राहुल गांधी का बड़ा दावा, पीएम नहीं बनेगें नरेंद्र मोदी
इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान के मार्स प्रेक्षा गृह में आयोजित राष्ट्रीय संविधान सम्मेलन में राहुल गांधी ने बोलते हुए दावे के साथ कहा कि दो हजार चौबीस के चुनाव में बीजेपी एक सौ अस्सी सीट से अधिक के आंकड़े के ऊपर किसी भी कीमत पर उछाल नहीं मार सकती है.... देखिए खास रिपोर्ट....
4पीएम न्यूज नेटवर्कः लोकसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक सरगर्मी जोरों पर हैं…. चारों तरफ राजनीति की बाते हो रही है… सभी दल लोकसभा चुनाव को लेकर एक्टिव मोड मे नजर आ रहे हैं… और वार-पलटवार का दौर जारी है… बता दें की पीएम मोदी लगातार जनसभाओं के दौरान कांग्रेस पर हमलावर रहते हैं… और कांग्रेस के घोषणा पत्र को लेकर अनर्गल बातें कर रहे है… लेकिन अपने दस साल के कामों के बारे में जनता को बताने से कतरा रहे है… जिसको लेकर राहुल गांधी ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि मैं मोदी को खुली चुनौती देता हूं… और मैं उनसे खुले मंच पर चुनौती करने के लिए तैयार हूं.. वह समय और स्थान बता दें मैं वहां आ जाऊंगा… लेकिन मुझे पता हैं की मोदी मुझसे बात नहीं करेंगे… और वह जनता को गुमराह करने का काम करेंगे… बता दें कि पीएम मोदी की जुमले बाजी को जनता समझ चुकी हैं… और इस चुनाव में बीजेपी की बड़ी हार होगी… और मैं दावा करता हूं कि नरेंद्र मोदी अब प्रधानमंत्री नहीं बनेंगे…
आपको बता दें कि इन्दिरा गांधी प्रतिष्ठान के मार्स प्रेक्षा गृह में आयोजित राष्ट्रीय संविधान सम्मेलन में राहुल गांधी ने बोलते हुए दावे के साथ कहा कि दो हजार चौबीस के चुनाव में बीजेपी एक सौ अस्सी सीट से अधिक के आंकड़े के ऊपर किसी भी कीमत पर उछाल नहीं मार सकती है…. मोदी जी तीसरी बार पीएम तो नही बन सकते…. यह बात मैं लिख कर दे सकता हूं…. और उन्होंने ने कहा कि मोदी जी पीएम नहीं इस देश के राजा हैं…. एक ऐसे राजा जिसे दो उद्योगपतियों ने मस्टररोल पर राजा रखा हुआ है…. वह देश में इन दोनों उद्योगपतियों के अलावा किसी की सुनते भी नही….. इण्डिया का इतिहास रहा है यहां कई अनपढ़ राजा हुए हैं…. फिर भी वह सफ़ल राजाओं की श्रेणी में गिने जाते हैं…. मोदी जी भी अल्प शिक्षा के बावजूद सफ़ल राजा हो सकते थे… यदि वह जनता की बात को सुनते…. लेकिन पीएम मोदी ने जनता की बात नहीं सुनी और सफल राजा बनने से चूक गए…
आपको बता दें कि आगे उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को सत्ता पाने की बीमारी है….. वह रात दिन इसी चिन्ता में डूबे रहते हैं कि उन्हें सत्ता कैसे हासिल हो…. जिन्हें सत्ता का अपहरण करने की बीमारी है… वह भाई से भाई को लड़वाने का हर उपक्रम करते रहते हैं…. अफ़सोस दो हाजर चौबीस के चुनाव में उनका यह हथियार कुंद पड़ गया है…. काम ही नहीं कर रहा है…. जिस तरह गिद्ध को मांस का लोथड़ा न मिलने पर उसकी दावत अधूरी रह जाती है…. ठीक उसी तरह कुछ लोग तमाम साजिशों के बावजूद जब देश में आपसी सौहार्द नहीं बिगाड़ पाते हैं…. तब उनकी हैवाने सियासत फीकी पड़ जाती है…. बता दें कि दो हजार चौबीस में हैवान ए सियासत का रंग फींका पड़ गया है…. भाई को भाई से लड़ाने की कोशिश जोरों पर है….. परन्तु बेरोजगारी और गब्बर सिंह कर की मार से देश के नब्बे फीसदी लोग इतने कमज़ोर हो गए हैं…. कि आपस में लड़ना भूल कर अब वह मोहब्बत की तलाश में हैं…..
