महाराष्ट्र निकाय चुनाव की तैयारी तेज, बीजेपी ने घोषित किए नए जिलाध्यक्ष
बीजेपी ने उत्तर महाराष्ट्र इलाके के 12 जिलों में से 9 जिलाध्यक्ष के नाम का ऐलान कर दिया. नासिक जिले में विवाद के चलते अध्यक्ष की घोषणा नहीं गई है.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र में शहरी निकाय चुनाव की सरगर्मी तेज हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद राज्य चुनाव आयोग को अगले चार सप्ताह के भीतर निकाय चुनावों की अधिसूचना जारी करनी है। इसके साथ ही राज्य की राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। सभी प्रमुख दलों ने चुनावी बिसात बिछानी शुरू कर दी है।
मंबई महानगरपालिका यानी BMC चुनाव भी इन्हीं चुनावों का अहम हिस्सा होंगे। इन चुनावों को लेकर सबसे अधिक नजर मुंबई पर टिकी है, जहां बीएमसी का नियंत्रण शिवसेना के पास रहा है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी यानी बीजेपी भी बीएमसी पर कब्जा जमाने की कोशिशों में जुटी हुई है।
बीजेपी ने हाल ही में अपने नए जिलाध्यक्षों की घोषणा की है, जो संगठनात्मक दृष्टि से चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा माने जा रहे हैं। हालांकि, इन नियुक्तियों को लेकर एक बड़ा सवाल यह भी उठने लगा है कि पार्टी ने उत्तर भारतीय समुदाय को पर्याप्त प्रतिनिधित्व क्यों नहीं दिया। मुंबई और उसके आसपास के इलाकों में उत्तर भारतीयों की बड़ी आबादी है, जो चुनाव परिणामों को प्रभावित करने में अहम भूमिका निभाती है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर बीजेपी ने इस वर्ग को किनारे किया है, तो इसका असर चुनाव परिणामों पर पड़ सकता है। अब देखना दिलचस्प होगा कि जिलाध्यक्षों के चयन में उत्तर भारतीयों की अनदेखी बीजेपी की रणनीति के लिए लाभकारी साबित होती है या नुकसानदेह।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने मंगलवार को अपने जिलाध्यक्ष के नाम की घोषणा की है. बीजेपी ने महाराष्ट्र के 78 जिलों में से 58 जिलाध्यक्षों के नाम का ऐलान किया जबकि 20 जिलाध्यक्षों के नाम की घोषणा नहीं हो सकी. बीजेपी ने 58 जिलाध्यक्षों में से 19 पुराने नेताओं को फिर से मौका दिया जबकि 39 नए चेहरों को जिले की कमान सौंपी गई है. बीजेपी ने किसी भी उत्तर भारतीय नेता को जिलाध्यक्ष की कमान नहीं सौंपी है. ऐसे में डर सता रहा है कि उत्तर भारतीय को इग्नोर करना बीजेपी को बीएमसी चुनाव में कहीं महंगा न पड़ जाए?
बीजेपी ने जिलाध्यक्षों से साधा समीकरण
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद महाराष्ट्र में निकाय चुनाव होने की उम्मीद जगी है. मुंबई में बीएमसी चुनाव भी होने है. ऐसे में बीजेपी ने अपने जिन 58 जिलाध्यक्ष घोषित किए हैं, उसमें मुंबई रीजन के छह जिलों में से तीन जिलाध्यक्ष नियुक्त किए हैं और तीन जिले को पेंडिंग में रखा है. कोंकण इलाके के कुल 14 जिलाध्यक्ष हैं, जिसमें 12 के नाम घोषित किए हैं. इसमें 5 नेताओं को फिर से मौका मिला है जबकि 2 जिलाध्यक्षों के बाबत पार्टी ने कोई फैसला नहीं लिया है.
पश्चिम महाराष्ट्र क्षेत्र के 13 जिलों में से बीजेपी ने 11 जिलाध्यक्षों के नाम का ऐलान किया है. इन 11 में 4 जिलाध्यक्ष पुराने नेताओं में से बनाया गया है जबकि दो जिलाध्यक्षों के नाम घोषित नहीं किए. सीएम देवेंद्र फडणवीस और प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले के विदर्भ क्षेत्र के कुल 19 जिलाध्यक्षों में से 15 जिलाध्यक्षों के नाम घोषित कर दिए हैं. इसमें दो पुराने चेहरों पर भरोसा जताया बाकी नए हैं.
