प्रधानमंत्री की डिग्री पर सवाल उठाने से हल नहीं होंगी देश की समस्याएं: पवार
नई दिल्ली। शैक्षणिक योग्यता को लेकर कुछ विपक्षी नेताओं द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगातार हो रहे हमलों के बीच राकांपा प्रमुख शरद पवार ने सवाल किया कि देश में राजनीतिक मुद्दों के तौर पर लोगों की शैक्षणिक डिग्रियों का इस्तेमाल क्यों किया जा रहा है। उन्होंने एएनआई ने बात करते हुए कहा कि जब हम बेरोजगारी, कानून व्यवस्था और महंगाई का सामना कर रहे हैं तो क्या देश में किसी की शैक्षणिक डिग्री राजनीतिक मुद्दा होनी चाहिए? आज धर्म और जाति के नाम पर लोगों में भेद पैदा किया जा रहा है। महाराष्ट्र में बेमौसम बारिश से फसलें बर्बाद हो गई हैं। इन मुद्दों पर चर्चा आवश्यक है।
30 मार्च को एक ट्वीट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि क्या देश को यह जानने का भी अधिकार नहीं है कि उनके पीएम कितने शिक्षित हैं? वे कोर्ट में उसकी डिग्री दिखाने का विरोध कर रहे थे। क्यों? डिग्री देखने की मांग करने वालों पर लगेगा जुर्माना? क्या हो रहा हिया? एक अनपढ़ या कम पढ़ा-लिखा पीएम देश के लिए बहुत खतरनाक है। यह गुजरात उच्च न्यायालय द्वारा प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की डिग्रियों पर एक आरटीआई याचिका के लिए 25,000 रुपये का जुर्माना लगाने के जवाब में था।
इससे पहले, पवार ने गौतम अडानी मामले में भी विपक्ष से अलग रूख अख्तियार करते हुए जेपीसी मांग को लेकर अपनी राय रखी थी। इससे पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने भी कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शैक्षणिक योग्यता सार्वजनिक बहस का विषय बन गई है, तो संबंधित अधिकारियों को इस पर उठाए जा रहे सवालों का जवाब देना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि एनसीपी को नहीं लगता कि उनकी डिग्री के कारण मोदी पीएम बन गए हैं। ऐसा नहीं है कि मोदी अपनी डिग्री की वजह से पीएम बने।