वहीं राहुल गांधी ने आगे कहा कि हमें सत्ता पाने में कोई दिलचस्पी नहीं है… हमारा जन्म सत्ता में हुआ है…. लोगों को लग सकता है कि जब हमें सत्ता पाने की ललक नहीं तब इतनी कठिन मेहनत का सबब क्या है…. मैं मानता हूं कि कांग्रेस से कुछ गलतियां हुईं हैं…. पिछड़ों, दलितों, आदिवासियों, अल्पसंख्यकों को देश की समस्त संपत्ति में उनका आनुपातिक प्रतिनिधित्व दिलाने की नैतिक जिम्मेदारी कांग्रेस की थी…. मैं यह भी मानता हूं यह काम अभी अधूरा है…. इसी को पूरा करने की जिम्मेदारी हम पर है…. कांग्रेस की इसी गलती को सुधारने की मुहिम में मैं लगा हूं…. प्रतिभूति दे सकता हूं कि शीघ्र ही इस गलती को मैं सुधार पाऊंगा….
बता दें कि संविधान की एक छोटी पुस्तिका हाथ में लेकर उन्होंने कहा कि इस दस्तावेज़ ने सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक न्याय के साथ, न्यायपालिका, मीडिया, उद्योग, ईडी, सीबीआई, सेना और देश में उपलब्ध समस्त संपत्ति पर देश के सभी नागरिकों का समान अधिकार है का लिखित दस्तावेज़ तैयार किया है… जाति, धर्म, संप्रदाय, क्षेत्र, लिंग, पैदा होने के स्थान के नाम पर विभेद अस्वीकार है…. जब हमारे देश में जातियां अपने अस्तित्व में ख़ूब फल फूल रही हैं… तब जातीय जनगणना कराने में संकोच कैसा…. और क्यों हिला हवाली हो रही है… देश को ज्ञात हो जाने दें किसकी कितनी आबादी है… जब आबादी का सटीक गणना का संसाधन हमारे पास उपलब्ध है… तब हवा में तीर चलाने की जरूरत क्यों… हमारी प्राथमिकता है… देश में जातीय जनगणना कराना और देश में उपलब्ध संपदा को आनुपातिक रूप से वितरण कराना है….
वहीं राहुल गांधी का कल का हाव भाव उन्हें राजनेता से मीलों दूर ले गया…. लोग विश्लेषण कर सकते हैं कि राहुल गांधी एक मंझे राजनेता की तरह अपने संबोधन में जनमानस की नब्ज़ पकड़ रहे थे…. वहीं कल के सम्बोधन में राहुल गांधी से राजनेता विलुप्त था…. वह एक ऐसे दार्शनिक की तरह अपने उद्गार व्यक्त कर रहे थे… जिसने दुनियां को बदलने के लिए सिर्फ मंत्रमुग्ध करने वाले शब्दों का ही प्रयोग नहीं किया…. अपितु गरीब के जीवन से गरीबी मुक्त करने के लिए गरीबी के जीवन को स्वतः जीने का निर्णय लिया है….. राहुल गांधी में दिखने वाला आत्मविश्वास इस बात को तसदीक कर रहा था कि झोलाछाप के बोरिया बिस्तर बांधने का वक्त आ गया है…. श्रोताओं की भीड़ से पूछे गए एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैं किसी से भी कहीं आमने सामने चर्चा करने के लिए सर्वथा उपलब्ध हूं…. लेकिन मेरा अनुभव कहता है मोदी जी में ऐसा करने का साहस नही है…. कि वो मुझसे खुले मंच पर चर्चा कर सकें…
वहीं राहुल गांधी के द्वारा ओपीएस को लेकर दागे गए सवाल पर…. यदि राहुल गांधी राजनेता होते तो वह इस सवाल को डक करने का प्रयास करते…. लेकिन उन्होंने गेंद को हुक करते हुए बाउंड्री के बाहर फेंक दिया…. औऱ उन्होंने कहा कि यह प्रकरण मेरे घोषणा पत्र में नहीं है…. लेकिन गंभीरता से विचार किया जा रहा है कि इसका बेहतर समाधान क्या हो सकता है…. उनके केवल एक हुक शॉट ने दिखा दिया कि बंदे में दम है…. वह हर गेंद को सीमा रेखा से बाहर फेंकने में सक्षम है… चाहे वह गूगली हो या फिर शॉर्ट पिच बाउंसर…. यह बयान स्पष्ट तौर पर गवाही देता है कि कांग्रेस के दो सौ दस के स्कोर को राहुल गांधी डिफेंड करने में सक्षम है….. मोदी की टीम हर कोशिश के बाद भी एक सौ अस्सी से ऊपर स्कोर कर पाने में कामयाब नहीं होगी…. और दो हजार चौबीस के चुनाव में टारगेट मोदी नहीं राहुल गांधी सेट करेंगे…. वहीं लक्ष्य का पीछा करते हुए मोदी टीम स्कोर तक पहुंचने से काफ़ी पहले ही दम तोड़ देगी….
