राजभर ने सपा प्रमुख पर फिर साधा निशाना, कहा, अखिलेश नहीं चाहते थे शिवपाल आएं साथ
- सपा ने नहीं किया पिछड़ों की भलाई का काम सुभासपा ने शुरू की लोक सभा चुनाव की तैयारी
- जब सत्ता में थे तब अखिलेश ने नहीं करवाई जातीय जनगणना, एक समान शिक्षा की मांग
- सुभासपा ने सावधान रथ यात्रा का किया आगाज, प्रदेश के 33 स्थानों पर होंगी जनसभाएं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के राष्टï्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने एक बार फिर सपा प्रमुख अखिलेश यादव पर हमला किया। उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव कभी नहीं चाहते थे कि विधान सभा चुनाव में शिवपाल यादव उनके साथ आएं। सपा ने कभी भी पिछड़ों की भलाई के लिए काम नहीं किया। यही नहीं वे जब तक सत्ता में थे तब जातीय जनगणना नहीं करवाई।
उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी 2024 के लोक सभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है। नवरात्रि के पहले दिन सुभासपा और भागीदारी एकता पार्टी की सावधान रथ यात्रा शुरू हो रही है। आज सावधान रथ यात्रा की शुरुआत इसलिए हो रही है कि आजादी के बाद पहली बार अति पिछड़ी जातियों की चर्चा हो रही है। जनता के बीच में हम इन जातियों को सावधान करना चाहते हैं कि जब तक प्रदेश में जातिवार जनगणना नहीं होगी तब तक भागीदारी नहीं मिलेगी। 27 अक्टूबर को ये यात्रा पटना के गांधी मैदान में संपन्न होगी। पार्टी उत्तर प्रदेश में 33 जगहों पर जन सभा करेगी। सभी जिले कवर होंगे। उन्होंने कहा कि समान शिक्षा की लड़ाई हम सावधान रथ यात्रा के माध्यम से करेंगे ताकि सभी को एक समान शिक्षा मिले। यह पार्टी की मंशा है। हम अपने नेतृत्व में पिछले साढ़े पांच साल में जब से विधान सभा में हैं तबसे अब तक गरीबों के इलाज के लिए 9 करोड़ 48 लाख दिए। उन्होंने कहा कि आज लोगों को जरूरत है रोजगार की। पार्टी की मांग है कि मैकेनिकल कोर्सेज की शिक्षा कक्षा चार से शुरू हो ताकि कोई बेरोजगार न रह जाए फिर चाहे मोटरसाइकिल बनाने का काम हो या पंखा बनाने का।
नीतीश पर भी हमलावर
ओम प्रकाश राजभर ने कहा कि सुभासपा 2004 से बिहार में चुनाव लड़ती आ रही है। बिहार चुनाव में हमारी लड़ाई सत्ता पक्ष से रहेगी और सवाल भी सत्ता पक्ष से होगा। नीतीश चाहते थे एक समान शिक्षा हो और जातिवार जनगणना हो अब तो सरकार बदल गई है तो क्यों जातिवार जनगणना नही हुई। हमारी तैयारी अभी बिहार लोक सभा चुनाव की है।
अध्यक्ष पद के चुनाव से पहले दिल्ली दरबार पहुंची राजस्थान कांग्रेस की कलह
- सोनिया गांधी ने एक-एक विधायक से बात करने का दिया आदेश
- गहलोत गुट के विधायकों ने पर्यवेक्षकों के सामने रखी शर्त
- राजस्थान में सीएम पद को लेकर गहलोत गुट के विधायकों ने सौंप दिया है इस्तीफा
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव से पहले राजस्थान कांग्रेस में सीएम पद को लेकर मची कलह दिल्ली दरबार तक पहुंच गयी है। अशोक गहलोत कैंप से अधिकांश विधायकों के इस्तीफा पेश करने के बाद सोनिया गांधी ने पार्टी आब्जर्वर मल्लिकार्जुन खडग़े व अजय माकन को निर्देश दिया कि वे विधायकों से वन टू वन बात कर समस्या का समाधान निकालें और अपनी रिपोर्ट दे।
आल इंडिया कांग्रेस कमेटी आब्जर्वर माकन ने कहा कि विधायक प्रताप खचारियावास, एस धारीवाल व सीपी जोशी ने शर्त रखी है कि एक 19 अक्टूबर के बाद राजस्थान में सीएम की नियुक्ति की जिम्मेवारी कांग्रेस अध्यक्ष को सौंपी जाए। इस बीच अशोक गहलोत ने माकन से मुलाकात की। वहीं सोनिया गांधी ने कमलनाथ को दिल्ली बुलाया है।
पोस्टर वार
राजस्थान में मुख्यमंत्री के नाम पर घमासान के बीच पोस्टर वार भी शुरू हो गया है। जोधपुर में कई जगहों पर सचिन पायलट के पोस्टर नजर आ रहे हैं। पोस्टर में लिखा है, सत्यमेव जयते, नए युग की तैयारी। अशोक गहलोत के गुट के विधायक सचिन पायलट को सीएम बनाने का विरोध कर रहे हैं।
गुलाम नबी आजाद ने अपनी नई पार्टी का किया ऐलान
- डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी रखा नाम
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
जम्मू। कांग्रेस से किनारा कर चुके गुलाम नबी आजाद ने अपनी नई पार्टी का ऐलान कर दिया है। उनकी नई पार्टी का नाम डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी है। अपनी नई पार्टी को लेकर गुलाम नबी आजाद ने कहा कि लगभग 1,500 नाम हमें उर्दू, संस्कृत में भेजे गए थे। हिन्दी और उर्दू का मिश्रण हिन्दुस्तानी है। हम चाहते थे कि नाम लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण और स्वतंत्र हो इसलिए पार्टी का ये नाम तय हुआ।
उन्होंने कहा कि हमारी राजनीति जाति या धर्म पर आधारित नहीं होगी। हम सभी धर्मों और राजनीतिक दलों का सम्मान करेंगे। मैंने कभी किसी पार्टी या नेताओं पर निजी हमले नहीं किए. मैं नीतियों की आलोचना करता हूं। हमें राजनीतिक नेताओं के खिलाफ व्यक्तिगत हमले करने से बचना चाहिए। गुलाम नबी आजाद तीन दिवसीय जम्मू-कश्मीर दौरे पर हैं। कांग्रेस छोडऩे के बाद भी गुलाम नबी आजाद ने प्रदेश का दौरा किया था। इस दौरान गुलाम नबी आजाद ने नई पार्टी के लिए समर्थकों के साथ चर्चा की थी। गुलाम नबी आजाद ने 26 अगस्त को कांग्रेस पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दिया था।