मोदी राज में सीमा सुरक्षा पर सवाल! पाकिस्तानी लैला-मजनू 40 KM अंदर तक घुसे
मोदी सरकार हर मंच से सीमा सुरक्षा का दम भरती है... लेकिन हकीकत कुछ और ही कहानी कहती है... गुजरात के कच्छ में पाकिस्तान से आए एक...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों प्रेम की ताकत कभी-कभी ऐसी सीमाओं को लांघ जाती है.. जो देशों के बीच खींची गई लकीरों से भी बड़ी होती हैं.. गुजरात के कच्छ जिले में एक ऐसी ही दिलचस्प.. और चिंताजनक घटना घटी है.. जहां पाकिस्तान के दो नाबालिग प्रेमी.. ने परिवार के विरोध के बावजूद रेगिस्तान के खतरनाक रास्ते को पार कर भारत की सीमा में दाखिल हो गए.. वे करीब 40 किलोमीटर अंदर तक पहुंच चुके थे.. जब सतर्क ग्रामीणों ने उन्हें पकड़ लिया.. यह घटना न सिर्फ एक रोमांटिक कहानी की तरह लगती है.. बल्कि भारत-पाकिस्तान सीमा की सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है.. आखिर कैसे दो नाबालिग इतनी दूर तक बिना रुके पहुंच गए.. और यह सीमा सुरक्षा के लिए क्या संकेत देती है..
आपक बता दें कि यह कहानी 7 अक्टूबर 2025 की रात से शुरू होती है.. पाकिस्तान के सिंध प्रांत के थारपारकर जिले के इस्लामकोट तहसील के लासरी गांव में रहने वाले दो नाबालिग.. लड़का टोटो उर्फ तारा रणमल भील.. और लड़की मीना उर्फ पूजा भील घर से भाग निकले.. दोनों भील समुदाय से हैं.. जो एक आदिवासी समुदाय है.. लड़की के परिवार को उनका रिश्ता मंजूर नहीं था.. इसलिए वे शादी के सपने लेकर रेगिस्तान की ओर बढ़ चले..
वे पैरों में जूते तक नहीं पहने थे.. साथ में सिर्फ थोड़ा-सा खाना और 2-3 लीटर पानी था.. रास्ते में बारिश का पानी इकट्ठा कर वे चार दिनों तक जिए.. मंगलवार रात को वे घर से निकले.. एक टापू पर रुककर रात काटी.. फिर बुधवार सुबह रण ऑफ कच्छ पार किया.. गुरुवार की शाम तक वे गुजरात के कच्छ जिले के भचारू तहसील के रतनपर गांव के संगवारी माता मंदिर के पास पहुंच चुके थे.. यहां ग्रामीणों की नजर उन पर पड़ी..
ग्रामीणों को ये चेहरे अनजान लगे.. गांव के आसपास कभी इन्हें नहीं देखा गया था.. शक होने पर उन्होंने तुरंत खादिर पुलिस थाने को सूचना दी.. पुलिस ने दोनों को हिरासत में ले लिया.. और सुरक्षा एजेंसियों को खबर की.. पूछताछ में दोनों ने अपना पाकिस्तानी होना कबूल किया.. उनके पास कोई पहचान पत्र, दस्तावेज या पैसे नहीं मिले..
कच्छ (पूर्व) के पुलिस अधीक्षक सागर बागमार ने बताया कि दोनों ने कहा कि वे प्रेमी हैं.. और परिवारिक विवाद के कारण भागे.. लेकिन उम्र की पुष्टि के लिए मेडिकल टेस्ट कराए जाएंगे.. यह घटना न सिर्फ स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बनी.. बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी बहस छेड़ दी.. बता दें कि दोनों का गांव लासरी पाकिस्तान-भारत सीमा के बहुत करीब है.. थार रेगिस्तान का यह इलाका सूखा और कठोर है.. जहां ज्यादातर परिवार किसान हैं.. लड़के के परिवार का नाम रणमल भील और लड़की के परिवार का नाम करसन चूरी भील बताया जाता है.. दोनों का समुदाय भील है.. जो हिंदू हैं और सीमा के दोनों तरफ फैला हुआ है..