आपको बता दें कि राहुल ने एक बात कही….. जो गंभीरता से विचार करने वाली है…. मोदी जी हमारे स्कोर को उसी दशा में धवस्त कर सकते…. जब तीनों अंपायर्स, बॉलर, फील्डर्स, ब्रॉडकास्टिंग टीम सब के सब फिक्स्ड हो जाएं… बता दें कि उन्नीस सौ इकहत्तर चुनाव के दरमियान की एक घटना का जिक्र प्रासंगिक हैं…. रोमेश थापर जो कि इंदिरा जी के ख़ास सलाहकार थे…. उनकी पत्नी राज थापर एक दिन टैक्सी में यात्रा कर रही थी…. और आम जन मानस में चुनाव का प्रभाव क्या रहेगा…. जानने की उत्सुकता से उन्होंने ड्राईवर से पूछा…. चुनाव में तुम लोग किसको वोट दोगे…. ड्राईवर ने तपाक से जवाब दिया…. इन्दिरा गांधी को… औऱ उन्होंने फिर पूछा मतलब तुम लोग कांग्रेस को वोट दोगे…. उसने जवाब दिया…. नहीं, हम लोग कांग्रेस को नहीं…..इन्दिरा गांधी को वोट देंगे…. और उसने जवाब दिया इन्दिरा जी ने बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया है…. बैंकों में रखने के लिए मेरे पास पैसे नहीं है…. सच है कि मेरा कोई भला नहीं होगा.. लेकिन यह साहस इन्दिरा जी के अलावा किसी और भी नेता में नहीं था कि वह बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बारे में सोच भी सकते…..
आपको बता दें कि वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियां ठीक उसी तरह हैं…. जिस तरह उन्नीस सौ इकहत्तर में थी….. देश की सभी संपदाओं का आनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार वितरण की आवाज़ उठाने का साहस राहुल गांधी से इतर किसी राजनेता में नहीं है… कांग्रेस के जिन नेताओं को बीजेपी तोड़कर अपने पाले में कर रही है…. वह अपनी सम्पत्ति बढ़ाने के लिए देनदारियां इकट्ठा कर रही है…. वहीं वर्तमान राजनीतिक परिवेश में लोगों का विश्वास कांग्रेस में नहीं बल्कि राहुल गांधी में है…. और देश की जनता राहुल गांधी पर विस्वास कर रही है…
आपको बता दें कि भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान राहुल गांधी लोगों से मिले और उनके दुखों को नजदीक से समझा है… और उसी आधार पर अपना घोषणा पत्र तैयार किया है… जिस घोषणा पत्र पर देश की जनता को भरोसा है… और देख की जनता कांग्रेस को नहीं बल्कि राहुल गांधी को वोट करेगी… और दो हजार चौबीस में सत्ता परिवर्तित होकर रहेगी… वहीं इन सभी दावों का क्या परिणाम निकलकर सामने आता है… यह आने वाला चार जून तय करेगा…