लोकसभा नहीं अब जनसभा के जरिए सियासत करेंगे राहुल गांधी
नई दिल्ली। ‘मोदी सरनेम’ मामले पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को गुजरात हाईकोर्ट से राहत नहीं मिल सकी है। हाईकोर्ट के जस्टिस हेमंत प्रच्छक ने राहुल गांधी को मानहानि मामले के फैसले पर रोक नहीं लगाई, जिसके चलते उनकी संसद सदस्यता बहाली नहीं हो सकेगी। इतना ही नहीं, 2024 का लोकसभा चुनाव भी वो नहीं लड़ पाएंगे। इस तरह राहुल गांधी अब लोकसभा नहीं बल्कि जनसभा के जरिए सियासत करते नजर आएंगे। ऐसे में साफ है कि राहुल अब सडक़ जरिए अपनी राजनीति को आगे बढ़ाएंगे?
बता दें कि राहुल गांधी ने 2018 में कर्नाटक की रैली में एक बयान दिया था, जो उनके सियासी भविष्य के लिए खतरा बना गया। राहुल ने कहा था, ‘सारे मोदी चोर’ क्यों होते हैं। राहुल गांधी के इस बयान को लेकर बीजेपी विधायक पूर्णेश मोदी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के खिलाफ मानहानि का केस दायर कर दिया था, जिस पर सूरत कोर्ट ने 23 मार्च 2023 को राहुल गांधी को दोषी मानते हुए दो साल की सजा सुनाई थी।
सूरत कोर्ट के फैसला आते ही राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता निरस्त कर दी थी गई थी, क्योंकि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम कानूनों के तहत किसी विधायक या संसद को दो साल की सजा होती है तो उसकी सदस्यता खत्म हो जाती है। इतना ही नहीं दो साल की सजा और उसके बाद छह साल चुनाव तक लडऩे पर रोक लग जाती है। एक तरह से राहुल गांधी आठ साल तक चुनाव नहीं नहीं लड़ पाएंगे।
हालांकि, राहुल गांधी ने सूरत कोर्ट के फैसले को लेकर हाईकोर्ट में अपील दायर की थी, जिसमें उन्होंने मानहानि मामने में दोषसिद्धि पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था। हाईकोर्ट ने राहुल की याचिका को खारिज कर दिया है और निचली अदालत के फैसले को यथावत रखा है। ऐसे में राहुल गांधी के सामने अब सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प बचा हुआ है, लेकिन जिस तरह से अपनी सदस्यता खो चुके देश के दूसरे तमाम नेताओं को ऊपरी अदालत से राहत नहीं मिली है। ऐसे में राहुल सुप्रीम कोर्ट जाते हैं और उन्हें राहत मिल ही जाए यह बात कहना अभी मुश्किल है।
हाईकोर्ट से याचिका खारिज किए जाने के बाद राहुल गांधी को 90 दिनों में सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने का वक्त है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट से भी उन्हें अगर राहत नहीं मिलती है तो फिर आठ सालों तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। ऐसे में राहुल गांधी के लिए फिलहाल संसदीय राजनीति पर सियासी संकट खड़ा हो गया है, क्योंकि उनकी लोकसभा सदस्यता अभी बहाल नहीं होने जा रही है। ऐसे में सडक़ के जरिए राजनीति करने का विकल्प अभी भी बचा हुआ है।
सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिलती है तो राहुल गांधी 2024 और 2029 का भी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। उन्हें दोबारा चुनाव लडऩे के लिए 2031 का इंतजार करना होगा। ऐसे में लोकसभा के बजाय जनसभा यानि सडक़ की सियासत करनी होगी। हालांकि, राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा के जरिए सडक़ की सियासत पहले ही शुरू कर चुके हैं और अब उनके पास यही राजनीतिक विकल्प है। राहुल गांधी देश और दुनियाभर में दौरे और लोगों के साथ मुलाकात व संवाद कर रहे हैं।
देश के अलग-अलग हिस्सों में राहुल जाकर बीजेपी और पीएम मोदी के खिलाफ माहौल बनाने का काम कर रहे हैं। माना जा रहा है अब इस दिशा में और मुहिम को और भी राहुल गांधी धार दे सकते हैं, क्योंकि वो न किसी सीट से बंधे हैं और न ही किसी क्षेत्र से। ऐसे में वह देशभर में घूम-घूमकर लोगों के साथ संवाद, रोड शो और जनसभाएं करके अपनी सियासत को आगे बढ़ाते नजर आ सकते हैं, लेकिन संसद में मोदी सरकार को वो मौजूदा परिस्थिति में नहीं घेर पाएंगे?