पूछताछ में लड़के ने बताया कि हम शादी करना चाहते थे.. लेकिन लड़की के माता-पिता तैयार नहीं थे.. इसलिए हम भारत आ गए, जहां हमें शांति मिलेगी.. लड़की ने भी यही कहा.. उनके गांव में क्रॉस-बॉर्डर रिश्ते आम हैं.. क्योंकि विभाजन के समय कई परिवार बंट गए थे.. लेकिन अवैध तरीके से सीमा पार करना कठिन है.. आपको बता दें कि यह घटना 1990 के दशक की फिल्म ‘रिफ्यूजी’ की याद दिलाती है.. जहां प्रेमी सीमा पार करते हैं.. लेकिन वास्तविकता में यह जोखिम भरा था.. रेगिस्तान में तापमान दिन में 40 डिग्री से ऊपर.. और रात में ठंडा होता है.. सांप, बिच्छू और पानी की कमी से खतरा रहता है.. फिर भी, प्रेम ने उन्हें हौसला दिया..
रण ऑफ कच्छ दुनिया का सबसे बड़ा नमक का दलदल सीमा का प्राकृतिक अवरोध है.. यहां बाड़ लगी है.. लेकिन रेगिस्तान की वजह से पूरी तरह सुरक्षित नहीं है.. दोनों ने रात के अंधेरे का फायदा उठाया.. अनुमान है कि उन्होंने 60 किलोमीटर का सफर पैदल तय किया.. वे एक टापू पर रुके, जहां बारिश का पानी जमा था.. वहां रुककर आराम किया.. खादिर द्वीप बेल्ट के रेतीले इलाके से गुजरते हुए वे रतनपर पहुंचे.. उनके पैरों पर घाव थे, कपड़े फटे हुए थे.. पुलिस ने बताया कि वे भूखे-प्यासे थे, लेकिन हिम्मत नहीं हारी..
आपको बता दें कि यह सफर सिर्फ 1.5 दिन का नहीं था.. चार दिनों की मशक्कत के बाद वे भारत पहुंचे.. रास्ते में कोई गाड़ी या सहारा नहीं.. सिर्फ इच्छाशक्ति.. जो दिखाता है कि सीमा का इलाका कितना खतरनाक है.. लेकिन साथ ही सिक्योरिटी गैप्स भी है.. रतनपर गांव वागड़ क्षेत्र का हिस्सा है.. जहां लोग सीमा के करीब रहते हैं.. संगवारी मंदिर के पास दोनों को देखा गया.. एक ग्रामीण ने कहा कि वे थके हुए लग रहे थे.. चेहरे अनजान, कपड़े गंदे.. हमने सोचा कोई खतरा हो सकता है.. गांव के सरपंच ने पुलिस को फोन किया..
वहीं यह घटना कच्छ सीमा की सुरक्षा पर उंगली उठाती है.. कच्छ की 230 किमी लंबी सीमा में बाड़ है.. लेकिन रेगिस्तान और दलदल से पूरी कवरेज मुश्किल है.. सर क्रीक क्षेत्र विवादित है.. जहां तेल-गैस संसाधन हैं.. हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पाकिस्तान को चेतावनी दी कि सर क्रीक में कोई हरकत बर्दाश्त नहीं.. विशेषज्ञों के अनुसार रण ऑफ कच्छ में ड्रोन, कैमरा और पैट्रोलिंग है.. लेकिन मानसून या रेगिस्तानी तूफान से गैप्स बन जाते हैं.. 2025 में कई घटनाएं हुईं.. अगस्त में 15 पाकिस्तानी मछुआरों को पकड़ा गया.. और कच्छ में घुसपैठ के प्रयास बढ़े हैं..



