल अग्रवाल की ईडी हिरासत अगले पांच दिनों के लिए बढ़ा दी गई। मामले की सुनवाई दिल्ली की राउज एवेन्यू अदालत में हुई। जगदीश अरोड़ा और अनिल अग्रवाल को दिल्ली जल बोर्ड को इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फ्लो मीटर की आपूर्ति से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया। उन्हें पांच दिन की हिरासत की अवधि समाप्त होने के बाद पेश किया गया था। ईडी ने दोनों की रिमांड बढ़ाने की मांग की थी, जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने दोनों की पांच दिनों के लिए रिमांड बढ़ा दी।

जल बोर्ड में भाजपा ने लगाया था घोटाले का आरोप

बीते साल 18 नवंबर 2023 को केन्द्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने दिल्ली जल बोर्ड में 3,237 करोड़ रुपये के घोटाले का दावा किया था। उन्होंने जल बोर्ड के बैंक खातों की स्टेटमेंट व वित्तीय रिपोर्ट का जिक्र भी किया था और कहा था कि वर्ष 2018-19 से 2022-23 के बीच बोर्ड के वित्तीय खर्च के बारे में कई जानकारियां छिपाई गईं हैं। वर्ष 2017-18 के बाद से बोर्ड के खातों की डिटेल डिक्लरेशन भी सही ढंग से नहीं की गई। बोर्ड में इसी तरह के कई वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं हैं। उन्होंने बताया था कि बोर्ड ने अपने 450 से अधिक बैंक खातों में से लगभग 110 को बैलेंस शीट में दिखाया ही नहीं है। इनमें 77 खातों में लगभग 100 करोड़ से अधिक की राशि पड़ी हुई है। कई खातों के आगे शून्य दिखाया गया है जबकि उनमें करोड़ों रुपये पड़े हैं। बोर्ड के हिसाब-किताब में लगभग 300 करो? रुपये के लेन-देन की जानकारी ही नहीं है। बोर्ड की 2018 की वित्तीय रिपोर्ट में 1,167 करो? रुपये का हिसाब-किताब ही नहीं है।

अभी तक एक रुपया नहीं मिला : आतिशी

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के समन को लेकर आम आदमी पार्टी की नेता और दिल्ली की मंत्री आतिशी ने कहा कि हमें चुप कराने के लिए छापेमारी हो रही है। ्अभी तक छापेमारी में एक रुपया भी नहीं मिला है। आतिशी ने कहा कि आप नेताओं और आप से जुड़े लोगों के खिलाफ ईडी की छापेमारी चल रही है। आप कोषाध्यक्ष और सांसद एनडी गुप्ता, अरविंद केजरीवाल के पीए और अन्य के आवास पर छापेमारी चल रही है। भाजपा केंद्रीय एजेंसियों के माध्यम से हमारी आवाज को दबाने की कोशिश कर रही है। आतिशी ने आगे कहा कि बीते दो साल से शराब घोटाला मामले के नाम पर आम आदमी पार्टी के नेताओं को धमकी दी जा रही है। कुछ लोगों के घर छापा मारा। कुछ को समन जारी किए जा रहे हैं। कुछ को गिरफ्तार किया गया है। बीते दो साल में हजारों छापे मारे गए हैं। लेकिन अभी तक ईडी की टीम को एक रुपया तक बरामद नहीं हुआ है। अगले दो साल भी ईडी को कुछ नहीं मिलने वाला है। कोर्ट ईडी के कह चुका है कि सबूत पेश करें।

ईडी बीजेपी की एक्सटेंडेड ब्रांच : राउत

शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा, कि ईडी बीजेपी की एक्सटेंडेड ब्रांच है, आरएसएस के बाद बीजेपी अगर किसी को मान है तो वह ईडी को मानती है। महाराष्ट्र,  झारखंड, पश्चिम का खेल ईडी ने किया है. अजित पवार के बारे में तो खुद प्रधानमंत्री ने कहा था लेकिन ईडी वहां पहुंची?।

उत्तराखंड में यूसीसी बिल पेश, निशाने पर आई बीजेपी सरकार

  • कांग्रेस बोली- सरकार की मंशा पर संदेह
  • सपा ने भी धामी सरकार पर बोला हमला

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा में सीएम धामी ने यूसीसी बिल पेश कर दिया है। उसके बाद से देश में बीजेपी सरकार पर हमला शुरू हो गया। कांग्रेस समेत पूरे विपक्ष ने कहा कि भाजपा देश को बांटना चाहती है। समान नागरिक संहिता विधेयक को कानून बनाने के लिए बुलाई गई विशेष विधानसभा के दूसरे दिन मंगलवार को उत्तराखंड विधानसभा में पेश किया गया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जय श्री राम और भारत माता की जय के नारों के बीच विधेयक पेश किया।
यदि सदन द्वारा पारित किया जाता है, तो भाजपा शासित राज्य समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को अपनाने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। सदन की कार्यवाही आज दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है। इससे पहले रविवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य मंत्रिमंडल ने यूसीसी विधेयक को मंजूरी दे दी। आज पेश किए गए यूसीसी विधेयक की कुछ प्रमुख विशेषताओं में बेटे और बेटी के लिए समान संपत्ति अधिकार सुनिश्चित करना, वैध और नाजायज बच्चों के बीच अंतर को खत्म करना, गोद लिए गए और जैविक रूप से जन्मे बच्चों का समावेश और मृत्यु के बाद समान संपत्ति अधिकार सुनिश्चित करना है। अन्य प्रमुख संभावित सिफ़ारिशों भी शामिल हैं।

विपक्ष ने सदन में किया हंगामा

सदन में विपक्षी विधायकों के विरोध के बीच यह विवादित बिल सदन में पेश किया गया। विपक्षी विधायकों ने विधानसभा में नियम पुस्तिकाओं की अनदेखी का आरोप लगाते हुए सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। एलओपी यशपाल आर्य ने कहा कि हम इसके (समान नागरिक संहिता) खिलाफ नहीं हैं। सदन कार्य संचालन के नियमों से चलता है लेकिन बीजेपी लगातार इसकी अनदेखी कर रही है और संख्या बल के आधार पर विधायकों की आवाज को दबाना चाहती है। प्रश्नकाल के दौरान सदन में अपनी बात रखना विधायकों का अधिकार है, चाहे उनके पास नियम 58 के तहत कोई प्रस्ताव हो या अन्य नियमों के तहत, उन्हें विधानसभा में राज्य के विभिन्न मुद्दों पर अपनी आवाज उठाने का अधिकार है।

कुरान के खिलाफ है समान नागरिक संहिता : हसन

समाजवादी पार्टी के सांसद एसटी हसन ने कहा कि समान नागरिक संहिता मुसलमानों की पवित्र किताब कुरान के सिद्धांतों के खिलाफ है। उन्होंने दावा किया कि उनका समुदाय इसका पालन नहीं करेगा। अगर यह कुरान में मुसलमानों को दी गई हिदायत (निर्देश) के खिलाफ है तो हम इसका (यूसीसी विधेयक) पालन नहीं करेंगे। अगर यह हिदायत के मुताबिक है तो हमें कोई दिक्क्त नहीं है।

दूसरे समुदाय की परंपराओं में हस्तक्षेप अनुचित : हरीश रावत

राज्य विधानसभा में यूसीसी बिल पेश होने पर उत्तराखंड के पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि अगर राज्य सरकार समान नागरिक संहिता के नाम पर शासक वर्ग के लिए दूसरे समुदाय की परंपराओं में हस्तक्षेप करने के लिए कानून लाती है, तो क्या वैमनस्य नहीं होगा?

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