रास चुनाव में कड़े टक्कर की संभावना
सपा-भाजपा में सियासी रस्साकसी
- 10 सीटों पर होने हैं चुनाव
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। राज्यसभा चुनाव में वोटिंग की परिस्थिति लाने का भाजपा का दांव सियासी नजरिए से बहुत अहम हो गया है। यह चुनाव भाजपा संगठन और सरकार के कौशल की परीक्षा तो है ही। साथ ही सपा के प्रबंधन का इम्तिहान भी है। कारण, इस राज्यसभा चुनाव के नतीजों से संभावित सियासी गठबंधनों की तस्वीर काफी हद तक स्पष्ट हो जाएगी। प्रदेश में राज्यसभा के 10 सीटों के चुनाव में अभी बसपा की स्थिति तय नहीं है। कांग्रेस को सपा व रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के जनसत्ता दल लोकतांत्रिक को भाजपा के साथ माना जा रहा है।
अन्य दलों की सदस्य संख्या व सहयोगी दलों को जोड़ते हुए प्रारंभिक तस्वीर बताती है कि भाजपा को आठवां प्रत्याशी जिताने के लिए नौ अतिरिक्त वोटों की जरूरत होगी। समाजवादी पार्टी को तीसरा प्रत्याशी जिताने के लिए तीन अतिरिक्त वोट चाहिए। राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग पर दल-बदल की कार्रवाई नहीं होती। इसका खुलासा होने पर पार्टी अपने स्तर पर निष्कासन या निलंबन जैसी कार्रवाई जरूर कर सकती है।
इस स्थिति में निष्ठा बदल पर अंकुश आसान नहीं होता। लिहाजा, संदेह वाले अपने सदस्यों को सहेज कर रखना दोनों ही दलों के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण होगा। जानकार बताते हैं कि भाजपा के आठवें प्रत्याशी की जीत का मतलब है चुनाव से पहले आरएलडी से साथ छूटने, स्वामी प्रसाद मौर्य के इस्तीफे और पल्लवी पटेल की चेतावनी की चुनौती से जूझ रही समाजवादी पार्टी की और मुश्किल बढ़ाना। भाजपा ऐसा कर पाती है तो यह उसके सियासी कौशल के साथ बड़ी मनोवैज्ञानिक जीत होगी। दूसरे दल के विधायकों का भाजपा के साथ आने का मतलब है संगठन के साथ-साथ राज्य की सरकार की भी जय जय। दूसरा, सपा का तीसरा प्रत्याशी जीता और भाजपा का आठवां हारा तो चुनाव से पहले भाजपा को अपने रणनीतिक प्रबंधन पर नए सिरे से विचार कर दुरुस्त करने का मौका मिल जाएगा। सपा का उत्साह बढ़ेगा। यह चुनाव बड़े सियासी बदलाव और भविष्य की कई नई संभावनाओं को बनाने-बिगाडऩे वाला साबित हो सकता है।
अपने विधायकों को सहेजने में जुटी रालोद
राज्यसभा चुनाव के लिए बृहस्पतिवार को भाजपा के आठवें प्रत्याशी के रूप में संजय सेठ के नामांकन के बाद चुनाव में मतदान तय माना जा रहा है। इसे देखते हुए सभी पार्टियां अपने-अपने वोट सहेजने में जुट गई हैं। इसी क्रम में कुछ विधायकों की नाराजगी की चर्चा के बीच बृहस्पतिवार को रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष व सांसद जयंत चौधरी ने पार्टी के सभी विधायकों को दिल्ली तलब किया। जयंत चौधरी ने पार्टी विधायकों से भाजपा के साथ प्रस्तावित गठबंधन को लेकर चल रही कुछ विधायकों की नाराजगी के बारे में बात की। इस पर सभी विधायकों ने एक साथ होने और नाराजगी की बात को खारिज किया। इसके बाद जयंत चौधरी ने विधायकों से एकजुटता के साथ आगामी राज्यसभा चुनाव में मतदान और लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए जुटने को कहा।
बसपा का एक वोट हो सकता है निर्णायक
राज्यसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी किस दल के प्रत्याशी को समर्थन देगी, इसे लेकर असमंजस बना हुआ है। बता दें कि वर्तमान में बसपा का केवल एक विधायक है, हालांकि राज्यसभा चुनाव में 11 प्रत्याशी उतरने के बाद बसपा विधायक का वोट भी निर्णायक साबित हो सकता है। ध्यान रहे कि वर्ष 2020 में विधान परिषद चुनाव में बसपा ने भाजपा को समर्थन देने का निर्णय लिया था। बसपा सुप्रीमो ने सपा पर धोखा देने का आरोप लगाते हुए कहा था कि सपा को हराने के लिए अगर भाजपा को वोट देना पड़े तो वह तैयार हैं। दरअसल बसपा सुप्रीमो ने सपा द्वारा सात विधायकों को तोडऩे से नाराज होकर विधान परिषद चुनाव में सपा को हराने का फैसला लिया था। बसपा विधायक उमाशंकर सिंह ने कहा कि किस दल को समर्थन देना है, यह तय नहीं है।