बीजेपी ने उत्तर भारतीय को किया इग्नोर
बीजेपी ने उत्तर महाराष्ट्र इलाके के 12 जिलों में से 9 जिलाध्यक्ष के नाम का ऐलान कर दिया. नासिक जिले में विवाद के चलते अध्यक्ष की घोषणा नहीं गई है. उत्तर महाराष्ट्र के 4 जिलाध्यक्षों को दोबारा से मौका दिया गया है. मराठवाड़ा इलाके के 15 जिलों में से 8 जिलाध्यक्षों के नाम घोषित किए हैं. तीन पुराने चेहरों को कमान सौंपी गई है जबकि 7 जिलाध्यक्षों के नाम का ऐलान नहीं हो सका.
मुंबई के बीएमसी चुनाव होने हैं, जिसके चलते बीजेपी ने मुंबई रीजन की ज्यादातर जिले में बीजेपी ने जिलाध्यक्षों की नियुक्ति का ऐलान कर दिया है. बीजेपी ने उत्तर मुंबई से दीपक तावडे और उत्तर मध्य से विरेंद्र म्हात्रे का नाम घोषित किया जबकि उत्तर पूर्व मुंबई से दीपक दलवी को फिर से अवसर दिया है. बीजेपी ने दक्षिण मुंबई, दक्षिण मध्य मुंबई और उत्तर पश्चिम मुंबई के जिला अध्यक्ष के नाम घोषित नहीं किए हैं.
बीजेपी को कहीं महंगा न पड़ जाए
बीजेपी ने मुंबई के छह जिलों में से तीन जिले के अध्यक्ष बनाए हैं, उसमें किसी भी उत्तर भारतीय नेता का नाम शामिल नहीं है. इस तरह से बीजेपी ने किसी उत्तर भारतीय नेता को जिलाध्यक्ष नहीं बनाया है. हालांकि, दक्षिण मुंबई, दक्षिण मध्य मुंबई और उत्तर पश्चिम मुंबई के जिलाध्यक्षों की घोषणा पार्टी ने नहीं की है, ऐसे में दक्षिण मुंबई और दक्षिण मध्य मुंबई जिले से उत्तर भारतीय अध्यक्ष देने की संभावना कम ही है, लेकिन उत्तर पश्चिम मुंबई से बीजेपी उत्तर भारतीय को जिलाध्यक्ष बना सकती है.
उत्तर भारतीय समाज की पैनी नजर बीजेपी के दूसरी जिलाध्यक्षों की लिस्ट पर टिकी है. बीजेपी अगर किसी उत्तर भारतीय को जिलाध्यक्ष नहीं बनाया तो बीएमसी चुनाव में उत्तर भारतीय की नारजगी बढ़ सकती है. उत्तर भारतीय वोटों की नाराजगी महानगरपालिका के चुनाव में बीजेपी को चुकानी पड़ सकती है. उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश राज्यों समेत बड़ी संख्या में उत्तर भारतीय समाज के लोग मुंबई में रहते हैं.
अकेले मुंबई में 30 लाख उत्तर भारतीय वोटर्स
मुंबई में करीब 30 लाख उत्तर भारतीय वोटर्स हैं. 2024 के चुनाव में मुंबई में दोनों ही गठबंधनों से 14 उम्मीदवार उत्तर भारतीय मैदान में उतरे थे, जिनमें से 6 विधायक बनने में कामयाब रहे. कलीना, कुर्ला, दहिसर, चारकोप, कांदिवली-ई्स्ट, बोरीवली, मागाठणे, वर्सोवा, गोरेगांव, दिंडोशी, जोगेश्वरी-पूर्व और अंधेरी ईस्ट इलाके में उत्तर भारतीय निर्णायक भूमिका अदा करते हैं.
मुंबई से बाहर महाराष्ट्र के दूसरे इलाकों में भी बड़ी संख्या में उत्तर भारतीय वोटर रहते हैं. नवी मुंबई, ठाणे, कल्याण, पुणे, नागपुर, कोल्हापुर, अकोला, औरंगाबाद शामिल हैं, यहां उत्तर भारतीयों के वोट नतीजों पर प्रभाव डालने वाली स्थिति में हैं. मुंबई की बीएमसी से लेकर पुणे, नागपुर, औरंगाबाद और ठाणे नगर निगम सीटें है. इस तरह मुंबई ही नहीं बल्कि महाराष्ट्र के अन्य कई शहरों में भी उत्तर भारतीय वोटर मुख्य भूमिका में है.